Sawan Ka Mahina Pawan Kare Shor: सावन का महीना, पवन करे शोर.., सालों बाद भी सावन में चार चांद लगा रहा यह गीत

Sawan Ka Mahina Pawan Kare Shor (सावन का महीना, पवन करे शोर): 1967 में आई मिलन मूवी के इस गीत को अपनी मखमली आवाज़ से सजाया है लता मंगेशकर और मुकेश ने। संगीत से संवारा है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। गीत के बोल लिखे हैं आनंद बख्शी ने।

Sawan Ka Mahina Pawan Kare Shor

Sawan Ka Mahina Pawan Kare Shor song lyrics in Hindi

Sawan Ka Mahina Pawan Kare Shor (सावन का महीना, पवन करे शोर): सावन के रंग में हर कोई रंगा दिख रहा है। बरखा की रिमझिम फुहारों के साथ सावन भारतीयों के तन-मन पर दस्तक दे चुका है। जहां शिवभक्तों के लिए सावन मास भोलेनाथ की भक्ति में डूबने का महीना है तो वहीं किसानों के लिए ये सावन उनकी फसल में जान फूंकने का काम करता है। सावन में शादी के बाद बेटियां अपने मायके आती हैं। इसीलिए भाई अपनी बहनों को ससुराल से लिवाने निकल पड़े हैं। जो पहले ही पीहर आ चुकी हैं वे अपनी सखी-सहेलियों और ननद-भौजाइयों के साथ सावन के झूले झूल रही हैं। हर जगह सावन के गीतों के साथ चुहल करतीं माताएं बहनें दिख जाएंगी।

सावन के महीने में बात ही कुछ ऐसी होती है कि हर कोई इसके आगोश में कैद हो जाता है। सावन की खूबसूरती का कई कलमकारों ने अपने गीतों में बखान किया है। बॉलीवुड की फिल्मों में भी कई गानें ऐसे हैं जो सावन का बखान करती हैं। ऐसा ही एक गाना कई दशक से गाया और सुनाया जा रहा है। यह गाना है फिल्म मिलन से। गाने के बोल हैं - सावन का महीना पवन करे शोर। पढ़ें गाने के बोल:

Sawan ka Mahina Song Download | Sawan ka Mahina Hindi Song | Sawan ka Mahina Lyrics in Hindi

रिम-झिम गिरे सावन, सुलग सुलग जाए मन

भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन

रिम-झिम गिरे सावन ...

पहले भी यूँ तो बरसे थे बादल,

पहले भी यूँ तो भीगा था आंचल

अब के बरस क्यूँ सजन, सुलग सुलग जाए मन

भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन

रिम-झिम गिरे सावन ...

इस बार सावन दहका हुआ है,

इस बार मौसम बहका हुआ है

जाने पीके चली क्या पवन, सुलग सुलग जाए मन

भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन

रिम-झिम गिरे सावन ...

रिम-झिम गिरे सावन, सुलग सुलग जाए मन

भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन

रिम-झिम गिरे सावन ...

जब घुंघरुओं सी बजती हैं बूंदे,

अरमाँ हमारे पलके न मूंदे

कैसे देखे सपने नयन, सुलग सुलग जाए मन

भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन

रिम-झिम गिरे सावन ...

महफ़िल में कैसे कह दें किसी से,

दिल बंध रहा है किस अजनबी से

हाय करे अब क्या जतन, सुलग सुलग जाए मन

भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन

रिम-झिम गिरे सावन ...

बता दें कि इस गीत को अपनी मखमली आवाज़ से सजाया है लता मंगेशकर और मुकेश ने। संगीत से संवारा है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। गीत के बोल लिखे हैं आनंद बख्शी ने। मिलन 1 जनवरी 1967 को रिलीज हुई थी। फिल्म में सुनील दत्त और नूतन मुख्य भूमिका में नजर आए थे। इतने सालों बाद भी इस गाने का जादू वैसे ही बरकरार है।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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