कभी टेलीकॉम सेक्टर के किंग थी अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस, फिर कैसे कर्ज में डूबी
अनिल अंबानी इस समय शेयर बाजार में पांच साल का बैन का सामना कर रहे जिसकी वजह से वह चर्चा में हैं। सेबी ने यह फैसला रिलायंस होम फाइनेंस में फंड डायवर्जन के आरोपों के बाद आया है, जहां अंबानी को पूर्व अध्यक्ष के रूप में एक धोखाधड़ी योजना का संचालन करते पाया गया था। अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस को कभी टेलिकॉम की दुनिया में क्रांति लाने के लिए याद किया जाता है, लेकिन अब लगता है कि डिफॉल्टर के रूप में याद किया जाएगा।
अनिल अंबानी
धीरूभाई अंबानी का रिलायंस ग्रुप 28000 करोड़ का था। 2005 में जब दोनों भाइयों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच इसका बंटवारा हुआ, तो अनिल के हिस्से टेलिकॉम सेक्टर आया था। बंटवारे में यह तय हुआ था कि अगले 10 साल तक मुकेश अंबानी टेलिकॉम इंडस्ट्री बिजनेस में नहीं आएंगे। लेकिन अनिल अंबानी ने बिजनेस में ऐसे फैसले लिए जो उनकी कंपनियों के लिए बुरे साबित हुए।
एरिक्सन के बीच विवाद
एरिक्सन 2018 में नेशनल कंपनी लॉ अपीलिएट ट्रिब्यूनल पहुंच गई। एरिक्शन का आरोप था कि RCOM ने उससे काम करा लिया और उसके 1100 करोड़ रुपये नहीं दे रही। 2014 से अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ने लगीं। कर्ज बढ़ते जा रहे थे। इसी के साथ 2016 में 10 साल की डेडलाइन पूरी हो गई। ऐसे में मुकेश अंबानी ने 2016 में रिलायंस जियो की शुरुआत की।
टेलीकॉम सेक्टर के किंग रिलायंस कम्युनिकेशंस कैसे बर्बाद हुई?
रिलायंस इन्फोकॉम की शुरुआत 2002 में हुई थी। तब इसके कॉम्पिटिशन में एयरटेल, हच जो बाद में वोडाफोन बनी थी। इसी समय 4G की शुरुआत हो रही थी। तभी दोनों कंपनियों ने GSM टेक्नोलॉजी को चुना। वहीं, अनिल अंबानी की रिलायंस ने CDMA को चुना, जो तब 2G-3G नेटवर्क पर ही सपोर्ट करता था। जिसके वजह से अनिल इसमें पिछड़ते चले गए।
मुकेश अंबानी ने निभाया बड़े भाई का फर्ज
एक समय ऐसा भी आया, जब मुकेश अंबानी ने बड़े भाई का फर्ज निभाते हुए अनिल अंबानी को कर्ज से बचाया। 2018 में जब एरिक्सन कोर्ट पहुंची, तो इस पर आरकॉम ने भी एरिक्सन के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलिएट ट्राइब्यूनल में अपील की।
मुकेश अंबानी ने अपने छोटे भाई का कर्ज चुकाया
ऑरकॉम ने दिवालिया प्रक्रिया का विरोध किया था। उसने कहा कि उसकी रिलायंस जियो और ब्रुकफील्ड के साथ असेट्स बेचने की बात चल रही है। डील हो जाने पर वो एरिक्सन को पैसे चुका देगी। आरकॉम ने एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये देने का वादा किया। 30 सितंबर 2018 तक ये रकम देनी थी। लेकिन अनिल अंबानी ऐसा नहीं कर पाए। तब मुकेश अंबानी ने अपने छोटे भाई का कर्ज चुकाया।
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