‘हॉर्सपावर’ में क्यों मापी जाती है इंजन की ताकत, घोड़े से क्या है संबंध

अक्सर जब भी दिमाग में सबसे ताकतवर कार या बाइक का ख्याल आता है तो हम उसकी टॉप स्पीड के बारे में पूछते हैं। साथ ही कई बार लोग इंजन की हॉर्सपावर भी पूछते हैं और गाड़ी की ताकत का अंदाजा लगाते हैं। कार-बाइक ही नहीं, किसी भी तरह के इंजन की ताकत मापने के लिए हॉर्सपावर का ही इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इंजन की ताकत को घोड़े से ही क्यों मापते हैं?

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​इंजन की ताकत

कार हो या बाइक या फिर कोई भी इंजन हो उसकी ताकत को अक्सर हॉर्सपावर में मापा जाता है। जितनी ज्यादा हॉर्सपावर कोई इंजन बनाता है उतना ही तेज और ताकतवर उसे माना जाता है।

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​क्या आपने कभी सोचा है?

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इंजन की क्षमता को आखिर हॉर्सपावर या फिर घोड़े की ताकत से ही क्यों मापा जाता है। इसके लिए आपको इतिहास में थोड़ा पीछे जाना होगा। तो आइये जानते हैं कार के इंजन और घोड़े की ताकत, ‘हॉर्सपावर’, में संबंध।

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पहले के समय में​

इंजन के आविष्कार से पहले घोड़ों से ही रथ या तांगे खिंचवाए जाते थे। इसके बाद स्टीम इंजनों का आविष्कार हुआ और इनका इस्तेमाल पानी खींचने के लिए किया जाने लगा। स्कॉटिश इंजीनियर जेम्स वॉट ने एक घोड़े के पीछे 45 किलोग्राम वजन रख दिया और उसे एक घंटे में 2.5 मील चलाया।

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​हॉर्सपावर हुआ इस्तेमाल

इसके बाद जेम्स वॉट ने कैलकुलेशन की और पाया कि 220 फुट गहरे कुएं से 68 किलोग्राम का वजन खींचना हो तो 50% घर्षण की ताकत के साथ एक घोड़े यानी 1 हॉर्सपावर की ताकत लगेगी। अपने बनाये स्टीम इंजन को जेम्स ने हॉर्सपावर की ताकत की मदद से बेचना शुरू किया ताकि लोग घोड़ों से पानी निकलवाने की बजाय जेम्स के इंजनों का इस्तेमाल करने लगें।

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​आज भी हो रहा इस्तेमाल

आज भी टरबाइन, कार का इंजन, इलेक्ट्रिक मोटर आदि की ताकत मापने के लिए हॉर्सपावर का ही इस्तेमाल किया जाता है। अब आप भी जान गए होंगे कि आखिर इंजन और घोड़े की ताकत के बीच क्या संबंध है।