Sri Sri Ravi Shankar Motivational Quotes: बुरे वक्त में हौसला देने का काम करेंगी Sri Sri Ravi Shankar की ये बातें, यहां पढ़ें उनके प्रेरक विचार
Sri Sri Ravi Shankar Motivational Quotes In Hindi: श्री श्री रविशंकर किसी पहचान के मौहताज नहीं हैं। उनकी गिनती देश के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु के तौर पर की जाती है। 13 मई 1956 को जन्में श्री श्री रविशंकर ने महज 4 साल की उम्र में भागवत गीता का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। श्री श्री आज दुनिया में लोगों को प्रेरित करते हैं। ऐसे में यहां पढ़ें उनके अनमोल विचार।
Sri Sri Ravi Shankar Motivational Quotes
Sri Sri Ravi Shankar Motivational Quotes: श्री श्री रवि शंकर जाने माने आध्यात्मिक और मानववादी गुरु हैं। वो केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। श्री श्री रवि शंकर का जन्म 13 मई 1956 में दक्षिण भारत में हुआ। वो बचपन से ही एक प्रतिभाशाली बालक थे। महज 4 साल की उम्र में ही उन्होंने संस्कृत में लिखे प्राचीन धर्मग्रंथ भागवत गीता का व्याख्यान किया था। उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान के साथ साथ वैदिक साहित्य और भौतिक विज्ञान भी हासिल किया था। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर हर साल करीब 180 दिन यात्रा में रहते हैं और इस दौरान वे 40 देशों की यात्रा करते हैं। वे भारत समेत अन्य देशों में शांति बनाए रखने के लिए कार्य करते हैं। श्री श्री रविशंकर को 7 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त है। इसके साथ ही वो शास्त्रीय संगीत भी जानते हैं। इतना ही वो अपने विचारों से अक्सर लोगों को प्रेरित करते रहते हैं। ऐसे में यहां पढ़ें उनके कुछ अनमोल विचार।
Sri Sri Ravi Shankar Motivational Quotes In Hindi
1. खुशी कल में नहीं है ये हमेशा वर्तमान में हैं।
2. यदि आप लोगों के लिए अच्छा करते हैं, तो आप इसे अपने स्वभाव के कारण कर रहे हैं।
3. कामना या इच्छा, तब जागृत होती हैं जब आप खुश नहीं होते हैं, क्या आपने यह देखा है? जब आप बहुत खुश होते हैं तब संतोष होता है, संतोष का अर्थ है, कोई इच्छा नहीं।
4. कामयाबी के पीछे ज्यादा बैचेन न हो, अगर लक्ष्य साफ़ है तो थोड़ा धैर्य रखें, सफलता जरूर मिलेगी।
5. नए विचारों के लिए दिमाग खुला रखें, सफलता के बारे में ज्यादा चिंतित ना हो, अपना 100% दे और लक्ष्य पर फोकस रहे।
6. जीवन उत्सव है, इसे इसी तरह जिएं।
7. हर सांस के साथ, नया जीवन मिलता है।
8. हर चीज के पीछे आपका अहंकार होता है: मैं, मैं, मैं, मैं लेकिन सेवा में कोई मैं नहीं है, क्योंकि यह किसी ओर के लिए की जानी है।
9. तुम दिव्य हो, तुम परमात्मा का अंश हो। उस विश्वास के साथ बढ़ो। यह अहंकार नहीं है। यह, पुनः, प्रेम है।
10. मन को शांत रखें, तब जीवन में स्पष्टता आती है।
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Ritu raj author
शुरुआती शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर से हुई। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा ...और देखें
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