What is Co-sleeping: क्या होती है को-स्लीपिंग, किस वजह से है चर्चा में, जानें कब तक रहती है फायदे में
What is Co-sleeping (क्या होती है को-स्लीपिंग): नवजात का भोजन का स्रोत केवल मां का दूध होता है और मां के पास ही वह शांत रहता है। जैसे ही वह थोड़ा बड़ा होता है उसका कमरा अलग कर दिया जाता है, लेकिन अगर वह तब भी साथ में सोए तो इसके कई फायदे हो सकते हैं। आइए जानते हैं को-स्लीपिंग के फायदे और किस उम्र तक बच्चे को साथ सुलाना चाहिए।
क्या होती है को-स्लीपिंग
What is Co-sleeping (क्या होती है को-स्लीपिंग): बच्चा जब पैदा होता है, तब मां का स्पर्श बच्चे के लिए बड़ा फायदेमंद होता है। इसी कारण प्रीमैच्योर बेबीज और कम वजन वाले बच्चों की देखभाल के लिए कंगारू मदर केयर या कंगारू केयर अपनाई जा रही है। जिसमें मां और बच्चे का स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट कराया जाता है। इससे शिशुओं और माता के बीच संबंध तो मजबूत होता ही है, साथ ही शिशु की हृदय गति, सांस लेने की दर और वजन में सुधार भी हो सकता है।
इसी खास केयर की वजह से नवजात माता पिता के साथ सोता है, जिसे को-स्लीपिंग कहते हैं। थोड़ा बड़ा होने पर बच्चे का कमरा और बिस्तर अलग कर दिया जाता है, सवाल उठता है कि किस उम्र में उनका बिस्तर अलग करना ठीक होगा। आइए जानते हैं को-स्लीपिंग कितनी जरूरी है, इसके फायदे क्या हैं और किस उम्र तक को-स्लीपिंग की जा सकती है।
को-स्लीपिंग क्या होती है (What Is Co Sleeping In Hindi)
एक वाक्य में कहें तो को-स्लीपिंग का मतलब है, माता-पिता और शिशु का एक ही बिस्तर पर या एक ही कमरे में सोना। यह शिशु के पालन-पोषण में एक पारंपरिक और प्राकृतिक तरीका है। ये तीन तरह का हो सकता है।
- बेड-शेयरिंग: इसमें माता-पिता और शिशु एक ही बिस्तर पर साथ सोते हैं।
- रूम-शेयरिंग: इसमें शिशु और माता-पिता एक ही कमरे में अलग-अलग बिस्तरों पर सोते हैं।
- अटैच्ड क्रिब: इसमें बच्चे का बिस्तर माता-पिता के बिस्तर से जुड़ा रहता है।
किस उम्र तक बच्चों को साथ सुलाना चाहिए (up to what age co sleeping is good)
बच्चों के साथ को-स्लीपिंग की उम्र कोई तय नहीं है। अलग-अलग एक्सपर्ट इसपर कई राय रखते हैं, इसमें संस्कृतियों का भी योगदान होता है। हमारे यहां इसके लिए ठीक उम्र 7 साल कही जाती है। बच्चों के ठीक मानसिक विकास के लिए 7 साल की उम्र तक पास में ही सुलाना चाहिए। अब जानते हैं को-स्लीपिंग कितनी जरूरी है और इसके फायदे क्या हैं।
benefits of co sleeping
को-स्लीपिंग के फायदे
को-स्लीपिंग शिशुओं और माता-पिता दोनों को कुछ लाभ हो सकते हैं, इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार और तनाव में कमी तो होती ही है साथ ही माता-पिता का शिशु के पास रहने से संबंध भी बेहतर होते हैं। आइए को-स्लीपिंग के फायदों पर एक नजर डालते हैं।
- मजबूत रिश्ता: बच्चे को साथ सुलाने से माता-पिता और बच्चे को सुरक्षित और अपनापन महसूस होता है, जिससे उनका भावनात्मक विकास बेहतर होता है। जिससे पैरेंट्स और शिशु के बीच रिश्ता मजबूत होता है।
- भावनाओं पर नियंत्रण: बच्चे अपने माता-पिता के पास सोकर अपनी भावनाओं पर काबू करना सीखते हैं।
- सुरक्षा की भावना: को-स्लीपिंग से बच्चे की सुरक्षित महसूस करते हैं। जिससे उनमें चिंता और तनाव में कमी होती है।
- कॉर्टिसोल में कमी: कुछ रिसर्च बताती हैं कि को-स्लीपिंग से तनाव पैदा करने वाले हार्मोन, कॉर्टिसोल में 30% की कमी आ सकती है।
- बेहतर नींद: को-स्लीपिंग से बच्चों की नींद अच्छी हो जाती है, वे रात में कम जगते हैं।
कई विशेषज्ञ को-स्लीपिंग का समर्थन करते हैं यदि इसे सुरक्षित तरीके से किया जाए। लेकिन यह निर्णय माता-पिता की प्राथमिकता, उनकी परिस्थितियों और बच्चे की सुरक्षा पर निर्भर करता है।
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मेधा चावला author
हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दो...और देखें
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