Helicopter Parenting: क्या होती है हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग, क्यों इसमें घिरते जा रहे पैरेंट्स, इसे क्यों खतरनाक मानते हैं एक्सपर्ट्स
What is Helicopter Parenting (क्या है हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग): कुछ पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों को भरपूर आजादी देते हैं। उन्हें उनके फैसले खुद लेने देते हैं। जहां जरूरत होती है वहीं दखलअंदाजी करते हैं। वहीं कुछ पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो बच्चों की जिंदगी में अपने भरपूर दखल को ही सरी पैरेंटिंग मानते हैं।
What is Helicopter Parenting in Hindi
Helicopter Parenting and its effects on child: माता पिता के लिए बच्चों की सही परवरिश एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। पैरेंटिंग एक ऐसी चीज है जिसे हर कोई अपने तरीके से करता है। अच्छी पैरेंटिंग कैसे की जाए, इसके लिए लोग तरह-तरह के विकल्प तलाशते हैं। माता-पिता इन विकल्पों में से सबसे बेहतर चुनते हैं और बच्चों पर लागू करते हैं। वैसे बच्चों के साथ कोई निर्देश पुस्तिका नहीं होती है। उनके मन में जो आता है वो करते हैं। सभी माता-पिता अपने बच्चों को खुश देखना चाहते हैं और उनकी परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें जब भी मौका मिलता है, वो सबसे आगे खड़े होते हैं और अपने बच्चे को सपोर्ट करते हैं।
कुछ पैरेंट्स बच्चों की जिंदगी में कुछ इस तरह से इन्वॉल्व हो जाते हैं कि उन्हें अपनी गलती का अहसास ही नहीं होता। वह अपने बच्चे के सिर पर दिनभर हेलिकॉप्टर की तरह मंडराने लगते हैं। बस यहीं से हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग की शुरुआत होती है।
क्या होती है हैलिकॉप्टर पैरेंटिंग (What is Helicopter Parenting)
कुछ पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों को भरपूर आजादी देते हैं। उन्हें उनके फैसले खुद लेने देते हैं। जहां जरूरत होती है वहीं दखलअंदाजी करते हैं। वहीं कुछ पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो बच्चों की जिंदगी में अपने भरपूर दखल को ही सरी पैरेंटिंग मानते हैं। बच्चों की जिंदगी में मां-बाप की हद से ज्यादा दखलअंदाजी को ही हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग कहते हैं। हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग शब्द का सबसे पहले जिक्र 'बीटवीन पेरेंट एंड टीएनजर' नाम की किताब में हुआ था। इस किताब को डॉ. हेम गिनोट ने 1969 में लिखा था।
हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग क्यों अपना रहे पैरेंट्स (Why Parents Choose Helicopter Parenting)
बच्चों की बेहतर देखभाल से लेकर उन्हें हर अच्छी बुरी बात के बारे में समझाना पेरेंट्स के लिए हमेशा आसान नहीं होता है। कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चे जाने अनजाने में गलत कदम उठा लेते हैं। यह पैरेंट्स के लिए काफी तनाव भरा होता है। ऐसी परेशानियों से बचने के लिए कई पेरेंट्स बच्चों पर 24 घंटे कड़ी नजर रखने लगते हैं। बच्चों की जिंदगी में उनका दखल बढ़ जाता है। वे बच्चों के खाने-पीने से लेकर सोने-जागने तक हर चीज का हद से ज्यादा ख्याल रखने लगते हैं।
पेरेंट्स को लगता है कि ऐसा करके वह बच्चे को अच्छी परवरिश दे रहे हैं। लेकिन ऐसे पैरेंट्स को यह नहीं पता होता है कि हद से ज्यादा निगरानी और अत्यधिक कंट्रोल करने की आदत को पैरेंटिंग नहीं बल्कि ओवर पेरेंटिंग माना जाता है। हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग भी ओवर पैरेंटिंग की श्रेणी में ही आती है।
हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग के और भी कई कारण हैं (Reasons of Helicopter Parenting:
- कुछ पैरेंट्स अपने बच्चों के फ्यूचर को लेकर इतने चिंतित होते हैं कि वह हमेशा उन्हें प्रोटेक्ट करते नजर आते हैं। वो नहीं चाहते कि बच्चे को किसी भी चीज में उलझना पड़े। इस कारण से वह अपना दखल बढ़ा देते हैं।
- बच्चों को हताश और दुखी देखकर भी मां-बाप चिंतित या भावुक हो जाते हैं। ऐसे में पैरेंट्स अपने बच्चे को हर तकलीफ से बचाने के लिए सब कुछ अपने कंट्रोल में ले लेते हैं।
- कुछ मामलों में हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग की शुरुआत वहीं से हो जाती है जब बच्चों की जब बच्चों की सफलता या उपलब्धि में मां-बाप अपनी सफलता महसूस करने लगते हैं।
- कुछ पैरेंट्स तो इतना ज्यादा सोचते हैं कि उन्हें लगता है कि कल को कोई उनकी पैरेंटिंग पर उंगली न उठा दे। इस दबाव के कारण भी वह हेलिकॉप्टर पैरेंट्स की तरह बर्ताव करने लगते हैं।
हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग का बच्चों पर असर ( Effects of helicopter parenting on child)
1. मनोबल में कमी
हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग से बच्चों के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में कमी आ सकती है। इससे बच्चे अपनी क्षमता पर भरोसा नहीं करते हैं और कभी ये जान ही नहीं पाते हैं कि वो खुद से क्या कर सकते हैं।
2. गलतियों से सीख नहीं पाते बच्चे
हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग का सबसे बड़ा नुकसान ये भी है कि बच्चे अपने फैसले खुद नहीं लेते। इस कारण से उनमें निर्णय लेने और गलती करने का स्कोप नहीं बचता। किसी भी बच्चे के स्किल्स तभी डेवलप होते हैं जब वह अपनी गलतियों से सीखता है। ऐसे में हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग उस स्कोप को खत्म कर देती है।
3. नहीं बन पाते फ्लेक्सिबल
हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग में पैरेंट्स अपने बच्चों को हर मुसीबत से बचा कर रखते हैं। वह इतने नियंत्रित माहौल में पले बढ़े होते हैं कि वह जीवन में आने वाली मुश्किलों और चुनौतियों के साथ सामंजस्य नहीं बना पाते।
4. तनाव और चिड़चिड़ापन
माता-पिता के अत्यधिक दखल से कई बार बच्चे परेशान हो जाते हैं। यह परेशानी बढ़कर उनके जीवन में तनाव का कारण बन जाती है। हर बात में दखलअंदाजी से बच्चों में चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी दर्ज की जाती है।
5. डिसीजन मेकिंग की कमी
हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग में पले बच्चे निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते। दरअसल उनके लिए हमेशा पैरेंट्स ने फैसले लिये होते हैं। इस कारण उनमें लॉजिकल थिंकिंग डेवलप नहीं हो पाती। जब जरूरत पड़ती है किसी बात पर निर्णय लेने की तो उनमें हमेशा कॉन्फिडेंस की कमी नजर आती है।
6. दूर भागने लगता है बच्चा
अत्याधिक दखल से परेशान होकर बच्चा घुन महसूस करने लगता है। उसे लगता है कि वह अपने मां-बाप के साथ नहीं बल्कि किसी सख्त अध्यापक के साथ रहता है। ऐसे में वह अपने ही मां-बाप से दूर होने लगता है। दोनों के बीच संबंध उतने बेहतर नहीं बन पाते जितना सामान्य पैरेंट्स और बच्चों के होते हैं।
हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग से कैसे बचे पैरेंट्स (How to Avoid Helicopter Parenting)
- सबसे पहले तो अपने बच्चे पर पूरा विश्वास रखें। आप हमेशा यह मानें कि वह जो करेगा ठीक करेगा। कुछ गलत करेगा तब आप उसे टोकें।
- जितना हो सके बच्चों को अपने निर्णय खुद लेने दें। उसे सिखाएं कि अपने फैसले लेने का रिस्क उन्हें बहुत आगे तक ले जाएगा।
- बच्चों को ओपन कॉम्यूनिकेशल का मौका दें। जब आप उन्हें हर बात शेयर करने का मौका देंगे तो वे अपनी बात बेहतर तरीके से एक्सप्रेस करना सीखेंगे और अपनी जरूरतों को बता पाएंगे।
- बच्चों को परेशान देख बहुत ज्यादा परेशान न हों। उन्हें उनके जीवन की परेशानियों से खुद लड़ने दें। जब आपको लगे कि उससे नहीं हो पाएगा तभी दखल दें।
- बच्चे को असफलता को जीवन बेहतर करने के अवसर के रूप में समझने के लिए प्रोत्साहित करें।
- बच्चों से संवाद बनाए रखें। उन्हें आप अपनी राय या सलाह दें। बस किसी तरह की सलाह थोपें नाा।
- अपने जीवन में निर्णय लेने की क्षमता, समस्याओं और चुनौतियों का सामना करते हुए उनके लिए अच्छा उदाहरण बनें। बच्चे आपको देखकर जीवन के महत्वपूर्ण सबक सीखते हैं।
हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
साल 2014 में एक स्टडी में सामने आया कि जिन बच्चों की परवरिश हेलिकॉप्टर पैरेंटिंग स्टाइल से हुई उनमें चिंता और ड्रिपेशन की दवाएं लेने का खतरा अधिक था। सेंटर फॉर द ट्रीटमेंट ऑफ एंग्जायटी डिजॉर्डर के डायरेक्टर कैरोलिन डाइच के मुताबिक हेलिकॉप्टर पैरेंट्स की ओवर कंट्रोलिंग और ओवर प्रोटेक्टिंग रवैया बच्चों में एंजायटी और आत्मविश्वास की कमी जैसे खतरे बढ़ाने लगती है।बच्चे लोगों से मोलजोल करने से डरते हैं। अकेलापन उन्हें परेशान करता है और खुद को हर वक्त प्रेशर में महसूस करते हैं।
इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी और स्टडी का सार समझा जाए तो पैरेंट्स को हेलिकॉप्ट पैरेंटिंग से हर हाल में बचना चाहिए। सारे एक्सपर्ट्स यही बताते हैं कि बच्चों को गलतियां करने दें। उन्हें परफेक्ट बनाने की कोशिश ना करें। इस कोशिश में आप अपने बच्चे की हर प्रतिभा को गला घोंट रहे होते हैं।
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Suneet Singh author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया क...और देखें
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