Kun Faya Kun Meaning: क्या होता है कुन फाया कुन का मतलब? कुरान ही नहीं ऋग्वेद और बाइबल में भी जिक्र, जानिए ईश्वर को क्यों कहते हैं रंगरेज
Kun Faya Kun Meaning in Hindi: साल 2011 में रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) की फिल्म रॉकस्टार (RockStar) रिलीज हुई थी। फिल्म का निर्देशन किया था इम्तियाज अली (Imtiaz Ali) ने। इस फिल्म ने रणबीर कपूर के करियर को बुलंदियों पर पहुंचा दिया था। फिल्म के सारे गाने सुपरहिट हुए थे। इसी फिल्म की एक सूफी कव्वाली थी जिसके बोल थे- कुन फाया कुन। इस गीत को लिखा था इरशाद कामिल ने गाया था मोहित चौहान, जावेद अली और एआर रहमान ने।
Kun Faya Kun Song Meaning in Hindi
Kun Faya Kun Lyrics Meaning in Hindi: हमारे आस पास बहुत से लफ्ज़ ऐसे हैं जिसे हम सुनते तो हैं लेकिन उनका मतलब नहीं जानते। शायद कभी जानने की कोशिश भी नहीं करते। ऐसा ही बहुत से गीतों के साथ भी होता है। कई बार कुछ गाने हमारे जहन में बैठ जाते हैं। गाने के बोल हमारे दिल दिमाग में घूमते हैं। इन गानों को गुनगुना को मन को खुशी और सुकून भी मिलता है। हमें फर्क नहीं पड़ता कि उस गाने के बोल का मतलब क्या है। लेकिन अंग सोचिए हमें उसका सही मतलब पता हो तो गाने का मजा कई गुना बढ़ जाएगा। ऐसा ही एक गाना है जिसके बोल है कुन फाया कुन। लेकिन क्या आपको पता है कि कुन फाया कुन का मतलब क्या होता है? अगर नहीं पता है तो हम आपसे वादा करते हैं कि इसका मतलब जान इस गीत से आपका प्यार और भी बढ़ जाएगा।
साल 2011 के नवंबर महीने में रणबीर कपूर स्टारर फिल्म 'रॉकस्टार' रिलीज हुई थी। फिल्म का निर्देशन किया था इम्तियाज अली ने। इस फिल्म ने रणबीर कपूर के करियर को बुलंदियों पर पहुंचा दिया था। फिल्म के सारे गाने सुपरहिट हुए थे। इसी फिल्म की एक सूफी कव्वाली थी जिसके बोल थे- कुन फाया कुन। इस गीत को लिखा था इरशाद कामिल ने गाया था मोहित चौहान, जावेद अली और एआर रहमान ने। संगीत से सजाया था एआर रहमान ने। इस गीत में दिखाया गया था कि कैसे फिल्म का नायक जब जिंदगी की उलझनों से परेशान हो जाता है हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पहुंचता है और वहां यह कव्वाली उसकी पूरी जिंदगी बदल कर रख देती है। दरअस इसमें एक अलग ही जादू है।
'कुन फाया कुन' को समझने से पहले उसकी अगली लाइन को पहले समझना पड़ेगा। इस कव्वाली में आगे लिखा गया है- 'जब कहीं पे कुछ भी नहीं था वही था वही था।' इस लाइन को ऋग्वेद से लिया गया है। इसका मतलब है कि जब इस सृष्टि में चांद सितारे सूरज धरती पेड़ पौधे नदियां झरने ये सब कुछ नहीं था तब भी कुछ था। ये कुछ कोई और नहीं वो परमात्मा है। जब कुछ नहीं था तब भी परमात्मा था जिसने सब बनाया। इसी बात को फिल्म केदारनाथ के शंकरा गाने में कुछ इस तरह से लिखा गया है- सृष्टी के जनम से भी पहले तेरा वास था, ये जग रहे या ना रहे रहेगी तेरी आस्था।
अब आते हैं कुन फाया कुन पर। यह कुरान शरीफ से लिया गया है। अरबी में लिखे कुन फाया कुन का मतलब होता है Be..and it is. मतलब कि उसने बोला हो और हो गया। कुरान की इस आयत के भाव को और अच्छे से समझें तो यहां अल्लाह की बात करते हुए कहा जा रहा है कि जब यहां कुछ नहीं था तो अल्लाह ने कहा ‘हो’ और फिर सब कुछ हो गया। मतलब कायनात अस्तित्व में आ गई। जब कुछ नहीं था तब भी अल्लाह था और जब कुछ नहीं होगा तब भी अल्लाह रहेगा।
इसी बात को बाइबल में भी लिखा गया है। बाइबल के Genesis 1:3 में लिखा गया है- God said, “Let there be light, and there was light". अर्थ ये है कि जब चारों ओर अंधेरा था। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। कुछ भी नहीं था तब परमेश्वर ने कहा कि उजाला हो और रोशनी जल गई।
मतलब कि इस एक गीत में जो बात कही गई है वही एक बात ऋग्वेद, कुरान और बाइबल में अलग अलग तरह से लिखा गया है। हर धर्म में माना गया है कि परमेश्वर के ही हाथ में सब है। जो वो चाहता है वही होता है। सूफीज़्म में उस ईश्वर या अल्लाह को इसीलिए रंगरेज कहा जाता है। रंगरेज वो होता है जो कपड़ों को रंगता है। रंगरेज कपड़ों को रंगने के एवज में कुछ पैसे लेता है जिसे रंगाई कहा जाता है। इसी कुन फाया कुन गीत में आगे लिखा गया है-
रंगरेज़ा रंग मेरा तन मेरा मन
ले ले रंगाई चाहे तन चाहे मन
यहां फिल्म का नायक जो सब कुछ हार कर चारों ओर से परेशान हो कर अपनी ही उलझनों में उलझकर अपने मुर्शीद के पास आया है और उससे कहता है कि आप मुझे अपनी शरण में ले लो। मुझे आप अपने रंग में रंग दो। मुझे आपसे अलग बनकर नहीं रहना है। मुझपर आपको अपना जो रंग चढ़ाना हो चढ़ा दो। बदले में मेरा ये तन मन सब ले लो।
इस गीत में एक जगह यह भी लिखा गया है कि हो मुझपे करम सरकार तेरा, कर दे मुझे मुझसे ही रिहा। यहां नायक ऊपरवाले से कह रहा है कि मुझे एक एहसान कर दीजिए। अहसान में आप मुझे मुझसे ही जुदा कर दीजिए। मतलब वह अपने बारे में जो सोच रखा है वो सब गलत है। वह तो वह है ही नहीं जो उसे लगता है वह है। तो इसलिए वह अल्लाह से इजारत कर रहा है कि मुझे मेरे असली रंग में रंग दो जो मैं हूं।
Kun faya kun song lyrics in Hindi Text ( कुन फाया कुन लिरिक्स इन हिंदी)
अब इस पूरे गीत को पढ़िए:
या निज़ामुद्दीन औलिया
या निज़ामुद्दीन सलक़ा
क़दम बढ़ा ले
हदों को मिटा ले
आजा ख़ालीपन में, पी का घर तेरा
तेरे बिन ख़ाली, आजा, ख़ालीपन में
तेरे बिन ख़ाली, आजा, ख़ालीपन में
रंगरेज़ा
रंगरेज़ा
रंगरेज़ा
रंगरेज़ा
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन, फ़या कुन
फ़या कुन, फ़या कुन, फ़या कुन
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन, फ़या कुन
फ़या कुन, फ़या कुन, फ़या कुन
जब कहीं पे कुछ नहीं भी, नहीं था
वही था, वही था, वही था, वही था
जब कहीं पे कुछ नहीं भी, नहीं था
वही था, वही था, वही था, वही था
वह जो मुझ में समाया
वह जो तुझ में समाया
मौला, वही वही माया
वह जो मुझ में समाया
वह जो तुझ में समाया
मौला, वही वही माया
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन
सदाकल्लाहुल अलियुल अज़ीम
रंगरेज़ा रंग मेरा तन मेरा मन
ले ले रंगाई चाहे तन चाहे मन
रंगरेज़ा रंग मेरा तन मेरा मन
ले ले रंगाई चाहे तन चाहे मन
सजरा सवेरा मेरे तन बरसे
कजरा अंधेरा तेरी जलती लौ
सजरा सवेरा मेरे तन बरसे
कजरा अंधेरा तेरी जलती लौ
क़तरा मिला जो तेरे पर से
ओ मौला, मौला
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन, फ़या कुन
फ़या कुन, फ़या कुन, फ़या कुन
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन, फ़या कुन
फ़या कुन, फ़या कुन, फ़या कुन
जब कहीं पे कुछ नहीं भी, नहीं था
वही था, वही था, वही था, वही था
जब कहीं पे कुछ नहीं भी, नहीं था
वही था, वही था, वही था, वही था
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन
सदाकल्लाहुल अलियुल अज़ीम
सदकरूसूल्लूह-उल-नबी-उल-करीम
सलल्लाह हु अलैहि वसल्लम
सलल्लाह हु अलैहि वसल्लम
हो मुझपे करम सरकार तेरा
अर्ज़ तुझे, कर दे मुझे, मुझसे ही रिहा
अब मुझको भी हो दीदार मेरा
कर दे मुझे, मुझसे ही रिहा
मुझसे ही रिहा...
मन के मेरे ये भरम
कच्चे मेरे ये करम
लेके चाले है कहाँ मैं तो जानूं ही न
तू है मुझमें समाया
कहाँ लेके मुझे आया
मैं हूँ तुझमें समाया
तेरे पीछे चला आया
तेरा ही मैं एक साया
तूने मुझको बनाया
मैं तो जग को न भाया
तुने गले से लगाया
अब तू ही है ख़ुदाया
सच तू ही है ख़ुदाया, ख़ुदाया
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन, फ़या कुन
फ़या कुन, फ़या कुन, फ़या कुन
कुन फ़या कुन, कुन फ़या कुन, फ़या कुन
फ़या कुन, फ़या कुन, फ़या कुन
जब कहीं पे कुछ नहीं भी, नहीं था
वही था, वही था, वही था, वही था
जब कहीं पे कुछ नहीं भी, नहीं था
वही था, वही था, वही था, वही था
कुन फया कुन, कुन फया कुन
सदाकल्लाहुल अलियुल अज़ीम
सदकरूसूल्लूह-उल-नबी-उल-करीम
सलल्लाह हु अलैहि वसल्लम
सलल्लाह हु अलैहि वसल्लम
उम्मीद करते हैं कि अपने इस पसंदीदा सूफी गीत के बोल का सही मतलब आपको समझ में आया होगा। और अगर समझ में आ गया तो एक बार फिर से इस गीत को सुनिए और अब समझने की कोशिश कीजिए कि असल में यह गीत है क्या। कैसे वेद, कुरान और बाइबल के संदेश को एक ही गीत में निचोड़ कर रख दिया गया है।
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