Tirupati Balaji Temple: तिरुपति मंदिर में मुंडन के बाद कहां जाते हैं आपके बाल, क्यों भारतीयों के 'वर्जिन हेयर' की दीवानी है दुनिया

Tirupati Balaji Temple Hair Trade: तिरुपति बालाजी मंदिर में ना सिर्फ पुरुष या बच्चे, बल्कि महिलाएं भी अपने बाल दान करती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोजाना करीब 20 हजार लोग तिरुपति मंदिर में बाल चढ़ाते है। यहां मुंडन के लिए चौबीसों घंटे नाई उपलब्ध रहते हैं। हर साल करीब 600 टन बाल मंदिर में चढ़ाए जाते हैं।

Tirupathi Balaji Temple

कहां जाते हैं तिरुपति मंदिर में चढ़ाए बाल? मुंडन के बालों का क्या होता है?

Tirupati Balaji Temple Hair Trade: आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में बुधवार देर रात 9:30 बजे बैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास भगदड़ (Tirupati Balaji Temple Stampede) मच गई। इस हादसे में एक महिला समेत 6 लोगों की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए हैं। भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के इस मंदिर की लोगों के बीच अपार आस्था है। रोजाना मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। लोग दूर दराज से आते हैं और अपनी मुरादें पूरी होने की उम्मीद से मंदिर में पूजा पाठ करते हैं। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि श्रद्धालु अपने सिर के बाल यहां दान करते हैं। शायद ही दुनिया के किसी मंदिर में ऐसा होता होगा।

तिरुपति बालाजी मंदिर में क्यों चढ़ाते हैं बाल

मान्यता: मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के इस मंदिर में अपने बाल दान करता है उसपर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। कहते हैं कि तिरुपति बालाजी में व्यक्ति अपने जितने बालों को दान करता है, भगवान उन्हें 10 गुना धन लौटाते हैं।

पौराणिक कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में भगवान बालाजी की मूर्ति पर एक गाय रोजाना दूध देकर चली जाती थी। जब उस गाय के मालिक ने देखा तो उसने कुल्हाड़ी से गाय को मार दिया। इस हमले से बालाजी के सिर पर भी चोट आई। उनके सिर के बाल भी गिर गए। तब मां नीला देवी ने अपने बाल काटकर बालाजी के सिर पर रख दिए जिससे जख्म बिल्कुल ठीक हो गया। इसी कारण मंदिर में आने वाले ज्यादातर भक्त अपने बालों का दान कर देते हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर में हर साल चढ़ता है कितना बाल

तिरुपति मंदिर में ना सिर्फ पुरुष या बच्चे, बल्कि महिलाएं भी अपने बाल दान करती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोजाना करीब 20 हजार लोग तिरुपति मंदिर में बाल चढ़ाते है। यहां मुंडन के लिए चौबीसों घंटे नाई उपलब्ध रहते हैं। हर साल करीब 600 टन बाल मंदिर में चढ़ाए जाते हैं।

कहां जाते हैं तिरुपति मंदिर से मुंडन के बाल

रोजाना दान के रूप में प्राप्त केस को टीटीडी (तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम) टेंडर के जरिए नीलामी द्वारा बेच देता है। बताया जाता है कि बताया जाता है कि हर साल 25-30 करोड़ रुपये के बालों की नीलामी हो रही है। बालाजी के मंदिर को कुल दान का 10% बालों की नीलामी से आता है। मंदिरों से बालों को इकट्ठा करके हेयर प्रोसेसिंग यूनिट में ले जाया जाता है। यहां सबसे पहले बालों को सुलझाने का काम किया जाता है। यह प्रक्रिया हाथ और सुई के इस्तेमाल से होती है। बालों को सुलझाने के बाद उन्हें उबाला जाता है, सुखाया जाता है और अच्छे से साफ किया जाता है और फिर लंबाई के हिसाब से अलग-अलग बंडल बना दिए जाते हैं। इन बंडलों को उचित तापमान में सुरक्षित रख दिया जाता है। बता दें कि इन बालों की नीलामी ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रिया से होती है।

भारतीय बाल और अंतरराष्ट्रीय बाजार

मंदिर से देश विदेश की तमाम कंपनियां इन बालों को खरीदती है। खरीदने के बाद इन बालों के बंडलों को डाइल्यूट एसिड के घोल में डालकर फिर से साफ किया जाता है। उसके बाद उन्हें एक ऑस्मोसिस बाथ नाम की प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस प्रक्रिया में बालों के पोषण को नष्ट किये बिना उनपर लगे दाग धब्बे हटाए जाते हैं। इन्हीं बालों से रंग बिरंगे विग बनाए जाते हैं जो दुनिया भर के तमाम देशों तक पहंचते हैं।

बालों के व्यापार और अच्छे मुनाफे को देखते हुए कुछ व्यापारी इंसानी बालों में घोड़े या बकरी के बाल मिलाकर भी बेच देते हैं। वहीं कुछ तो नकली बाल भी मिला देते हैं। लेकिन अच्छी क्वालिटी के भारतीय बालों से बने विग की डिमांड ज्यादा होने के कारण इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। इसकी कीमत के कारण ही बालों के व्यापार में लगे लोग भारतीय बालों को काला सोना भी कहते हैं।

क्यों भारतीय बालों की दीवानी है दुनिया

इंटरनेशनल मार्केट में भारतीय बालों को वर्जिन हेयर भी कहा जाता है। ऐसी धारणा है कि भारतीय अपने बालों के साथ ज्यादा प्रयोग नहीं करते। यहां बालों को रंगने या फिर किसी केमिकल ट्रीटमेंट का चलन उतना नहीं है जितना दूसरे देशों में है। वैसे भी जिस वर्ग के लोग मंदिरों में बाल चढ़ाते हैं वह वर्ग भी ऐसा नहीं होता जो बालों पर बहुत ज्यादा एक्सपेरिमेंट करता हो। दूसरी तरफ बच्चों के बालों में केराटिन की मात्रा बहुत अधिक होती है। भारतीयों के बाल अपने नैसर्गिक रूप के बेहद करीब होते हैं। इसी कारण इन्हें वर्जिन हेयर कहा जाता है।

कब से हो रहा बालों का कारोबार

वैश्विक स्तर पर देखें तो बालों का कारोबार काफी पुराना है। इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक साल 1840 से बालों के बिजनेस होने के प्रमाण मिलते हैं। उस दौरान फ्रांस के कंट्री फेयर में बाल खरीदे जाते थे। यहां लड़कियां अपने बाल नीलाम भी करती थीं। इसके बाद यूरोप के कई देशों में इस तरह के मेले लगने लगे जहां बालों का कारोबार होता था।

बात भारत की करें तो आजादी से पहले से ही यहां बालों का बिजनेस हो रहा है। छोटे शहरों और गांवों में पहले फेरीवाले घर-घर जाकर सस्ते दामों पर बाल खरीदते थे। कई जगहों पर आज भी ऐसा होता है। ये लोग बाल खरीदकर स्थानीय व्यापारियों को बेच देते हैं। फिर ये स्थानीय व्यापारी चेन्नई, आंध्र प्रदेश और कोलकाता के बड़े व्यापारियों को बेच देते हैं। ये व्यापारी इंटरनेशनल मार्केट से इन बालों की मोटी रकम वसूलते हैं।

कितना बड़ा है बालों का कारोबार

भारतीयों के बाल लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार की पसंद बने हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीयों के बाल 100-200 रुपये नहीं बल्कि 25 से 30 हजार रुपए किलो के हिसाब से बिकती है। आज दुनिया भर में बालों का कारोबार करोड़ों रुपए का है। इस कारोबार में भारत का हिस्सा बहुत बड़ा है। यहां से सालाना लगभग 400 मिलियन डॉलर के बालों की सप्लाई होती है। बालों का कारोबार लगभग 2,500 करोड़ रुपये का बताया जाता है और यह कारोबार हर साल कम से कम 10% बढ़ रहा है।

..और अंत में

तो अब जब भी आप अपना मुंडन करवाएं या फिर बाल कटवाएं तो ये जरूर याद रखें कि आप करोड़ों रुपये के कारोबार का एक हिस्सा हैं। इसका हिस्सा बनने में कोई बुराई नहीं भी नहीं है। हो सकता है कि आप लंदन जैसे किसी देश के सैलून में बैठे हों और आपके सामने जो रंग बिरंगी विग रखी हो वो शायद आपके ही बालों की बनी हो। आप अपने बाल दान करने के अलावा उसकी नीलामी भी कर सकते हैं। तमाम लोग ऑनलाइन बालों की नीलामी से लाखों रुपये कमा रहे हैं।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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