8th Pay Commission Salary Hike: क्या केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में 157% तक होगी बढ़ोतरी, जानिए कैसे?
8th Pay Commission Salary Hike: केंद्र सरकार ने हाल ही में जनवरी में 8वें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी दी। जिसके बाद सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है। इस ऐलाान के बाद इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी। लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में गजब का उत्साह है।

सैलरी में भारी बढ़ोतरी की संभावना
कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेशनल काउंसिल-ज्वाइंट कंसल्टेटिव मैकेनिज्म (JCM-NC) ने फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाकर कम से कम 2.57 या उससे ज्यादा करने की मांग की है। 7वें वेतन आयोग के तहत भी यही फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया था। JCM-NC के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि यह फिटमेंट फैक्टर 2.57 या उससे ज्यादा होना चाहिए। इस फिटमेंट फैक्टर से कर्मचारियों की सैलरी में भारी बढ़ोतरी हो सकती है।

157% तक बढ़ सकती है सैलरी
फिटमेंट फैक्टर सरकारी कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की एक सिस्टम है। अगर 8वें वेतन आयोग में 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू होता है तो कर्मचारियों के वेतन में करीब 157% की वृद्धि हो सकती है। उदाहरण के लिए अगर किसी कर्मचारी का मौजूदा मूल वेतन 18,000 रुपये प्रति माह है तो यह बढ़कर 46,260 रुपये प्रति माह हो जाएगा। इसके साथ ही न्यूनतम पेंशन भी 9,000 रुपये से बढ़कर 23,130 रुपये प्रति माह हो जाएगी। यह कर्मचारियों के लिए बड़ी वित्तीय राहत होगी।

7वां वेतन आयोग में इतनी बढ़ी थी सैलरी
7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर क्या था आपको बता दें कि 7वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 को लागू हुआ था। इस दौरान 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया था, जिससे केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 7000 से बढ़कर 18000 रुपये हो गई थी।

8वें वेतन आयोग में बढ़ सकती है सैलरी
ऐसे में अगर 8वें वेतन आयोग के दौरान 2.86 का फिटमेंट फैक्टर भी लागू होता है तो बेसिक सैलरी 18,000 से बढ़कर 46,260 रुपये हो जाएगी। लेकिन पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने इसे मुश्किल बताते हुए कहा कि 1.92 का फिटमेंट फैक्टर ज्यादा व्यावहारिक हो सकता है। यह कर्मचारियों और सरकार दोनों के लिए संतुलित दृष्टिकोण होगा।

ऐसे फिटमेंट फैक्टर की मांग
JCM-NC के सचिव शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 या इससे अधिक होना चाहिए। पुराने मानक अब प्रासंगिक नहीं रहे। उन्होंने यह भी कहा कि 7वें वेतन आयोग ने 1957 के भारतीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) और डॉ एक्रोयड के न्यूनतम जीवन निर्वाह वेतन के सिद्धांतों को अपनाया था, लेकिन अब ये मानक बदल गए हैं। आज के डिजिटल युग और इंटरनेट, मोबाइल, बीमा और निवेश जैसे खर्चों को ध्यान में रखते हुए नए मानकों की जरुरत है। कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए यह जरूरी है।

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