Lohri 2025 Sundar Mundariye Song Lyrics: लोहड़ी पर बिना भूले गाएं, देखें सुन्दर मुंदरिए हो-तेरा कौन विचारा दुल्ला भट्टीवाला हो के बोल लिखित में

Lohri 2025 Sundar Mundariye Song Lyrics (सुन्दर मुंदरिए तेरा कौन विचारा दुल्ला भट्टीवाला) Lohri Festival Special Songs Sundar Mundariye in Text: मान्‍यताओं के अनुसार जब भगवान सूर्य उत्तरायण होता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है ज‍िसके ठीक एक द‍िन पहले लोहड़ी का व‍िशेष त्योहार मनाया जाता है। साल 2025 में ये पर्व 13 जनवरी को सोमवार के द‍िन मनाया जाएगा। इस त्योहार को मनाने के पीछे एक लोक कथा प्रचलित है जिसका वर्णन लोहड़ी के गीत सुन्दर मुंदरिए में भी मिलता है। चलिए जानते हैं लोहड़ी के गाने के बोल, सुन्दर मुंदरिए हो लिरिक्‍स लिखित में।

Sundar Mundariye Lyrics in Hindi, सुन्दर मुंदरिए लिरिक्‍स

Sundar Mundariye Lyrics in Hindi

Lohri 2025 Sundar Mundariye Song Lyrics (सुन्दर मुंदरिए तेरा कौन विचारा दुल्ला भट्टीवाला हो): लोक मान्‍यताओं के अनुसार दुल्ला भट्टी मुगल शासक अकबर के खिलाफ आवाज उठाने वाले क्रांतिकारियों में से एक थें जो मुगलों के जागीरदारों और दूसरे अमीर लोगों को लूटकर गरीबों में धन बांटते थें। बादशाह अकबर दुल्ला भट्टी से इतना परेशान हुआ कि उसे दिल्ली से राजधानी को लाहौर लाना पड़ा। वाघा बॉर्डर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान के पंजाब में पिंडी भट्टियां है और यहीं पर साल 1547 में राय अब्दुल्ला खान उर्फ दुल्ला भट्टी का जन्म हुआ था जो एक राजपूत मुसलमान थें। उनके पैदा होने से कुछ महीने पहले उनके पिता और दादा को मुगल बादशाह हुमायूं ने मौत के घाट उतार दिया था और इसके बाद से दुल्ला भट्टी ने मुगलों खि‍लाफ अपनी जंग शुरू की। लोक कथाओं के अनुसार एक बार तो उन्होंने सलीम और फिर अकबर को बंदी भी बना लिया था लेकिन फिर अपमानित करके छोड़ दिया था। लोहड़ी में गाए जाने वाले गाने सुन्दर मुंदरिए में दुल्ला भट्टी का वर्णन मिलता है। यहां देखें लोहड़ी के गाने के बोल, सुन्दर मुंदरिए हो लिरिक्‍स लिखित में।

Sundar Mundariye Lyrics in Hindi (सुन्दर मुंदरिए हो लिरिक्स हिंदी में)

सुन्दर मुंदरिए

तेरा कौन विचारा

दुल्ला भट्टीवाला

दुल्ले दी धी व्याही

सेर शक्कर पायी

कुड़ी दा लाल पताका

कुड़ी दा सालू पाटा

सालू कौन समेटे

मामे चूरी कुट्टी

जमींदारां लुट्टी

जमींदार सुधाए

गिन गिन पोले लाए

इक पोला घट गया

ज़मींदार वोहटी ले के नस गया

इक पोला होर आया

ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया

सिपाही फेर के ले गया

सिपाही नूं मारी इट्ट

भावें रो ते भावें पिट्ट

साहनूं दे लोहड़ी

तेरी जीवे जोड़ी

साहनूं दे दाणे तेरे जीण न्याणे

तो इन बोलियों के साथ आप इस बार लोहड़ी का पर्व धूमधाम से मनाएं और पूरे माहौल को जोश से भर दें।

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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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