टॉयलेट पेपर से हो सकती है कैंसर जैसी गंभीर बीमारी, दिल की बीमारी का भी है खतरा

Toilet paper can increase risk of cancer: टॉयलेट पेपर को बनाने में खरतनाक कैमिकल का प्रयोग किया जाता है जो हमारे लिए बेहद खतरनाक होते हैं। शोध में सामने आया है कि टॉयलेट पेपर में मौजूद कैमिकल से पानी जहरीला हो रहा है।

टॉयलेट पेपर से हो सकती है कैंसर जैसी गंभीर बीमारी, दिल की बीमारी का भी है खतरा
Cancer Risk from Toilet Paper: आधुनिकता की होड़ में आज टॉयलेट पेपर का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाने लगा है। साफ-सफाई की दृष्टि से देखें तो ये अच्छा भी है लेकिन क्या आप जानते हैं इसे बनाने में कितने खतरनाक कैमिल्स का प्रयोग किया जाता है जो हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं। तेजी से विकास कर रहे महानगरों में टॉयलेट पेपर एक आम जरूरत की चीज बन गया है।
साफ-सफाई की ओर से देखा जाए तो ये ठीक भी है लेकिन वहीं बात करें इसके परिणामों की तो टॉयलेट पेपर को बनाने में खरतनाक कैमिकल का प्रयोग किया जाता है जो हमारे लिए बेहद खतरनाक होते हैं। ज्यादातर लोग पेपर का इस्तेमाल करने के बाद उसे फ्लश कर देते हैं जिस वजह से ये पेपर नाली से होता हुआ नालों और नदियों के पानी को जहरीला बनाते हैं। अमेरिका में हुए एक शोध में सामने आया है कि टॉयलेट पेपर में मौजूद कैमिकल से पानी जहरीला हो रहा है।

रिसर्च में हुआ खुलासा—

यह रिसर्च अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में की गई है जिसमें सामने आया है कि टॉयलेट पेपर में पर-एंड-पॉली फ्लोरो-अल्काइल सबस्टेंस यानी फोरवेर कैमिकल होता है जिसे हम फ्लश के माध्यम से शौचालयों में बहा देते हैं। इस शोध में 14 फेमस टॉयलेट पेपर ब्रांड की जांच की गई, जिसमें पता चला कि टॉयलेट पेपर को बनाने में 14 हजार प्रकार के फोकवेर कैमिकल का प्रयोग किया जाता है। जिनसे कैंसर, हार्ट रोग, लीवर रोग सहित अनेक तरह की बीमारियां हो सकती हैं।

प्रकृति को भी नुकसान पहुंचाते हैं टॉयलेट पेपर—

टॉयलेट पेपर की आपूर्ति के लिए दुनिया भर में रोजाना लगभग 25 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाते हैं क्योंकि टॉयलेट और टिश्यू पेपर का बेस पेड़ों से ही लिया जाता है। ईकोलॉजिस्ट मनु विद बताते हैं कि टॉयलेट पेपर में PFS होते हैं जो फॉरवेर कैमिकल भी कहे जाते हैं। जो हमारी त्वचा के संपर्क में आने पर स्किन कैंसर जैसी गंभीर समस्या को जन्म दे सकते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल 123 ग्राम प्रति व्यक्ति है जो अमेरिका के मुकाबले बहुत कम है लेकिन इसकी गंभीरता को समझते हुए हमें सोचना पड़ेगा कि क्या इसका कोई ऑर्गेनिक विकल्प हो सकता है। यदि हम कैमिकल्स के गंभीर परिणामों से बचना चाहते हैं तो हमें वापस प्रकृति की ओर ही लौटना पड़ेगा।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | लाइफस्टाइल (lifestyle News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author

अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। अपने न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत की सोच ए...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited