Tulsidas Best Motivational Quotes: 'दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान..', जीवन जीने का सटीक तरीका सिखाती हैं तुलसीदास की ये बातें
Tulsidas Motivational Quotes in Hindi: तुलसीदास ने अपने ग्रंथों में कई ऐसे दोहे (Tulsidas ke Dohe) लिखे हैं जो हमें जीने का सही मतलब और तरीका बताते हैं। आइए डालते हैं संत तुलसीदास (Tulsidas Success tips) के ऐसे ही कुछ दोहों पर एक नजर और समझते हैं कि सदियों पहले वह जीने (Tulsidas Life Quotes) का क्या तरीका बता गए हैं।
तुलसीदास के अनमोल विचार
Tulsidas Motivational Quotes: भारत की धरती ने अनेकों विद्वान और संत पैदा किये हैं। ऐसे लोगों में एक नाम है संत तुलसीदास (Goswami Tulsidas) का। तुलसीदास को सबसे बड़ा रामभक्त कहा जाता है। बताया जाता है कि जन्म लेते ही तुलसीदासजी (Tulsidas Life Lessons) के मुंह से राम नाम का शब्द निकला था इसलिए उनका नाम राम बोला रखा गया था। तुलसीदासजी ने रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक आदि कई ग्रंथों की रचना की है। तुलसीदास (Tulsidas Inspirational Thoughts) के दोहे हमें ना सिर्फ ईश्वर की भक्ति का रास्ता दिखाते हैं, बल्कि जीवन में सफलता (Tulsidas Motivational Quotes in Hindi) की राह पर भी ले जाते हैं।
तुलसीदास ने अपने ग्रंथों में कई ऐसे दोहे (Tulsidas ke Dohe) लिखे हैं जो हमें जीने का सही मतलब और तरीका बताते हैं। आइए डालते हैं संत तुलसीदास (Tulsidas Success tips) के ऐसे ही कुछ दोहों पर एक नजर और समझते हैं कि सदियों पहले वह जीने (Tulsidas Life Quotes) का क्या तरीका बता गए हैं:
Tulsidas Motivational Quotes in Hindi | तुलसीदास के अनमोल विचार | तुलसीदास के प्रेरक विचार
1. राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर।
अर्थात - इस दोहे के माध्यम से तुलसीदासजी कहते हैं कि खुशहाल जीवन के लिए व्यक्ति को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए। अपशब्द बोलने की बजाय राम का नाम जपे। इससे गुस्सा भी शांत होगा और रिश्तों में खटास भी नहीं आएगी।
2. काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान।
तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान।।
अर्थात - तुलसीदास जी के अनुसार जब किसी व्यक्ति पर काम यानी कामेच्छा, क्रोध, अहंकार और लालच हावी हो जाता है तो एक पढ़ा-लिखा और समझदार व्यक्ति भी अनपढ़ के तरह व्यवहार करने लगता है। इसलिए मनुष्य को इन सभी अवगुणों से बहुत दूर रहना चाहिए।
3. तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक।
अर्थात - विपरित हालातों में घबराएं नहीं। मुश्किल परिस्थिति में डर की बजाय बुद्धि का सही उपयोग करें। विवेक से काम लें। मुसीबत में साहस और अच्छे कर्म ही व्यक्ति को सफलता दिलाते हैं। ईश्वर पर सच्चा विश्वास रखें।
4. आवत ही हरषै नहीं नैनं नहीं सनेह।
तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह।।
अर्थात - तुलसीदासजी कहते हैं कि जिस जगह आपके जाने से लोग प्रसन्न नहीं होते हों, अर्थात लोगों के अंदर आपके लिए प्रेम या स्नेह ना हो, वहां कभी भी नहीं जाना चाहिए। फिर चाहे वहां धन की ही बारिश क्यों न हो रही हो।
5. तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर।
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।
अर्थात - तुलसीदास जी के अनुसार सुंदरता देखकर न सिर्फ मूर्ख बल्कि चालाक इंसान भी धोखा खा जाता है। मोर दिखने में बहुत सुंदर लगते हैं लेकिन उनका भोजन सांप है। इसलिए सुंदरता के आधार पर कभी व्यक्ति पर भरोसा न करें।
6. दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छांड़िए, जब लग घट में प्राण।।
अर्थात - तुलसीदासजी ने कहा है कि मनुष्य को दया कभी नहीं छोड़नी चाहिए। क्योंकि दया ही हर धर्म का मूल यानी जड़ है। वहीं सभी पाप के मूल में अभिमान होता है। वहीं अगर अभिमान मनुष्य के अंदर आ जाए तो विवेक समाप्त हो जाता है और वह गलत मार्ग पर चला जाता है।
7. आगें कह मृदु बचन बनाई। पाछें अनहित मन कुटिलाई।
जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई।
अर्थात - तुलसीदान जी कहते हैं जो मित्र आपके सामने कोमल वचन बोले लेकिन मन में उसके द्वेष की भावना हो तो ऐसे दोस्त का तुरंत त्याग कर दें। ऐसे कुमित्र सफलता के मार्ग में रोड़ा बनते हैं।
8. तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।
तिनके मुंह मसि लागहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।
अर्थात - तुलसीदास जी के अनुसार जो लोग दूसरों की बुराई कर खुद सम्मान पाना चाहते हैं, ऐसे लोग बहुत जल्द अपनी मान-प्रतिष्ठा खो देते हैं। इनके मुंह पर ऐसी कालिख पुत जाती है जो कभी नहीं मिटती। इसका मतलब है कि दूसरी की बुराई करने की बजाय अच्छे कर्म करें। इससे न सिर्फ कामयाबी मिलेगी बल्कि समाज में सम्मान के पात्र बनेंगे।
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