DINK Lifestyle: हम दो हमारे जीरो...जानें कौन हैं डिंक कपल्‍स, भारत में तेजी से बढ़ रही है इनकी संख्या, क‍ितना सही जीवन का ये तरीका

DINK Lifestyle (DINK Full form): गिटनक्स मार्केट डेटा रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में DINKs की आबादी प्रति वर्ष 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। वहीं सर्चगेट की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में लगभग 65% नवविवाहित कपल बच्चे नहीं करना चाहते हैं। इस डिंक जीवनशैली को बड़े शहरों के लोग ज्यादा अपना रहे हैं। लेकिन धीरे-धीरे ये छोटे शहरों की तरफ भी बढ़ रहा है।

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DINK: Dual Income No Kids

DINK Lifestyle in Hindi: भारत में एक कहावत बहुत आम है- हम दो हमारे दो। मतलब हम दो और हमारे दो बच्चे। धीरे-धीरे ये कहावत बदल गई है। अब ज्यादातर का मानना है कि हम दो हमारा एक। वहीं अब ऐसे कपल्स की तादाद बढ़ रही है जो इस लाइफस्टाइल में यकीन करता है कि हम दो हमारा एक भी नहीं। हम बात उन कपल्स की कर रहे हैं जो शादी के बाद बच्चा नहीं करना चाहते हैं। ऐसे कपल्स में 99 प्रतिशत ऐसे हैं जो दोनों कमाते हैं। उनका फोकस अच्‍छे पैसे कमाकर अच्छी लाइफस्टाइल जीने पर होता है। इन्हें ही DINKs कहा जाता है। DINKs का मतलब है- डुअल इनकम नो किड्स (Dual Income No Kids)। आसान शब्दों में कहा जाए तो दोगुनी इनकम और कोई संतान नहीं। पिछले कुछ साल से सोशल मीडिया में इसकी खूब चर्चा है।

अमृत तिवारी और तरनजीत कौर, दोनों पेशे से पत्रकार हैं। शादी से पहले ही दोनों ने तय कर लिया था कि उन्हें बच्चे नहीं करने हैं। अमृत तिवारी बताते हैं कि वह ऐसे किसी DINK कल्चर के बारे में नहीं जानते हैं, लेकिन उनके दिमाग में ये साफ था कि शादी के बाद उन्हें बच्चे नहीं करने। उनका मानना है कि वह शायद बच्चे की जिम्मेदारी ना संभाल पाएं इसलिए उन्होंने ये फैसला लिया था। अमृत के मुताबिक वह अपनी लाइफ बिना बच्चों के बेहतर तरीके से जी सकते हैं। ऐसी सोच वाले तमाम कपल्स जाने-अनजाने डिंक कल्चर का हिस्सा बन रहे हैं।

कौन होते हैं DINK कपल्स

ये ऐसे कपल्स होते हैं जो परिवार बढ़ाने और अपना बुढ़ापा बच्चों के सहारे जीने में यकीन नहीं रखते। ये कपल्स कमाते तो अच्छा हैं लेकिन वो अपने पैसे खुद की खुशी, घूमने फिरने और अच्छी लाइफस्टाइल जीने में विश्वास रखते हैं। इन कपल्स में बहुत से ऐसे होते हैं जिन्हें लगता है कि पति पत्नी की खुशहाल जिंदगी के लिए बच्चे जरूरी नहीं हैं। इनके हिसाब से अगर आपके पास खूब पैसा है और जीवन में किसी तीसरे इंसान की जिम्मेदारी नहीं है तो आप ज्यादा खुश रह सकते हैं। डिंक कपल्स जिस तरह की लाइफस्टाइल चुनते हैं उसे चाइल्ड फ्री लाइफस्टाइल भी कहा जाता है।

36 वर्षीय सूर्यांशी चौहान गुरुग्राम की एक पीआर कंपनी में काम करती हैं। सूर्यांशी कहती हैं कि पहले जॉइंट फैमिली कल्चर था। अगर पेरेंट्स को कुछ हो जाए तो परिवार के दूसरे लोग बच्चे को पाल लेते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस तनाव में जीने से कि हमारे बाद बच्चे की केयर कौन करेगा, बेहतर है कि हम बच्चे ही ना करें। बतौर DINK कपल सूर्यांशी और उनके पति तनावमुक्त खुशहाल और घुमक्कड़ी वाला जीवन जी रहे हैं।

भारत में किस रफ्तार से बढ़ रहा है DINK कल्चर

गिटनक्स मार्केट डेटा रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में DINKs की आबादी प्रति वर्ष 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। वहीं सर्चगेट की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में लगभग 65% नवविवाहित कपल बच्चे नहीं करना चाहते हैं। इस डिंक जीवनशैली को बड़े शहरों के लोग ज्यादा अपना रहे हैं। लेकिन धीरे-धीरे ये छोटे शहरों की तरफ भी बढ़ रहा है।

एचसीएल में बतौर कंप्यूटर इंजीनियर काम करने वाली मिनाक्षी सिंह कहती हैं कि इस तरह की जीवनशैली में कोई दिक्कत नहीं है। अगर दो लोगों को लगता है कि वह बिना बच्चे के अपनी जिंदगी बेहतर तरीके से बिता सकते हैं तो ये अच्छी बात है। वैसे भी आजकल नौकरियों का कुछ भरोसा नहीं है। आज तो है, लेकिन पता नहीं कल रहेगी या नहीं। ऐसे में बच्चों की अच्छी परवरिश कोई कैसे करेगा। बकौल मिनाक्षी जिस तरह कोरोना काल में लोगों की नौकरियां गईं, कर्ज और महंगाई बढ़े, उसे देखते हुए तो बच्चे पैदा न करना ही समझदारी लगती है।

शोध के आंकड़े भी यही कहानी बयां कर रहे हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 61 प्रतिशत मिलेनियल्स ने कहा कि वे बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं क्योंकि वो वित्तीय तौर पर सुरक्षित नहीं है। जब वह खुद फाइनेंशियली स्टेबल नहीं हैं तो अपने बच्चों को कैसे करेंगे।

क्या कहते हैं मनोविज्ञानी

डॉ. गीतांजली नटराजन नियामा डिजिटल हेल्थ केयर की चीफ क्लीनिकल साइकलोजी एडवाइजर हैं। भारत के बदलते समाजशास्त्र को इस कल्चर का ईंधन मानती हैं। वो कहती हैं कि अब लोग, खासतौर पर युवा इस बात की फिक्र नहीं करते कि लोग क्या कहेंगे या फिर समाज क्या कहेगा। वो वही करते हैं जो उन्हें उनके लिए ठीक लगता है। उन्हें कहां रहना है, क्या पहनना है, किससे शादी करनी है, बच्चे कब करने हैं, करने भी हैं या नहीं, इस तरह के फैसले वो अपनी मर्जी से लेते हैं। वो उस पुरानी सोच को तोड़ रहे हैं कि बच्चे करने ही हैं।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में रिसर्च स्कॉलर विवेक यादव का मानना है कि कई कपल्स मजबूरी में भी इस DINK कल्चर का हिस्सा बन रहे हैं। वो कहते हैं कि आजकल लोग देर में शादी कर रहे हैं। मसलन अगर कोई कपल 35 की उम्र में शादी कर रहा है तो उसके मन में ख्याल रहता है कि जब तक बच्चा वयस्क होगा तब तक तो वो शायद कुछ करने लायक होंगे नहीं। पहले की बात और थी कि 17-18 साल में शादी हो जाती थी और समय से लोग बच्चा भी कर लेते थे।

DINK कल्चर का नेगेटिव साइड

इंटरनेट पर मौजूद तमाम रिसर्च रिपोर्ट्स को खंगालने पर पता चलता है कि डिंक कपल्स कई तरह की चुनौतियों का भी सामना करते हैं। भारत में बच्चा ना करने वाले कपल्स, खासतौर पर महिलाओं, को आज भी समाज शक की नजर से देखता है। ऐसे कपल्स खुद को समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं। इसके अलावा एक समय के बाद बच्चे की कमी उन्हें अकेलेपन और अवसाद से भी घेर सकती है।

भुवनेश्वर में अपना बुटीक चलाने वालीं पूनम सिंह कहती हैं कि आजकल के युवा जोश में तो बच्चे ना करने का फैसला ले रहे हैं, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें बच्चे की जरूरत महसूस होगी। तब तक काफी देर हो चुकी होगी। पूनम का मानना है कि बच्चों से घर में खुशियां रहती हैं और उम्र बढ़ने के साथ पर‍िवार का होना आपको ज‍िंदाद‍िल और एक्‍ट‍िव बनाए रखता है। लेकिन शायद आजकल के युवा की खुशियों की कैटेगरी दूसरी हो गई है।

अगर पैसों के मामले में देखें तो ऐसे कपल्स फिजूल खर्च ज्यादा करते हैं। उन्हें लगता है कि पैसे किसके लिए बचाने हैं। उन्हें लगता है कि पैसों की जरूरत सिर्फ बच्चों की परवरिश के लिए ही होती है। जबकि ऐसा नहीं है। पैसे तो बुढ़ापे में भी काम आएंगे। ऐसे लोग कल की बहुत ज्यादा फिक्र नहीं करते। घूमने-फिरने, खाने-पीने और लग्जरी लाइफस्टाइल में ही ऐसे कपल्स अपनी आमदनी का बहुत बड़ा हिस्सा खर्च कर देते हैं।

DINK कपल्स के लिए जरूरी बातें:

- पैसों के बारे में ज्यादा से ज्यादा बात करें।बतौर डिंक कपल आप फाइनेंस के बारे में जितना ज्यादा बात करेंगे आप रिश्ता उतना मजबूत होगा।

- सिर्फ खर्च, खर्च और खर्च करने से बचें। बच्चों की जिम्मेदारी ना होने का मतलब ये नहीं है कि आप सिर्फ पैसे खर्च करने में ही लगे हैं।

- समय-समय पर ये आंकलन जरूर करें कि जो आपने फैसला लिया है वो सही है ना। ऐसा तो नहीं कि हमने अपनी आजादी के लिए कुछ गलत फैसला कर लिया है।

- सोच समझ कर इन्वेस्टमेंट करें। आपको ऐसी स्कीम्स में पैसे लगाने चाहिए जिसका लाभ आपको रिटायरमेंट के बाद मिले।

- जितना हो सके अवसाद से बचें। समाज से कटें नहीं। किसी तरह की कोई मानसिक परेशानी आ रही है तो डॉक्टर्स से बात करें।

बच्‍चे करना या न करना, ये तो कपल की आपस की ट्यूनिंग पर न‍िर्भर करता है। लेक‍िन जरूरी है क‍ि इसी के साथ आने वाले चैलेंज को भी समझकर आगे बढ़ा जाए।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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