Ya nabi Salam Alaika Lyrics: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के पाक दिन नमाज में पढ़ें या नबी सलाम अलैका, सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम को भेजें सलाम
Ya nabi Salam Alaika Lyrics in Hindi: या नबी सलाम अलैका सलातो सलाम है, जो फज्र कि नमाज में, जुम्मा के नमाज़ में या फिर मिलाद शरीफ में सलाम फेरने वक्त पढ़ते है। इस्लाम में इस नात का बड़ा महत्व है और माना जाता है कि इसे हर मुसलमान को को याद होना चाहिए।
Ya Nabi Salam Alaika Lyrics
Ya Nabi Salam Alaika Lyrics (या नबी सलाम अलैका सलातो हिंदी में): इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक हर साल तीसरे महीने में रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाया जाता है। पैगम्बर मोहम्मद के जन्म का ये खास पर्व आज मनाया जा रहा है। इस दिन मुसलमान मस्जिदों में नजाम पढ़ते हैं। या नबी सलाम अलैका सलातो सलाम है, जो फज्र कि नमाज में, जुम्मा के नमाज़ में या फिर मिलाद शरीफ में सलाम फेरने वक्त पढ़ते है। इस्लाम में इस नात का बड़ा महत्व है और माना जाता है कि इसे हर मुसलमान को को याद होना चाहिए। या नबी सलाम अलैका कहना, जो पैगंबर (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) को सलाम भेजने का एक तरीका है, तब तक जायज़ है जब तक आप इसे यहीं छोड़ दें। आइए देखते हैं या नबी सलाम अलैका सलातो के लिरिक्स हिंदी में:
Ya Nabi Salam Alaika Lyrics in Hindi | या नबी सलाम अलैका सलातो लिरिक्स
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
या-हबीब सलाम-अलैका सलवातुल्लाह अलैका
आप की ज़ात-ए-मुकर्रम बाइ'स-ए-तख़्लीक़-ए-आलम
आप पर फ़ख़्र-ए-आदम हो सलाम-ए-पाक पैहम
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
सुब्ह-ए-सादिक़ का वो मंज़र और वो मीलाद-ए-पयम्बर
बुलबुल-ए-सिदरा के लब पर था ये नग़्मः रूह-परवर
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
रुख़ बहार-ए-सुब्ह-ए-क़ुदरत ज़ुल्फ़-ए-शब-गूँ शाम-ए-जन्नत
दिल सरासर राज़-ए-वहदत आईनः-दार-ए-हक़ीक़त
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
अव्वल-ओ-आख़िर तुम्हीं हो बातिन-ओ-ज़ाहिर तुम्हीं हो
हाज़िर-ओ-नाज़िर तुम्हीं हो दीन के नासिर तुम्हीं हो
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
बारिश-ए-लुत्फ़-ओ-करम ख़ंदः-ज़न हर अहल-ए-ग़म है
आमद-ए-शाह-ए-उमम है अब जो कुछ मिल जाए कम है
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
हर तरफ़ जल्वे नुमायाँ हर तरफ़ शमएँ फ़रोज़ाँ
अर्श से ता-बज़्म इम्काँ है चराग़ाँ ही चराग़ाँ
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
सलसबील-ओ-हौज़-ए-कौसर ख़ुल्द का हर एक गुल-तर
अर्श-ओ-कुर्सी माह-ओ-अख़तर सब के सब तुम पर निछावर
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
हर सहर ख़ुर्शीद-ए-ख़ावर और हर शब माह-ओ-अख़तर
सू-ए-रौज़ः सर झुका कर अर्ज़ करते हैं बराबर
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
काश जाग उट्ठे मुक़द्दर काश हो वो दिन मयस्सर
सर झुका कर आस्ताँ पर यूँ कहूँ बा-दीदः-ए-तर
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
बा-ख़ुलूस-ओ-बा-अक़ीदत सब हैं हाज़िर पेश-ए-ख़िदमत
हो क़ुबूल ऐ शाह-ए-उम्मत हदियः-ए-अहल-ए-मोहब्बत
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
अब तो रहमत की नज़र हो अब तो क़िस्मत को बना दो
अपने 'मेराज'-ए-हज़ीं को अब तो रौज़े पर बुला लो
या-नबी सलाम-अलैका या-रसूल सलाम-अलैका
या-हबीब सलाम-अलैका सलवातुल्लाह अलैका
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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