Panda Parenting Style: क्या होती है पांडा पैरेंटिंग, बच्चों के लिए इसे क्यों अपना रहे दुनियाभर के सेलेब्स, क्या है Panda Parenting के फायदे और नुकसान
What is Panda Parenting in Hindi (पांडा पैरेंटिंग क्या है): इस पैरेंटिंग स्टाइल में बच्चे जहां भी रास्ता भटकते हैं माता-पिता उनकी मदद के लिए मौजूद होते हैं। आसान शब्दों में समझा जाए तो पांडा पैरेंटिंग का मतलब है बच्चों को अपने निर्णय खुद लेने की आजादी देना जिससे कि वो खुद कुछ सीख सकें।
What is Panda Parenting in Hindi? Benefits of Panda Parenting, tips to adopt Panda Parenting Style
What is Panda Parenting style and their benefits: दुनिया का सबसे कठिन काम बच्चे को जन्म देना माना जाता है। लेकिन बच्चे को जन्म देने वाली मां की मानें तो उससे भी मुश्किल काम है बच्चे की अच्छी परवरिश। जी हां, बच्चों की सही पैरेंटिंग से बड़ा टास्क कुछ नहीं होता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बार कहा था कि कोई भी मूर्ख संतान पैदा कर सकता है। सिर्फ पैदा करने भर से आप पिता नहीं बन जाते। बच्चे को सही से पालने का साहस ही आपको पिता बनाता है। ओशो मानते थे कि मां बाप एक जरिया मात्र हैं किसी नवजात को इस दुनिया में लाने का। वह सही मायनों में अभिभावक तब बनते हैं जब वह उस नवजात की अच्छी परवरिश करते हैं।
हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे की परवरिश सबसे बेहतर हो। कुछ बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए उन्हें बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं तो कुछ ये जिम्मेदारी खुद संभालते हैं। पैरेंट्स अपने बच्चों को समझते हुए उनके हिसाब से अपनी पैरेंटिंग का स्टाइल बदलते रहते हैं। कुछ पैरेंट्स बच्चों के साथ सख्त होते हैं और उन्हें अनुशासन में रहना सिखाने पर जोर देते हैं तो कुछ माता-पिता बच्चों को थोड़ी छूट देते हैं। दुनिया के तमाम देशों में पैरेंटिंग के अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। ऐसा ही एक पैरेंटिंग स्टाइल है जिसे पांडा पैरेंटिंग कहते हैं। इस तरह की पैरेंटिंग आजकल खूब चलन में है।
क्या होती है पांडा पैरेंटिंग (What is Panda Parenting)
पांडा पैरेंटिंग उस तरह की पैरेंटिंग स्टाइल है जिसमें माता पिता अपने बच्चे को डिसिप्लिन में रखने के साथ उन्हें अपने फैसले खुद लेने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं। इस पैरेंटिंग में बच्चे जहां भी रास्ता भटकते हैं माता-पिता उनकी मदद के लिए मौजूद होते हैं। आसान शब्दों में समझा जाए तो पांडा पैरेंटिंग का मतलब है बच्चों को अपने निर्णय खुद लेने की आजादी देना जिससे कि वो खुद कुछ सीख सकें। इस तरीके से बच्चे और माता-पिता के बीच का रिश्ता मजबूत होता है और बच्चे आत्मनिर्भर बनते हैं।
पांडा पैरेंटिंग के फायदे (Benefits of Panda Parenting)
पांडा पैरेंटिंग की मदद से आप बच्चे का दूसरों से बेहतर मानसिक विकास कर सकते हैं। इस तरह की परवरिश से पल हुए बच्चे बहुत जल्द आत्मनिर्भर बन जाते हैं। पांडा पैरेंटिंग बच्चों के कॉन्फिडेंस लेवल को बढ़ाती है। इस पैरेंटिंग स्टाइल से आप बच्चों को लाइफ में बैलेंस लाने, अपने दिल की सुनने और अपना रास्ता खुद बनाने की प्रेरणा दे सकते हैं।
पांडा पैरेंटिंग की सबसे खास बात ये है कि ऐसे माहौल में पले बच्चों पर परफेक्ट बनने का प्रेशर नहीं होता है। उन्हें पता रहता है कि गलतियां किसी से भी हो सकती हैं। जरूरी ये है कि कैसे उन गलतियों को सुधारा जाए और भविष्य में उसे दोहराने से बचा जाए। पांडा पैरेंटिंग में बच्चों के बहुमुखी विकास की ढेरों संभावनाएं होती हैं। ये बच्चे छोटी उम्र से ही जिंदगी में अपनी मुश्किलों को खुद सुलझाने की कोशिश करना सीख जाते हैं।
पांडा पैरेंटिंग का तरीका ( How to adopt Panda Parenting)
पांडा पैरेंटिग बहुत आसान है। बस माता-पिता को इसमें कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। इंटरनेट पर रिसर्च और कई एक्सपर्ट्स के नोट पढ़ने के बाद हम आपके लिए कुछ अहम जानकारियां लाए हैं जिसे अपनाकर आप पांडा पैरेंटिंग कर सकते हैं:
- सबसे पहले तो आपको इस तरह की परवरिश में धैर्य रखना होगा। कुछ पैरेंट्स बच्चों की कुछ हरकतों पर तुरंत अपना पेशेंस खो देते हैं। ऐसा करने से बचना होगा।
- इस तरह की पेरेंटिंग स्टाइल में सबसे जरूरी है कि आप बच्चों को समय दें। पूरी गंभीरता से उनकी भावनाओं और विचारों को समझने की कोशिश करें। बच्चों से खुलकर बात करें।
- बच्चों पर हमेशा अपनी राय ना थोपें। किसी भी मुद्दे पर उनकी बात सुनें और उनसे सलाह मांगे। इस तरह से आप बच्चे को परिपक्व बनाते हैं।
- बच्चों को सवाल पूछने, एक्सपेरिमेंट करने, रिस्क उठाने, नियम तोड़ने, गलतियां करने और फन करने का मौका दें। आप बच्चे को परफेक्ट बनने के लिए प्रेशर मत डालें।
- अपने बच्चों को उनकी उम्र और समझ के हिसाब से छोटी-छोटी जिम्मेदार दीजिए। ऐसा करना बच्चों को जिम्मेदार बनाता है और उनमें ये समझ विकसित होती है कि वह भी कुछ कर सकते हैं।
- बच्चे की गलतियों पर उसे डांटने की बजाय आप उसे समझाएं कि आपने जो किया है वह गलत है और इसे किस तरह से सही किया सकता था। बच्चों को गलती सुधारने का मौका जरूर दें।
- बच्चा अगर कुछ अच्छा करता है तो उसकी तारीफ जरूर करें। लेकिन इसके साथ ही उसे यह भी बताएं कि आगे उसे इससे भी बेहतर करना है।
- बच्चा अगर किसी काम को गलत तरीके से कर रहा है तो भी उसे तब तक ना टोकें जब तक बहुत ही ज्यादा गलत हो। उसे अपने हिसाब से चीजें करने दें।
- बच्चों की बातों को महत्व दें। उन्हें अनसुना ना करें। उनसे कहें कि आप अपना काम अपने हिसाब से करो। वह जहां गलत हों आप उन्हें समझाएं।
पांडा पैरेंटिंग में इन बातों का रखें ध्यान
पांडा पैरेंटिंग के ढेर सारे फायदे के साथ ही एक नुकसान होने की भी संभावना है। इस संभावना को आप अपनी सतर्कता और समझदारी से खत्म कर सकते हैं। दरअसल इस तरह की पैरेंटिंग में आपको बच्चे को सही रास्ता दिखाना है लेकिन उसकी लाइफ को कंट्रोल करने की कोशिश नहीं करनी है। बच्चे को आजादी दें लेकिन इतनी नहीं है कि वो आपकी आंखों के सामने गलत रास्ते पर चला जाए। यहां पर बतौर पैरेंट्स आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि आपको किस तरह से चीजों को बैलेंस करके चलना है।
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Suneet Singh author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया क...और देखें
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