नवरात्रि

नवरात्रि सनातन धर्म के मुख्य पर्वों में से एक है, जिसकी मान्यता सदियों से चली आ रही है। नवरात्रि मूलतः मां दुर्गा को समर्पित उत्सव है जिसमें उनके नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा होती है। मुख्‍य रूप से साल में नवरात्रि दो बार आती है, जिसमें पहला चैत्र नवरात्रि है और दूसरा शारदीय नवरात्रि है। नवरात्रि का त्योहार श्रद्धा, भक्ति और समर्पण के मूल्यों पर आधारित माना जाता है। हालांकि साल में दो बार गुप्‍त नवरात्र भी आते हैं जिनमें तांत्रिक अनुष्‍ठान होते हैं।
नवरात्रि नौ रातों के समूह को कहते हैं जिसमें देवी मां का व्रत-पूजन किया जाता है। ये पर्व आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने के साथ-साथ तन-मन के शुद्धिकरण का भी होता है। शक्ति के विभिन्न रूप जीवन के विभिन्न पहलुओं और ऊर्जा के अलग-अलग रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनकी आराधना से मनुष्य को सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। नवरात्रि का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। ये आत्म शुद्धि, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का कारक भी माना जाता है, जिसे पूरे भारतवर्ष में धूम-धाम से मनाया जाता है।

नौ देवियों के पूजन के दिन

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के दिव्य स्वरूपों की पूजा इस क्रम में की जाती है -
  • मां शैलपुत्री – पहला दिन (पहाड़ों की देवी)
  • मां ब्रह्मचारिणी – दूसरा दिन (तप और ब्रह्मचर्य की देवी)
  • मां चंद्रघंटा – तीसरा दिन (शांति और सौम्यता की देवी)
  • मां कूष्मांडा – चौथा दिन (सृजन की देवी)
  • मां स्कंदमाता – पाचवां दिन (ममता की देवी)
  • मां कात्यायनी – छठा दिन (पराक्रम और साहस की देवी)
  • मां कालरात्रि – सातवां दिन (अंधकार नाश करने वाली)
  • मां महागौरी – आठवां दिन (शुद्धता और शांति की देवी)
  • मां सिद्धिदात्री – नौवां दिन (सिद्धियों की देवी)

नवरात्रि के प्रमुख अनुष्ठान

कलश स्थापना – नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है।
व्रत-पूजन – भक्त मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए व्रत-पूजन का संकल्प लेते हैं।
गरबा और डांडिया – ये दोनों ही नृत्य गुजरात और राजस्थान में पारंपरिक रूप से किए जाते हैं।
रामलीला – नवरात्रि का संबंध भगवान राम के जन्म और उनके लंका विजयी होने से भी है, जिसन आते कई स्थानों पर रामलीला का मंचन होता है।
कन्या पूजन – अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है और भोग अर्पित चढ़ाया जाता है।

नवरात्रि के खान-पान की मान्‍यता

  • कलश स्थापना – नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है।
  • व्रत-पूजन – भक्त मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए व्रत-पूजन का संकल्प लेते हैं।
  • गरबा और डांडिया – ये दोनों ही नृत्य गुजरात और राजस्थान में पारंपरिक रूप से किए जाते हैं।
  • रामलीला – नवरात्रि का संबंध भगवान राम के जन्म और उनके लंका विजयी होने से भी है, जिसन आते कई स्थानों पर रामलीला का मंचन होता है।
  • कन्या पूजन – अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है और भोग अर्पित चढ़ाया जाता है।

खान-पान की मान्‍यता

नवरात्रि में नौ दिनों तक सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है, जिसमें सेंधा नमक, साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़ा का आटा, आलू, फल, और दूध से बने उत्पाद शामिल होते हैं। इनका सेवन शरीर को तामसिक गुणों से मुक्त करता है।

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