Surya Namaskar Mantra, steps, poses: कैसे करें सूर्य नमस्कार, जानें इसके 12 आसन व करने की सही विधि

Surya Namaskar Steps, Poses, Mantra And Benefits In Hindi (सूर्य नमस्कार के 12 आसन): सूर्य नमस्कार से व्यक्ति के शरीर में सूर्य के समान तेज समाहित होता है। सूर्य नमस्कार 12 आसन की मदद से किया जाता है। इन सभी आसनों के अपने अलग अलग फायदे हैं। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं, ये 12 आसन कौन से हैं और इसके क्या फायदे हैं।

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surya namaskar Steps, Poses , Mantra: सूर्य नमस्कार के 12 आसन

मुख्य बातें
  • सूर्य नमस्कार सभी योगासनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
  • सूर्य नमस्कार के 12 पोज आपको 22 बीमारियों के संक्रमण से दूर रख सकते हैं।
  • यह तनाव को कम कर डिप्रेशन की समस्या से कोसों दूर रखता है।
Surya Namaskar Steps, Poses, Mantra And Benefits In Hindi (सूर्य नमस्कार के 12 आसन): सूर्य को इस सृष्टि के ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। सूर्य के अंदर सभी शक्तियां समाहित हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो, यदि आप रोजाना सूर्य नमस्कार करते हैं, तो आपको दूसरा कोई योग करने की (Surya Namaskar) जरूरत नहीं है। तमाम योगासनों में सूर्य नमस्कार को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जानकारों की मानें तो सूर्य नमस्कार से व्यक्ति के शरीर में सूर्य के समान तेज समाहित (Surya Namaskar Steps) होता है। यह शरीर के नसों और नाड़ियों की ताकत को दोगुना कर देता है। साथ ही नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से शरीर लचीला रहता है और स्मरण शक्ति बेहतर होती है। इतना ही नहीं यह तनाव कम कर डिप्रेशन की समस्या से कोसों दूर रखता और दिमाग को एकाग्र रखने में मदद करता है। इसे जीवनदायिनी भी कहा जाता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक सूर्य नमस्कार के 12 पोज आपको 22 बीमारियों के संक्रमण से दूर रख सकते हैं। साथ ही यह गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने में भी कारगार होते हैं। खासकर यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद (Surya Namaskar Poses) होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स ने डिप्रेशन के मरीजों को दो हिस्सों में विभाजित किया। ग्रुप ए को सिर्फ डिप्रेशन की दवाइयां दी गई, वहीं ग्रुप बी को दवाइयों के साथ धूप में सूर्य नमस्कार के लिए प्रेरित किया (Surya Namaskar Yoga) गया। 90 दिन यानी तीन महीनें के बाद जब परिणाम सामने आया तो, दवाई लेने वाले ग्रुप में 29 प्रतिशत का सुधार देखा गया, जबकि दवाई के साथ सूर्य नमस्कार करने वाले ग्रुप में 80 प्रतिशत का सुधार (Surya Namaskar Benefits) देखा गया। ऐसे में यहां हम आपको विस्तार से सूर्य नमस्कार के 12 आसन के बारे में बताएंगे।

Surya Namaskar Steps, सूर्य नमस्कार के 12 आसन

बता दें सूर्य नमस्कार 12 आसन की मदद से किया जाता है। इन सभी आसनों के अपने अलग अलग फायदे हैं। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं, ये 12 आसन कौन से हैं और इसके क्या फायदे हैं।
प्रणामासन
खुले मैदान में एक मैच बिछा लें, ध्यान रहे मैट पूर्व दिशा में बिछाएं, जिससे सूर्य की किरणें सीधे आपके शरीर पर पड़ें। मैट पर सीधे खड़े हो जाएं, अब अपने दोनों पंजों को एकसाथ मिलाएं सूर्य की किरणें सीधे आपके शरीर पर पड़ रही होनी चाहिए। अब दोनों जोड़े और कंधों को ढीला छोड़ें और गहरी लंबी सांस लेते हुए आराम की अवस्था में खड़े हो जाएं।
हस्तउत्तनासन
सांस धीरे धीरे अंदर की ओर खीचें और अपने दोनों हांथों को ऊपर की ओर ले जाएं। इस दौरान आपको अपने शरीर को बिल्कुल ढ़ीला छोड़ देना है। साथ ही हांथ को पीछे की ओर ले जाते समय शरीर को भी धीरे धीरे पीछे की तरफ ले जाएं।
पादहस्तासन
पादहस्तासन को उत्तानासन भी कहा जाता है। इसके लिए अपने दोनों हांथों को ऊपर की ओर ले जाएं। अब नीचे की ओर जाते हुए दोनों हांथों को पंजो के पास रखने की कोशिश करें। ध्यान रहे इस दौरान आपके घुटने बिल्कुल सीधे होने चाहिए। हालांकि यदि आप इस आसन को पहली बार कर रहे हैं, तो घुटने मोड़ सकते हैं। वहीं इस आसन को करते समय आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है। यदि आपके कमर में दर्द, चोट, खिंचाव या साइटिका और मोतियाबिंद की शिकायत है तो इस योग को करने से बचें।
अश्व संचालनासन
अश्व संचालनासन मसल्स को रिलैक्स और मजबूत बनाने के साथ शरीर को लचीलापन भी बनाता है। यह दिल के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। फेफड़ों को स्वस्थ रखने के साथ श्वांस संबंधी गंभीर बीमारियों से निजित दिलाता है। अश्व संचालनासन के लिए सबसे पहले हस्त पादासन की मुद्रा से सीधे उठते हुए लंबी गहरी सांस लें, बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं और दायें पैर के घुटने को मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं। कंधों को टाइट रखें और आसमान की ओर देखते हुए गर्दन को धीरे - धीरे पीछे की ओर ले जाएं।
दंडासन
दंडासन आपके मसल्स को मजबूत रखता है और बॉडी को एक अच्छी शेप देता है। इसके लिए सबसे पहले अपने दोनों हांथों को जमीन पर रखें और बिल्कुल पीछे की ओर ले जाते हुए पंजों को बराबर रखें।
अष्टांग नमस्कार
अष्टांग नमस्कार करने से मांसपेशियों में खिंचाव आता है। साथ ही नियमित रूप से इस योग का अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। इसके लिए सबसे पहले पेट के बल मैट पर लेट जाएं। अब गहरी सांस लेते हुए हथेलियों को पसलियों के पास लाएं। पैर के अंगूठे और घुटने को जमीन पर रखते हुए कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं। सीने व ठोड़ी को जमीन पर रखें। 10 से 15 सेकेंड इसी मुद्रा में रहें, फिर धीरे धीरे सामान्य मुद्रा में आएं।
भुजंगासन
भुजंगासन को कोबरा पोज भी कहा जाता है। इस योगासन को करने से रीढ़, बाजू और कमर में खिंचाव आता है। साथ ही हाथ और कमर की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।
इसके लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अब अपने हांथ के बल शरीर के अगले भाग को ऊपर की ओर उठाएं। एक से दो मिनट इस मुद्रा में रहें और फिर अपनी वास्तविक अवस्था में आ जाएं। ऐसा कम से कम 2 से 3 बार करें।
अधोमुख शवासन
अधोमुख शवासन को सभी आसनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले मैट पर पेट के बल लेट जाएं। इसके सांस खींचते हुए अपने शरीर को हांथ और पैर के बल उठाएं। इस दौरान आपके कंधे और हांथ एक सीध में रहेंगे। साथ ही पैर पीछे की ओर रहेंगे। इसे सभी आसनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
अश्व संचालासन
यह आके रीड़ की हड्डी व मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। इसके लिए अपने दोनों हांथों को एक सीध पर रखें। अब नीचे की ओर झुकते हुए हांथों को जमीन पर रखें और अपने पैर के पंजों को छुएं। इस मुद्रा में कम स कम 10 से 15 सेकेंड तक रहें। इसके बाद धीरे धीरे वास्तविक अवस्था में आ जाएं।
अश्व संचालासन
अश्व संचालासन की मुद्रा से वास्तविक मुद्रा में आते हुए धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें, इसके बाद इस अवस्था में पीछे की ओर जाएं और धीरे धीरे विश्राम की अवस्था में आएं। आपको कोशिश करना है कि 1 से 2 मिनट तक इस अवस्था में बने रहें।
पर्वतआसन
यह तेजी से वजन कम करने के साथ मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है। इसके लिए सबसे पहले दंडासन की स्थिति में आ जाएं। अब दोनों हांथ को जमीन पर रखते हुए शरीर को ऊपर की ओर उठाएं। इसे सभी आसनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ध्यान रहे इस दौरान आपको धीरे धीरे सांस छोड़ना है।
प्रणामासन
प्रणासामन सभी आसनों में सबसे सरल माना जाता है। इसके लिए हस्तउत्तनासन की मुद्रा से सामान्य मुद्रा में वापस आएं। अब सावधान की स्थिति में अपने दोनों पंजो को सटा लें और हांथ को सीने पर सटाकर प्रणामासन की मुद्रा में आ जाएं।
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आदित्य सिंह author

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या का रहने वाला हूं। लिखने-पढ़ने का शौकीन, राजनीति और शिक्षा से जुड़े मुद्दों में विशेष रुचि। साथ ही हेल्...और देखें

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