मॉडलिंग और 18 लाख का पैकेज छोड़ बेच रहीं बकरियां-मुर्गियां, आज करोड़ों में कमाई
बिहार की आस्था सिंह ने मॉडलिंग छोड़कर 'ग्रामश्री किसान' नाम से खुद का बिजनेस शुरू किया। इसका अब 3 करोड़ रुपये तक का सालाना टर्नओवर हो गया है। वर्किंग वुमन, मॉडल से इंटरप्योन्योर बनकर आस्था सिंह बकरियां, मुर्गियां व मछली बेच रही है। इसके अलावा वह बिहार के किसानों को घर बैठे रोजगार भी दे रही हैं।
आस्था सिंह
आस्था सिंह पटना की हैं। साल 2010 में उनकी शादी रेलवे में इंजीनियर विवेक कुमार से हुई थी। 12वीं के बाद से ही आस्था ने पढ़ाई के साथ मॉडलिंग कर रहीं थी। पुणे से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने एमबीए किया। इसके बाद कई नामी कंपनियों में काम किया।
ओयो में सिटी हेड
ओयो में सिटी हेड के पद पर रहते हुए उन्हें 18 लाख रुपये सालाना का पैकेज मिलता था। इससे पहले आस्था भारती इंफ्राटेल लिमिटेड में एनर्जी मैनेजर और टाटा टेलीसर्विसेज में इंजीनियर रह चुकी थीं। साल 2019 में उन्होंने बिहार सरकार के पशु और मत्स्य संसाधन विभाग में प्रोजेक्ट यूनिट कंसल्टेंट का पद संभाला।
आस्था फिलीपींस नहीं जा सकीं
मुंबई में फोटोशूट के बाद आस्था का चयन मॉडलिंग प्रतियोगिता के लिए भी हुआ। लेकिन, परिवार की रजामंदी न मिलने के कारण आस्था फिलीपींस नहीं जा सकीं। इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
यूट्यूब चैनल शुरू किया
फिर आस्था ने किसानों की जिंदगी बदलने का दृढ़ निश्चय किया। जून 2019 में उन्होंने 'ग्रामश्री किसान' की शुरुआत की। उन्होंने सबसे पहले एक यूट्यूब चैनल शुरू किया। यहां खेती-बाड़ी और पशुपालन से जुड़े वीडियो अपलोड किए। साल 2020 में उनका मोबाइल एप लॉन्च हुआ। 2021 में पटना में 'ग्रामश्री किसान' का पहला सेंटर खोला गया।
ग्रामश्री किसान
आज 'ग्रामश्री किसान' के बिहार के 26 ब्लॉक में सेंटर हैं। इससे 6 हजार से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं। पटना स्थित 'ग्रामश्री किसान' का सेंटर 3 एकड़ में फैला हुआ है। यहां किसानों को बकरी, गाय, मुर्गी और मछली पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान रहने, खाने और आने-जाने की सुविधा मुफ्त दी जाती है। इसके अलावा, किसानों को पशुओं का चारा, दाना और बाजार उपलब्ध कराने में भी मदद की जाती है।
ग्रामश्री किसान को भारत और बिहार सरकार से मान्यता
'ग्रामश्री किसान' को भारत और बिहार सरकार से मान्यता प्राप्त है। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए उन्होंने अपनी 27 लाख रुपये की जमा पूंजी लगाई थी। उनकी पार्टनर फर्म ने 30 लाख रुपये का निवेश किया। इसके अलावा, बिहार सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी के तहत 10 लाख रुपये और भारत सरकार से 24 लाख रुपये की ग्रांट मिली।
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