World Hindi Day 2023: कौन थे कामिल बुल्के ने जिन्होंने हिन्दी को कहा बहूरानी और अंग्रेजी को नौकरानी

World Hindi Day 2023: कामिल बुल्के पादरी थे और भारत ईसाई धर्म का प्रचार करने आए थे लेकिन यहां की शैली ने उनकी राम और तुलसी में आस्था जगा दी। उन्होंने यहां आकर हिंदी और संस्कृत सीखी। भारत सरकार द्वारा उन्हें 1974 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

World Hindi Day 2023: कौन थे कामिल बुल्के ने जिन्होंने हिन्दी को कहा बहूरानी और अंग्रेजी को नौकरानी

World Hindi Day 2023: आज विश्व हिंदी दिवस है और हर साल 10 जनवरी को यह दिन मनाया जाता है। विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ। उसके बाद से लगातार 'विश्व हिन्दी दिवस' 10 जनवरी को मनाया जाने लगा। इस अवसर पर हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बता रहे हैं जो था तो विदेशी लेकिन उसने संस्कृत और हिंदी भाषा को महान बताया।

उसका नाम था कामिल बुल्के। एक सितंबर 1909 को उनका जन्म हुआ था। वह बेल्जियम से भारत आये एक मिशनरी थे। वह पादरी थे और भारत ईसाई धर्म का प्रचार करने आए थे लेकिन यहां की शैली ने उनकी राम और तुलसी में आस्था जगा दी। जब वह भारत आए तो हिंदी, तुलसी और वाल्मीकि के भक्त रहे। वे कहते थे कि संस्कृत महारानी है, हिन्दी बहूरानी और अंग्रेजी को नौकरानी। इन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1974 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। राम के बारे में फादर कामिल बुल्के ने लिखा कि वो वाल्मीकि के कल्पित पात्र नहीं बल्कि एक इतिहास पुरुष थे। उन्होंने बेल्जियम से सिविल इंजीनयरिंग की पढ़ाई की थी, फिर वो ईसाई पादरी बने।

बुल्के 1934 में भारत की ओर निकले और नवंबर 1936 में भारत, बंबई (अब मुम्बई) पहुंचे। इसके बाद वह दार्जिलिंग गए और उसके बाद गुमला (वर्तमान झारखंड)। गुमला में पांच साल तक गणित पढ़ाया। वहीं पर हिंदी, ब्रजभाषा व अवधी सीखी। 1938 में, सीतागढ़/हजारीबाग में पंडित बद्रीदत्त शास्त्री से हिंदी और संस्कृत सीखी। भारत की शास्त्रीय भाषा में इनकी रुचि के कारण इन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय (1942-44) से संस्कृत में मास्टर डिग्री और आखिर में इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1945-49) में हिंदी साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, इस शोध का शीर्षक था राम कथा की उत्पत्ति और विकास ।

कामिल बुल्के द्वारा लिखित पुस्तकें

  • (हिंदी) रामकथा : उत्पत्ति और विकास, 1949
  • हिंदी-अंग्रेजी लघुकोश, 1955
  • अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश, 1968
  • (हिंदी) मुक्तिदाता, 1972
  • (हिंदी) नया विधान, 1977
  • (हिंदी) नीलपक्षी, 1978
हिंदी और संस्कृत को जीवन समर्पित

1950 में वह जब रांची आए तो उन्हें सेंट जेवियर्स महाविद्यालय में हिंदी व संस्कृत का विभागाध्यक्ष बनाया गया। इसी साल उन्हें भारत की नागरिकता भी मिली और इसी वर्ष वे बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् की कार्यकारिणी के सदस्य नियुक्त हुये। 1972 से 1977 तक वह भारत सरकार की केंद्रीय हिन्दी समिति के सदस्य बने रहे और वर्ष 1973 में इन्हें बेल्जियम की रॉयल अकादमी का सदस्य बनाया गया। 17 अगस्त 1982 को दिल्ली के एम्स में उनका निधन हुआ।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | लाइफस्टाइल (lifestyle News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

कुलदीप राघव author

कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें

End of Article
Subscribe to our daily Lifestyle Newsletter!

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited