सनकी सुल्तान: महाराज ने पायजामे का नाड़ा खोलने-बांधने के लिए भी रखा था अफसर, हमेशा साथ चलते थे Louis Vuitton के 60 ट्रंक

Maharaja Jagjit Singh: 'सनकी सुल्तान' के इस अंक में हम आज बात करेंगे पंजाब का पेरिस कहे जाने वाली रियासत कपूरथला के अंतिम शासक महाराज जगजीत सिंह और उनकी अजीब-ओ-गरीब लाइफस्टाइल की।

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सनकी सुल्तान में महाराजा जगजीत सिंह की दास्तान

Maharaja Jagjit Singh Lifestyle: भारत पहले राजा रजवाड़ों का देश हुआ करता था। अंग्रेजी हुकूमत में भी भारत में कई ऐसी रियासतें थीं जहां राजशाही थी। भारत ने कई ऐसे राजा महाराजा देखे हैं जो ना सिर्फ अपनी विलासिता बल्कि अपने अजीबोगरीब शौक और शान-ओ-शौकत के लिए जाने जाते थे। इनमें से कुछ राजा अपनी हरकतों के कारण लोगों के बीच सनकी के तौर पर मशहूर थे। ये बात अलग थी कि ऐसे राजा महाराज खुद को भगवान का वंशज मानते थे और जो भी करते थे उसमें उन्हें कुछ भी अजीब या गलत नहीं लगता था। ऐसे ही एक राजा थे जगजीत सिंह।

महाराजा जगजीत सिंह कपूरथला रियासत के महाराज थे। जाहिर सी बात है कि वह अगर महाराज थे तो विलासिता भरा जीवन जीते ही होंगे। महाराज जगजीत सिंह जितनी लग्जरी लाइफ जीते थे उनके शौक उतने ही ज्यादा अजीब थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि जगजीत सिंह ऐसे महाराज थे जिन्होंने अपनी पायजामे का नाड़ा बांधने और खोलने के लिए एक गजेटेड अफसर रखा हुआ था। इस राजपत्रित अधिकारी को मोटी सैलरी पर रखा गया था।

क्या होता है गजेटेड ऑफिसर

आज की तारीख में गजेटेड ऑफिसर या राजपत्रित अधिकारी केंद्र सरकार के सभी विभागों में सबसे बड़े लेवल का अधिकारी होता है। गजेटेड ऑफिसर बनने के लिए यूपीएससी, पीएससी, एसएससी की परीक्षा क्वालिफाई करनी पड़ती है। उसके बाद कोई व्यक्ति गजेटेड ऑफिसर के तौर पर नियुक्त किया जाता है।

हमेशा साथ रहते थे इंदर सिंह

कपूरथला के महाराज जगजीत सिंह के दीवान रहे जरमनी दास ने अपनी किताब महाराजा में जगजीत सिंह के तमाम अजीब शौक का जिक्र किया है। जरमनी दास ने अपनी बुक में लिखा है कि महाराजा जगजीत सिंह ने अपने पजामे का नाड़ा बंधवाने के लिए इंदर सिंह नाम के अधिकारी को नियुक्त किया था। इंदर सिंह 24 घंटे महाराज के साथ मौजूद रहते थे। महल हो या फिर कहीं और, इंदर सिंह अकसर महाराजा का नाड़ी बांधते-खोलते दिख जाते थे।

एक बार महाराज जगजीत सिंह को ब्रिटेन के महाराज जॉर्ज पंचम ने अपने बकिंघम पैलेस में एक पार्टी के लिए इनवाइट किया। उस पार्टी में सिर्फ जिन लोगों को इनवाइट किया गया था वही जा सकते थे। वह अपने साथ किसी और को नहीं ला सकते थे। हॉल में जगजीत सिंह अकेले पहुंचे। वहां उन्होंने जमकर शराब पी, विदेशी मेहमानों के साथ डांस किया और लजीज पकवान का लुत्फ उठाया। इंदर सिंह महल के बाहर गाड़ी में ही बैठे थे। पार्टी में ब्रिटिश समाज के गणमान्य लोग, इंग्लैंड का राजपरिवार, ब्रिटिश सरकार के मंत्री और नामी गिरामी रईस मौजूद थे।

खाने की मेज पर जब जगजीत सिंह बैठे थे तब उन्हें लघुशंका आ गई। अब यहां मुसीबत ये थी कि वो अपना नाड़ा खुद तो खोलते नहीं थे और जो ये काम करता था वो महल के बाहर था। जगजीत सिंह ने थोड़ी देर तो बर्दाश्त किया, लेकिन जब मामला बर्दाश्त से बाहर हुआ तो उन्होंने जॉर्ज पंचम के प्राइवेट सेक्रेटरी सर क्लाइव विग्राम को अपनी परेशानी बताई और पूछा कि क्या राजमहल के बाहर उनकी गाड़ी में बैठे सहायक इंदर सिंह को मदद के लिए यहां बुलाया जा सकता है। पहले तो सेक्रेटरी ने मना किया लेकिन फिर ब्रिटिश महाराज के कहने पर वह मान गया।

इंदर सिंह को उस प्राइवेट पार्टी में बुलाया गया। इंदर सिंह महाराज को लेकर बाथरूम गए, उनके पायजामे का नाड़ा खोला और तब जाकर जगजीत सिंह ने लघुशंका का निवारण किया। ये बात पार्टी में आए लगभग हर किसी को पता चल गई। कुछ तो वहीं हंसने लगे और कुछ अपनी हंसी दबाकर महाराज के शौक पर हैरानी जता रहे थे। बता दें कि सिर्फ पायजामे के नाड़े के लिए ही नहीं बल्कि पगड़ी बांधने और खोलने के लिए भी महाराज जगजीत सिंह ने एक कर्मचारी रखा हुआ था।

दुनिया का सबसे बड़ा पुखराज पहनते थे महाराज

जगजीत सिंह दुनिया के सबसे बड़े पुखराज को अपनी पगड़ी में पहनते थे। इतिहासकार डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में लिखा है कि महाराजा जगजीत सिंह की पगड़ी पर सजे उस पुखराज की चमक इतनी तेज थी कि कई मीटर दूर से उसे बहुत आराम से पहचाना जा सकता था। बता दें, उस नायाब पुखराज के अलावा उनकी पगड़ी में 3000 और हीरे-मोती जड़े हुए थे। यही वजह थी कि जब वो कभी आम जनता के सामने आते थे तो सिर्फ उनकी पगड़ी पर जड़े पुखराज को देखने लोग दूर-दूर से कपूरथला आते थे।

महाराजा जगतजीत सिंह उस दौर में दुनिया भर के एक से बढ़कर एक ब्रांडेड और लग्जरी प्रोडक्ट्स यूज किया करते थे, जिसमें लुई वुइटन (Louis Vuitton) भी शामिल था। महाराजा जब कहीं जाते तो उनके साथ लुई वुइटन के 60 ट्रंक साथ जाते थे। इन ट्रंकों में महाराज के कपड़े, घड़ियां, चश्मे, जूलरी और पगड़ी जैसी चीजें रखी होती थीं।

24 नवंबर 1872 को जन्मे महाराजा सर जगतजीत सिंह ने भारत की आजादी के बाद 19 जून 1949 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। जगजीत सिंह कपूरथला रियासत के अंतिम शासक थे। क्योंकि 1947 में इस रियासत का भी बाकी रियासतों की तरह भारत में विलय करा दिया गया। उन्होंने 06 शादियां कीं, जिसमें उनकी दो बीवियां विदेशी थीं। महाराजा की विदेशी रानियां चेक और स्पेन से थीं।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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