Human Rights Day 2024: क्यों मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस? क्या है इस साल का थीम? जानें सबकुछ
Human Rights Day 2024: अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है। इस साल इसकी थीम- भविष्य में मानवाधिकार संस्कृति को समेकित और कायम रखना (Consolidating and Sustaining Human Rights Culture into the Future) है।
Human Rights Day 2024
When Is Human Rights Day 2024? Date, Theme: दुनियाभर में 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस बड़े ही धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है। दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के अत्याचारों ने मानव अधिकारों के महत्व को एक अंतर्राष्ट्रीय प्राथमिकता बना दिया था, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की घोषणा की गई। साल 2024 की थीम 'भविष्य में मानवाधिकार संस्कृति को समेकित और कायम रखना' है।
क्या है मानवाधिकार दिवस का इतिहास?
संयुक्त राष्ट्र ने 10 दिसंबर, 1948 को विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवों के अधिकार के बारे में बात रखी थी। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस दिन की घोषणा 1950 में हुई। इस दिन अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस' मनाने के लिए असेंबली ने सभी देशों को आमंत्रित किया, जिसके बाद असेंबली ने 423 (V) रेज़्योलुशन पास कर सभी देशों और संबंधित संगठनों को इस दिन को मनाने की सूचना जारी की थी। मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा 500 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध हैं। वहीं, भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में लाया गया था और 12 अक्तूबर, 1993 को 'राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग' का गठन किया गया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को घोषणा पत्र को मान्यता दिए जाने पर 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस के लिए निश्चित किया गया।
क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस?
मानवाधिकार का अर्थ है- विश्व में रहने वाले प्रत्येक मानव को प्राप्त कुछ विशेष अधिकार जो विश्व को एक सूत्र में बांधते हों, हर व्यक्ति की रक्षा करते हों, उसे दुनिया में स्वतंत्रता के साथ जीवन यापन करने की छूट देते हों। किसी व्यक्ति के साथ किसी भी कीमत पर कोई भेदभाव न हो, समस्या न हो, सब शांति से खुशी- खुशी अपना जीवन जी सकें, इसलिए मानवाधिकारों का निर्माण हुआ। मानवाधिकार दिवस लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। मानव अधिकार का मतलब मनुष्यों को वो सभी अधिकार देना है, जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से मौजूद हैं और इन अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को अदालत द्वारा सजा दी जाती है। मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल है। मानवाधिकार वे मूलभूत नैसर्गिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि के आधार पर वंचित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।
भारत में मानवाधिकार-
भारत में 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया, जिसके बाद से मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य क्षेत्रों में भी काम करता है। जैसे मजदूरी, HIV एड्स, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार। मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। हालांकि भारत में अगर मानवाधिकारों की बात की जाए तो यह साफ है कि आज भी बहुत सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है, जबकि वे उनके खुद के अधिकार हैं। पिछड़े हुए राज्यों एवं गांवों में जहां साक्षरता का स्तर थोड़ा कम है, वहां मानवाधिकारों का हनन होना आम बात है। ऐसे इलाकों में जिन लोगों के पास ताकत है, वे इनका पालन नहीं करते और सामान्य लोगों पर दबाव बनाते हैं। शहरों में लोगों को मानवाधिकारों की जानकारी तो है लेकिन वो इनसे गलत फायदा भी उठा लेते हैं।
भारत में नागरिकों को मिले मूल अधिकार-
1) समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18)
2) स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
3) शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
5) संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
6) संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32)
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