बस 1 साल स्कूल गए, काक भगोड़ा बने; फिर दुनिया को दिया ये धाकड़ कार ब्रांड

दुनिया भर में सबसे महंगी कारें बेचने वाला बहुत पॉपुलर ब्रांड रोल्स रॉयस अब एक स्टेटस सिंबल बन चुका है। इसकी शुरुआत की कहानी इतनी जोरदार है कि इसपर एक फिल्म बननी चाहिए। यहां हम आपको हेनरी रॉयस के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने अनुभव और दिमाग से इन शानदार कारों की शुरुआत की थी। बता दें के 1904 में रोल्स रॉयस की शुरुआत हुई थी।

गजब है ये सक्सेस स्टोरी
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गजब है ये सक्सेस स्टोरी

हेनरी रॉयस की सक्सेस स्टोरी इतनी जोरदार है कि ब्लॉकबस्टर मूवी बनाई जा सकती है। कभी चंद सिक्कों के लिए चिड़िया भगाने वाला ये बच्चा इतना बड़ा काम कर जाएगा ये किसी ने सोचा भी नहीं होगा। इन्होंने खुदका काम करने की शुरुआत 22 साल की उम्र में की थी।

चार्ल्स रोल्स से मिलाया हाथ
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चार्ल्स रोल्स से मिलाया हाथ

हेनरी रॉयस बहुत कम उम्र में चंद सिक्कों के लिए काक भगोड़ा बनते थे, यानी खेत से चिड़िया भगाने का काम करते थे। 9 साल के थे तब पिता चल बसे, तब इन्होंने घर-घर पेपर डालना शुरू किया। इन्होंने चार्ल्स रोल्स से हाथ मिलाया और तभी से रोल्स रॉयस ब्रांड की शुरुआत हुई।

सिर्फ 1 साल स्कूलिंग हुई
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सिर्फ 1 साल स्कूलिंग हुई

इनकी वित्तीय स्थिति ठीक ना होने की वजह से हेनरी रॉयस को सिर्फ 1 साल ही स्कूल जाने का मौका मिला। एक फ्रेंच कार को रिपेयर करने के बाद ऑटोमोबाइल में इनकी दिलचस्पी बढ़ी। 22 साल की उम्र में इन्होंने बेहतर वाहन बनाने का सपना देखा और 1904 में इसकी नीव रखी।

खुद से सीखा सब कुछ
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खुद से सीखा सब कुछ

सिर्फ 1 साल की स्कूलिंग में इन्हें बहुत कम एजुकेशन मिल पाया, लेकिन जहां चाह वहां राह कहावत यहां चरितार्थ होती है। हेनरी रॉयस ने सेल्फ एजुकेशन यानी खुद से सब कुछ सीख कर रोल्स रॉयस कारों का निर्माण शुरू किया। ये तकनीकी और डिजाइन तक ही सीमित नहीं था।

आज स्टेटस सिंबल कार
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आज स्टेटस सिंबल कार

आज की तारीख में रोल्स रॉयर वो ब्रांड बन चुका है जिसकी कारें दुनिया भर में एक स्टेटस सिंबल मानी जाती हैं। अमीरों के पास ही ये कार होती है और इसकी कुछ कारें को 125 करोड़ से भी महंगी हैं। ये शानदार स्टाइल और डिजाइन में आती हैं और केबिन बेहद आरामदायक होती हैं।

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