Tehzeeb Hafi Shayari: ये एक बात समझने में रात हो गई है.., आपको अपने काबू में कर लेने का दम रखते हैं तहजीब हाफी के ये मशहूर शेर
Tehzeeb Hafi Shayari in Hindi: तहजीब हाफी ने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उर्दू में एम.ए. किया। उर्दू की तालीम ने उनके अल्फाजों को एक खूबसूरत मजबूती दी। तहज़ीब हाफ़ी की शायरी का कमाल ये है है कि वह दिल के तारों को छेड़ती है। उनके लफ़्ज़ों में ऐसा जादू है,जो सुनने पढ़ने वाला उसी में खो कर रह जाता है।

Tehzeeb Hafi Shayari in Hindi (तहज़ीब हाफ़ी शायरी), Tehzeeb Hafi Sher
Tehzeeb Hafi Shayari in Hindi: तहजीब हाफी का नाम पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय युवा शायरों में मजबूती से शुमार है। तहज़ीब हाफ़ी की शक्ल-ओ-सूरत में जो भोलापन,मासूमियत,बेसाख़्तगी और हर क़िस्म के बनावटीपन से परे एक स्वाभाविक आकर्षण है। उनकी यही झलक उनकी शायरी में भी पाई जाती है। पाकिस्तान के एक संपन्न परिवार में जन्मे तहजीब हाफी ने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उर्दू में एम.ए. किया। उर्दू की तालीम ने उनके अल्फाजों को एक खूबसूरत मजबूती दी। तहज़ीब हाफ़ी की शायरी का कमाल ये है है कि वह दिल के तारों को छेड़ती है। उनके लफ़्ज़ों में ऐसा जादू है,जो सुनने पढ़ने वाला उसी में खो कर रह जाता है। आइए पढ़ें तहजीब हाफी के कुछ चुनिंदा शेर:
Tehzeeb Hafi mushaira, Tehzeeb Hafi poetry
1. मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
2. तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
3. तुझ को पाने में मसअला ये है
तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे
4. बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता
हमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता
5. इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे
वर्ना हर चीज़ आरज़ी है मुझे
6. तमाम नाख़ुदा साहिल से दूर हो जाएँ
समुंदरों से अकेले में बात करनी है
7. पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे
मैं जंगल में पानी लाया करता था
8. अपनी मस्ती में बहता दरिया हूँ
मैं किनारा भी हूँ भँवर भी हूँ
9. ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
10. दास्ताँ हूँ मैं इक तवील मगर
तू जो सुन ले तो मुख़्तसर भी हूँ
11. वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं
वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता
12. मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूँ छोड़ के घर
ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है
13. मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ
वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता
14. मैं सुख़न में हूँ उस जगह कि जहाँ
साँस लेना भी शाइरी है मुझे
15. सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को
हाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है
बता दें कि तहजीब हाफी बड़े-बड़े मुशायरों के जरूरी चेहरे बन चुके हैं। दरअसल शायरी के पेशकश का उनका ढंग और अभिव्यक्ति व प्रस्तुती का अंदाज़ ऐसा होता है कि उन्हें पढ़ने और सुनने वाला उनका प्रशंसक हुए बिना नहीं रह पाता।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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