Shakeb Jalali Shayari: यूं तो सारा चमन हमारा है, फूल जितने भी हैं पराए हैं.., पतझड़ में बसंत सी है शकेबा जलाली की शायरी

Shakeb Jalali Shayari in Hindi: शकेब जलाली ने पाकिस्तान के सरगोधा के पास एक ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। महज 32 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले शकेब जलाली अपनी नज़्मों के जरिए लोगों के दिलों में जिंदा हैं। आज 'इरशाद' में पढ़तके हैं शकेब जलाली के 21 मशहूर शेर..

Shakeb Jalali

Shakeb Jalali Shayari in Hindi

Shakeb Jalali Shayari in Hindi: शकेब जलाली का नाम उर्दू के मशहूर शायरों में षुमार है। उनका जन्म 1 अक्टूबर 1934 को अलीगढ़ के पास एक छोटे से गांव जलाल में हुआ था। शकेब जलाली के पूर्वज अलीगढ़ के पास के एक छोटे शहर, सद्दत से थे। विभाजन के वक्त शकेब जलाली परिवार सहित पाकिस्तान चले गए थे। उन्होंने 12 नवंबर 1966 को पाकिस्तान के सरगोधा के पास एक ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। महज 32 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले शकेब जलाली अपनी नज़्मों के जरिए लोगों के दिलों में जिंदा हैं। आइए पढ़ते हैं शकेब जलाली के चंद मशहूर शेर:

1. बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका

हम जिस पे मर मिटे वो हमारा न हो सका

2. कोई भूला हुआ चेहरा नज़र आए शायद

आईना ग़ौर से तू ने कभी देखा ही नहीं

3. आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज दे

तितलियाँ मंडला रही हैं काँच के गुल-दान पर

4. तू ने कहा न था कि मैं कश्ती पे बोझ हूँ

आँखों को अब न ढाँप मुझे डूबते भी देख

5. सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह

देखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में

6. लोग देते रहे क्या क्या न दिलासे मुझ को

ज़ख़्म गहरा ही सही ज़ख़्म है भर जाएगा

7. रहता था सामने तिरा चेहरा खुला हुआ

पढ़ता था मैं किताब यही हर क्लास में

8. ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे

तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है

9. जाती है धूप उजले परों को समेट के

ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के

10. मुझे गिरना है तो मैं अपने ही क़दमों में गिरूँ

जिस तरह साया-ए-दीवार पे दीवार गिरे

11. पहले तो मेरी याद से आई हया उन्हें

फिर आइने में चूम लिया अपने-आप को

12. यूँ तो सारा चमन हमारा है

फूल जितने भी हैं पराए हैं

13. मल्बूस ख़ुश-नुमा हैं मगर जिस्म खोखले

छिलके सजे हों जैसे फलों की दुकान पर

14. क्या कहूँ दीदा-ए-तर ये तो मिरा चेहरा है

संग कट जाते हैं बारिश की जहाँ धार गिरे

15. लोग दुश्मन हुए उसी के 'शकेब'

काम जिस मेहरबान से निकला

16. भीगी हुई इक शाम की दहलीज़ पे बैठे

हम दिल के सुलगने का सबब सोच रहे हैं

17.जहाँ तलक भी ये सहरा दिखाई देता है

मिरी तरह से अकेला दिखाई देता है

18. वो अलविदा'अ का मंज़र वो भीगती पलकें

पस-ए-ग़ुबार भी क्या क्या दिखाई देता है

19. उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ

ज़मीं पे पाँव धरा तो ज़मीन चलने लगी

20. प्यार की जोत से घर घर है चराग़ाँ वर्ना

एक भी शम्अ न रौशन हो हवा के डर से

21.जो मोतियों की तलब ने कभी उदास किया

तो हम भी राह से कंकर समेट लाए बहुत

उम्मीद करते हैं आपके शकेब जलाली के ये मशहूर शेर जरूर पसंद आए होंगे। आप चाहें तो इन्हें अपनों के साथ भी साझा कर सकते हैं। इन्हें आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर कर लोगों के वाहवाही लूट सकते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। लाइफस्टाइल (Lifestyle News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

End of Article
Subscribe to our daily Lifestyle Newsletter!

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited