Home Schooling क्या है? बच्चों की जिंदगी बदल रहा ये कॉन्सेप्ट, जानिए होम स्कूलिंग के फायदे और नुकसान

What is Home Schooling: होम स्कूलिंग का कॉन्सेप्ट आज से 55 साल पुराना है। यह शब्द तब चलन में आया जब दुनिया भर के मशहूर लेखकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने एजुकेशन सिस्टम में सुधार पर लिखना शुरू किया। उन लोगों ने ये स्कूलिंग के विकल्पों पर कई तरह के मंथन के बाद पाया कि होम स्कूलिंग बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

What is Home Schooling and its Pros and Cons (होम स्कूलिंग के फायदे और नुकसान)

What is Home Schooling in Hindi, Pros and Cons of Home Schooling: हैदराबाद की रहने वालीं वैष्णवी अनंत ने 12 साल की उम्र से लिखना शुरू कर दिया था। आज 17 की उम्र में वह अब तक चार किताबें भी लिख चुकी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 5 सालों से वैष्णवी ने स्कूल का मुंह नहीं देखा है। बावजूद इसके वह पढ़ाई के साथ ही कई तरह की चीजें सीख चुकी हैं। दरअसल वैष्णवी ने अपनी पढ़ाई के साथ एक एक्सपेरिमेंट किया था। उन्होंने पारंपरिक स्कूल से अपना नाम कटवा लिया और घर पर ही पढ़ाई करने लगीं। पिछले 5 सालों से वह घर पर ही पढ़ाई कर रही हैं। उनके इस फैसले में उनके माता पिता का भरपूर साथ मिला। स्कूल छोड़ खुद से पढ़ाई करने को होम स्कूलिंग कहा जाता है। आजकल होम स्कूलिंग काफी ट्रेंड में है। आइए जानते हैं कि क्या होती है होम स्कूलिंग और इसके फायदे व नुकसान क्या हैं:

क्या होती है होम स्कूलिंग (What is Home Schooling)

होम स्कूलिंग उसे कहते हैं जब बच्चे बिना स्कूल गए घर बैठकर पढ़ाई करते हैं और स्कूल जैसी ही बातें घर पर सीखते हैं। बच्चों को एजुकेशन देने का कार्य आमतौर पर अभिभावक व ट्यूटर करते हैं। भारत में आमतौर पर बच्चों का शुरुआती विकास और एजुकेशन होम स्कूलिंग के जरिए ही होती है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो बच्चों को 6 साल की उम्र तक घर पर ही पढ़ाते हैं उसके बाद उन्हें सीधे पहली क्लास में दाखिला दिलवाते हैं। हालांकि बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो अपने किशोरावस्था में पहुंचकर भी होम स्कूलिंग का फायदा उठा रहे हैं। होम स्कूलिंग में माता-पिता बच्चे की स्कूली शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हैं।

What is Home Schooling in Hindi

होम स्कूलिंग का कॉन्सेप्ट आज से 55 साल पुराना है। यह शब्द तब चलन में आया जब दुनिया भर के मशहूर लेखकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने एजुकेशन सिस्टम में सुधार पर लिखना शुरू किया। उन लोगों ने ये स्कूलिंग के विकल्पों पर कई तरह के मंथन के बाद पाया कि होम स्कूलिंग बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

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