Kids Eye Care: बच्चों के चश्मे का बढ़ता नंबर कर रहा है परेशान, तो पैरेंट्स ऐसे करें समस्या का हल
Kids Eye Care: आंख शरीर का एक जरूरी और नाजुक अंग होता है। हालांकि, आजकल बच्चों में गैजेट्स और फोन के प्रति बढ़ते रुझान की वजन से बच्चों की कम उम्र में ही आंखें कमजोर होने लगी हैं। इसके लिए पैरेंट्स को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि कम उम्र में बच्चों की आंखें कमजोर न हों।
Week Eyesight In Children
मुख्य बातें
- आंखों को हर 6 महीने में कराएं रुटीन टेस्ट
- बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर डाइट दें
- बच्चों के लिए गैजेट्स का टाइम निर्धारित करना है जरूरी
Kids Eye Care: आजक बच्चे बाहर खेलने कूदने के बजाय फोन, लैपटॉप, टीवी और वीडियो गेम्स खेना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसा करने से उनकी आंखों की रोशनी कम होने खतरा काफी बढ़ जाता है। बच्चों की नजरें कमजोर होने पर उनके आंखों में दर्द, लालपन, धुंधला दिखाई देना और सिर में दर्द होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे में कम उम्र में ही बच्चों की आंखों पर चश्मा चढ़ जाता है। हालांकि, यदि माता-पिता कुछ बातों का ध्यान रखें और बच्चों को ज्यादा फोन व टीवी न देखने दें, तो बच्चों में होने वाली इस समस्या को रोका जा सकता है। तो चलिए जानते हैं कि बच्चों की आंखों को कमजोर होने से बचाने के लिए पैरेंट्स क्या-क्या कर सकते हैं।
विटामिन और मिनरल्स से भरपूर हो बच्चों की डाइट
कमजोर आंखों का एक कारण खाने में पोषक तत्वों की कमी भी हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों की डाइट में सभी पोषक तत्व, जैसे- विटामिन ए, सी, ई और जिंक एंटी-ऑक्सीडेंट्स शामिल होने चाहिए। आखों की हेल्थ को बनाए रखने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड भी बहुत जरूरी होता है। इसके लिए बच्चों की डाइट में गाजर, ब्रोकली, पालक, स्ट्रॉबेरी और शकरकंद को शामिल किया जा सकता है।
गैजेट्स को रखें दूर
आजकल मांएं भी बच्चों का ध्यान बंटाने के लिए उनके हाथों में गैजेट्स थमा देती हैं, जो उनकी आंखों को कमजोर करने का काम करते हैं। ऐसे में मांओं को चाहिए कि वे अपने बच्चों को ज्यादा गैजेट्स का इस्तेमाल न करने दें। इसके लिए खुद भी टाइम निकालें और बच्चों के साथ कुछ माइंड गेम्स खेंले, ताकि उनका दिमाग भी शार्प हो।
बच्चों की आंखों का रुटीन टेस्ट कराएं
आंखें शरीर का एक नाजुक हिस्सा होता है। ऐसे में आंखों के स्वास्थ्य के लिए समय-समय पर आंखों का रुटीन चेकअप अवश्य कराना चाहिए, ताकि किसी समस्या को शुरुआती दौर में ही खत्म किया जा सके। इसके लिए हर 6 महीने में आंखों का टेस्ट अनिवार्य रूप से कराया जाना चाहिए।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।)
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