Ratan Tata: 10 कहानियों से समझें क्यों भारत के 'रतन' थे रतन टाटा, बने सबसे पसंदीदा बिजनेसमैन
10 facts about Ratan Tata: उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार देर रात मुंबई के एक अस्पताल में 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने भारत ही नहीं दुनियाभर में बिजनेसमैन के दौर पर अलग पहचान बनाई। बता दें कि 6 महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में टाटा की 30 से अधिक कंपनियां रतन टाटा की देखरेख में चलती थी। हम यहां आपको उनके जीवन से जुड़ी 10 मुख्य बातें बता रहे हैं, जिन्होंने रतन टाटा को भारत का सबसे पसंदीदा बिजनेसमैन बनाया।

जन्म
रतन नवल टाटा जमशेदजी टाटा के परपोते थे जिन्होंने टाटा समूह की स्थापना की थी। उनका जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में नवल टाटा और सूनी टाटा के घर हुआ था।

दादी ने किया पालन-पोषण
साल 1948 में उनके माता-पिता के अलग हो जाने के बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया।

नहीं की शादी
चार बार शादी के करीब पहुंचने के बावजूद रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की।

लॉस एंजिल्स में हुआ प्यार
रतन टाटा ने एक बार स्वीकार किया था कि लॉस एंजिल्स में काम करते समय उन्हें प्यार हो गया था। लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण, लड़की के माता-पिता ने उसे भारत आने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

करियर की शुरुआत
1961 में अपने करियर की शुरुआत करते हुए रतन टाटा ने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर मैनेजिंग ऑपरेशन के पद पर काम किया। इसी अनुभव ने समूह के भीतर उनके भविष्य के नेतृत्व की भूमिका की नींव रखी।

कब मिली टाटा ग्रुप की कमाल
वह 1991 में ऑटोमोबाइल से लेकर स्टील बनाने वाली कंपनी के चैयरमैन बने और अपने परदादा द्वारा सौ साल से भी अधिक समय पहले स्थापित इस समूह को 2012 तक चलाते रहे।

टाटा समूह का पुनर्गठन
रतन टाटा ने टाटा समूह का पुनर्गठन उस समय शुरू किया जब भारतीय अर्थव्यवस्था का उदारीकरण चल रहा था। उन्होंने टाटा नैनो और टाटा इंडिका सहित लोकप्रिय कारों के व्यवसाय विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इन कंपनियों को बनाया टाटा का हिस्सा
रतन टाटा ने 2004 में टाटा टी को टेटली, टाटा मोटर्स को जगुआर लैंड रोवर तथा टाटा स्टील को कोरस का अधिग्रहण करने में मदद की और उन्हें टाटा ग्रुप का हिस्सा बनाया।

दुनिया की सबसे सस्ती कार
2009 में रतन टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती कार को मध्यम वर्ग तक पहुंचाने का अपना वादा पूरा किया। उन्हीं के सपने से 1 लाख रुपये की कीमत वाली टाटा नैनो इनोवेशन और अफोर्डेबिलिटी का सिंबल बन गई।

पद छोड़ा लेकिन काम नहीं
पद छोड़ने के बाद उन्हें टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के मानद चेयरमैन की उपाधि से सम्मानित किया गया।

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