भोजपुरी का मशहूर सोहर है Panchayat 3 का हिंद के सितारा, जानिए क्या होता है सोहर, क्यों गाते हैं इसे, क्या है सोहर का राम और कृष्ण से कनेक्शन

Panchayat 3 Hind Ke Sitara Sohar: पंचायत 3 में हिंद के सितारा शीर्षक से जो सोहर गाया गया है, उसके बोल हैं- अइसन मनोहर मंगल मूरत, सुहावनि सुंदर सूरति हो, हे राजाजी, हे राजा जी…. एकरे त रहल ह जरूरत, मुहूरत खूबसूरत हो, हमरा जनाता बबुआ जीयम होइहे, नानाना, इस ललना डीएम होइंहे हो, ए ललना हिंद के सितारा इ त सीएम होइहें ओसे ऊपरा पीएम होइहें हो।

Sohar Panchayat 3

Panchayat 3 Hind Ke Sitara Sohar

सोहर: हाल ही में मशहूर वेब सीरीज पंचायत का तीसरा सीजन रिलीज हुआ है। पंचायत 3 (Panchayat 3) को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस वेब सीरीज के डायलॉग्स और सीन्स खूब वायरल हो रहे हैं। इस वेब सीरीज का एक गाना भी खूब वायरल हुआ है। इस गाने को आवाज दी है भोजपुरी सिंगर और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने। गाने के बोल हैं- हिंद के सितारा (Hind Ke Sitara)। दरअसल यह कोई गाना नहीं है बल्कि भोजपुरी का लोकगीत है। इसे सोहर कहते हैं। क्या होता है सोहर और किन मौकों पर गाया जाता है इसे। आइए जानते हैं सोहर से जुड़ी हर एक बात:

सोहर का मतलब

सोहर का शाब्दिक अर्थ है सुंदर या खूबसूरत। इस शब्द को भोजपुरी में किसी के रूप का बखान करने के लिए भी किया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाकों में सोहर का मतलब मांगलिक गीत से है। भारत में हर भाषा और संस्कृति में मंगलगान की परंपरा आदि काल से रही है। सोहर भी मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार का मंगलगान है।

गांवों में अगर किसी के घर से ढोलक की थाप और मंजीरे की आवाज़ आ रही हो और महिलाएं हंसते हुए गीत गा रही हों, तो समझ लीजिए कि ये खुशी घर पर किसी नन्हें- मुन्ने सदस्य के आने की है। दरअसल जब किसी घर में कोई बच्चा पैदा होता है, तो घर की महिलाएं खुशी का इज़हार करते हुए सोहर गाती हैं।

क्या गाते हैं सोहर में

सोहर गीत में बच्चे के जन्म, उसके घर वालों से संबंधित बातें, पकवानों और त्यौहारों से जुड़ी बातें शामिल होती हैं। सोहर सिर्फ बच्चे के जन्म पर ही नहीं बल्कि उससे संबंधित अवसरों जैसे गोदभराई, सतमासा या छठिहारी पर भी गाया जाता है।

सोहर में बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए महिलाएं बच्चे के मां-बाप, दादा-दादी समेत दूसरे रिश्तेदारों को बधाई देते हैं। सोहर के लिए ज्यादातर लोकगीतों की तरह ही किसी खास वाद्य यंत्र की जरूरत नहीं होती। महिलाएं द्वारा गाए जाने वाले सोहर में ढोलक के साथ लय में बजाई जा रहीं तालियां की खनक दिलों में उतर जाती है।

स्त्री के मानसिक और शारीरिक बदलाव का भी वर्णन है सोहर

सोहर बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री की मानसिक और शारीरिक स्थिति को भी बताता है। ग्रामीण महिलाओं के द्वारा गाए दजाने के कारण सोहर में तोड़ी सी अश्लीलता भी होती है। हालांकि भोजपुरी लोकगीतों में इसे अश्लीलता नहीं समझा जाता है। वैसे इसे अश्लीलता कहना गलत भी होगा क्योंकि सोहर में स्त्री के शारीरिक बदलावों का भी वर्णन होता है। इसका उदाहरण सोहर की इन पंक्तियों में देख सकते हैं:

"फागुन मास सेजिया पर गइली

चईत देहिया भारी भईल हो..

ललना रहरी के दाल ना घोटाला

त भात देखी हुली आवे ल हो।"

सोहर का राम और कृष्ण से नाता

भोजपुरी के लोक कलाकारों और भोजपुरी साहित्य के जानकारों का मानना है कि सोहर पहली बार भगवान कृष्ण के जन्म पर गाया गया था। भगवान कृष्ण जब यशोदा की गोद में पहली बार आए थे तब वहां की औरतों ने सोहर गाते हुए यशोदा और नंद को बधाई दी थी। यही कारण है कि आज भी कृष्ण जन्माष्टमी पर कई जगह सोहर गाने की प्रथा है।

"मथुरा में कृष्ण जी जनम ले बधईया बाजे गोकुला,

बधईया बाजे गोकुला में हो ए ललना

ए ललना नंद घर भइले गुलजार

अंगनवा होखे सोहर हो ए ललना

नंद घर भइले गुलजार अंगनवा होखे मंगल हो।"

इस सोहर के माध्यम से बताया जा रहा है कि कैसे मथुरा में भगवान कृष्ण के जन्म के बाद पूरे गोकुल में खुशी का माहौल है। नंद गांव में आनंद का जो क्षण है उसका वर्णन भी गीत में आता है। कृष्ण जन्माष्टमी के साथ ही कई जगह रामनवमी पर भी सोहर गाए जाते हैं। कुछ पुराने लोगों का मानना है कि कृष्ण से पहले भगवान राम के जन्म पर अयोध्या में सोहर गाया गया था। भगवान राम पर कई लोकप्रिय सोहर गाए और सुनाए जाते हैं। ऐसा ही एक सोहर है:

"कौशल्या के जन्मे ललनवा,

अवध बाजे बजनवा हो।

दशरथे के जन्मे ललनवा,

अवध में बाजे बजनवा हो।"

इस सोहर का मतलब है कि अवध में जब महाराज दशरथ और माता कौशल्या को पुत्र प्राप्ति हुई उस समय अयोध्या का समस्त जनमानस अति प्रसन्न था। संतान जन्म के बाद हमारे समाज में सोहर गाने की परंपरा थी। इसी परंपरा के अंतर्गत भगवान राम के जन्म पर महाराज दशरथ के घर औरतें यह सोहर गीत गाती हैं और खुशियां मनाती हैं।

पहले महिलाएं ही गाती थीं सोहर

सोहर भोजपुरी की ऐसी लोककला है जिसे सिर्फ महिलाएं ही गाया करती थीं। लेकिन बदलते समय के साथ कई पुरुष लोक गायक भी सोहर गा रहे हैं। हालांकि आज भी गांवों में जब बच्चा होता है तो गांव और आसपास की महिलाएं ही सोहर गाती हैं। कुछ लोग जब बच्चे के जन्म का जश्न मनाते हैं तब वह सोहर गाने के लिए बाहर से लोक कलाकारों को बुलाते हैं।

इन पुरुष गायकों ने सोहर को बनाया पॉपुलर

वाराणसी के मशहूर पद्मविभूषण पंडित छन्नू लाल महाराज ने सोहर को नया आयाम दिया। छन्नू लाल के गाए सोहर खूब पॉपुलर हुए। आज भी लोग छन्नू लाल महाराज के ही गाए सोहर इंटरनेट पर सुनते और सुनाते हैं। पंडित जी का एक मशहूर सोहर है जो खूब सुना जाता है उसके बोल कुछ इस तरह से हैं:

"मोरे पिछवरवा चन्दन गाछ अवरो से चन्दन हो

रामा सुघर बडइया मारे छेवर लालन जी के पालन हो॥

रामा के गढउ खडउवा लालन जी के पालन हो,

रामा जसुमती ठाढ़ी झुलावैं लालन जी के पालन हो॥"

छन्नू लाल जी महाराज के अलावा सोहर की विधा को अपनी अनूठी आवाज से पॉपुलर करने में व्यास राजन महाराज का भी नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इनके अलावा हाल ही में मनोज तिवारी ने जिस तरह से पंचायत 3 के लिए सोहर को अपनी आवाज दी है वो भी काफी पॉपुलर हो रहा है।

सोहर के बोल में बदलाव

पहले जो सोहर गाए जाते थे तो उसमें बच्चे के जीएम, सीएम या पीएम बनने की बात नहीं होती थी। पहले कल्पना की जाती थी कि बच्चा राम की तरह मर्यादा पर चलने वाला होगा। ज्ञानी होगा। देश और समाज का नाम रोशन करेगा। लेकिन हर चीज को बाजारवाद और जनसुलभ बनाने के इस दौर में बच्चे को डीएम, सीएम और पीएम बनने की कामना के साथ सोहर गाए जा रहे हैं। जब समय बदला तो नए पदों तक उनके पहुंचने की कामना की जाने लगी।

पहले सोहर खासतौर पर बेटे के जन्म पर गाया जाता था। लेकिन अब वो परंपरा टूटी है। अब लड़की के जन्म पर भी सोहर गाए जाते हैं। भोजपुरी ग्रामीण समाजल में बहुत ज्यादा परिवारों ने तो इसे नहीं अपनाया है लेकिन कई भोजपुरी कलाकार ऐसे हैं जो लड़की के जन्म पर भी सोहर गा रहे हैं। इनके सोहर खूब पसंद भी किये जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर भोजपुरी की मशहूर कलाकार अक्षरा सिंह ने पढ़ लिख के बबुनी नाम से एक म्युजिक एल्बम रिलीज किया था। इस एल्बम को खूब पसंद किया गया है।

फिल्मों में सोहर

भोजपुरी की कई फिल्मों में सोहर सुने जा सकते हैं। हालांकि जो सोहर सबसे ज्यादा पॉपुलर है वो है फिल्म सजनवा बैरी भइले हमार का। फिल्म में मशहूर एक्ट्रेस दीपिका पर सोहर फिल्माया गया है। इस सोहर के बोल हैं-

"जुग जुग जिय सु ललनवा,

भवनवा के भाग जागल हो,

ललना लाल होइहे,

कुलवा के दीपक मनवा में,

आस लागल हो॥"

अभी कुछ साल पहले ब्लेड बनाने वाली कंपनी जिलेट ने एक विज्ञापन बनाया था जो बहुत प्रसिद्ध हुआ था लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता होगा इस विज्ञापन में जो गीत का प्रयोग हुआ था वो बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध सोहर लोकगीत था। आप ये विज्ञापन यहां देख सकते हैं।

पंचायत 3 के सोहर का मतलब

Panchayat 3 Sohar Lyrics and Meaning: पंचायत 3 में हिंद के सितारा शीर्षक से जो सोहर गाया गया है, उसके बोल हैं- अइसन मनोहर मंगल मूरत, सुहावनि सुंदर सूरति हो, हे राजाजी, हे राजा जी…. एकरे त रहल ह जरूरत, मुहूरत खूबसूरत हो, हमरा जनाता बबुआ जीयम होइहे, नानाना, इस ललना डीएम होइंहे हो, ए ललना हिंद के सितारा इ त सीएम होइहें ओसे ऊपरा पीएम होइहें हो। इसमें आने वाले बच्चे के लिए मंगलकामना की जा रही है कि उसका रूप रंग बहुत मंगलकारी है। वह आगे चल कर देश का चमकता सितारा बनेगा। इसी की जरूरत थी। मूहूर्त भी बहुत अच्छा है। ये बालक आगे चल कर जीएम बनेगा। लेकिन मंगलकामना देने वाले का मन नहीं भरता। वो इससे आगे डीएम, उससे भी ऊपर जाकर सीएम और आखिरकार उसके पीएम यानी प्रधानमंत्री बनने की शुभकामना देता है।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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