पसीने पर 15 मशहूर शेर: न मैं समझा न आप आए कहीं से, पसीना पोछिए अपनी जबीं से.., दिल जीत लेगी पसीने पर शायरी

पसीने पर चुनिंदा शेर: सूरज की तपिश से निकला पसीना शरीर को भिगो देता है। इसी पसीने पर ना जाने कितने ही शायरों ने अपनी कलम से सजाया है। इन शायरों ने पसीने को अपनी शायरी में इस तरह से इस्तेमाल किया कि पढ़ने-सुनने वाले उसी शायरी में डूब कर रह गए।

Sweat Shayari

पसीने पर 15 मशहूर शेर

पसीने पर शायरी: गर्मियों का मौसम अपनी रफ्तार पकड़ रहा है। धूप चुभने लगी है। कुछ दिनों में लू भी चलने लगेगी। गर्मियों की शुरुआत के साथ ही पसीना भी इंसान के शरीर का जरूरी हिस्सा बन जाता है। सूरज की तपिश से निकला पसीना शरीर को भिगो देता है। इसी पसीने पर ना जाने कितने ही शायरों ने अपनी कलम से सजाया है। इन शायरों ने पसीने को अपनी शायरी में इस तरह से इस्तेमाल किया कि पढ़ने-सुनने वाले उसी शायरी में डूब कर रह गए। आइए पढ़ते हैं पसीने से गढ़े चंद खूबसूरत शेर:

1. रुख़ पर पसीना जिस्म में रअशा जबीं प चीं

पूछा किधर चले तो ये बोले कहीं नहीं

- मीर अनीस

2. आंखों का अर्क़ रौगन-ए-बादाम से बेहतर

आरिज़ का पसीना है गुलाब-ए-गुल-ए-अहमर

- मिर्ज़ा सलामत अली दबीर

3. न मैं समझा न आप आए कहीं से

पसीना पोछिए अपनी जबीं से

- अनवर देहलवी

4. पसीने से मिरे अब तो ये रूमाल

है नक़्द-ए-नाज़-ए-उल्फ़त का ख़ज़ीना

- जौन एलिया

5. ये पसीना वही आंसू हैं जो पी जाते थे हम

'आरज़ू' लो वो खुला भेद वो टूटा पानी

- आरज़ू लखनवी

7. हो गया मिट्टी अगर मेरा पसीना सूख कर

देखना मेरे दरख़्तों पर समर आ जाएगा

- आसिम वास्ती

8. हलाल रिज़्क़ का मतलब किसान से पूछो

पसीना बन के बदन से लहू निकलता है

- आदिल रशीद

9. मिला दिया है पसीना भले ही मिट्टी में

हम अपनी आंख का पानी बचा के रखते हैं

- हस्तीमल हस्ती

10. ज़मीन के रुख़ पर जो है पसीना तो झिलमिलाती है मेरी मेहनत

ये चार-दीवारियां ये चादर गली सड़ी लाश को मुबारक

- फ़हमीदा रियाज़

11. अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहां

वो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था

- लाला माधव राम जौहर

12. ये सर्द सर्द ये बे-जान फीकी फीकी चमक

निज़ाम-ए-सानिया की मौत का पसीना है

- फ़िराक़ गोरखपुरी

13. माथे पे पसीना क्यूं आंखों में नमी कैसी

कुछ ख़ैर तो ही तुम ने क्या हाल-ए-जिगर देखा

- जिगर मुरादाबादी

14. पसीना मेरी मेहनत का मिरे माथे पे रौशन था

चमक लाल-ओ-जवाहर की मिरी ठोकर पे रक्खी थी

- नाज़िर सिद्दीक़ी

15. वो जीवन आज की रात आ के बरसाती है दीवाली

पसीना मौत के माथे पे छलकाती है दीवाली

- नज़ीर बनारसी

उम्मीद करते हैं कि पसीने पर लिखे मशहूर शायरों के ये चुनिंदा शेर आपको जरूर पसंद आए होंगे। आप चाहे तो इन शायरियों को अपने किसी खास को भी भेज सकते हैं।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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