दुबई में खरीदने जा रहे हैं प्रॉपर्टी? तो जेब में रखें टैक्स के इतने 'फालतू' रुपये, जानें नियम

विदेशों में प्रॉपर्टी खरीदने वाले भारतीयों के लिए दुबई पसंदीदा स्थानों में से एक तौर पर उभरा है। इस प्रवृत्ति पर नजर रखने और भारतीयों के स्वामित्व वाली विदेशी प्रॉपर्टी को ट्रैक करने के लिए इनकम टैक्स विभाग ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है। इसी बीच एक्सपर्ट्स ने ऐसे वित्तीय लेनदेन और इससे जुड़े टैक्स को लेकर कई जानकारियां दी हैं। चूंकि भारतीय टैक्स अधिकारी यूएई से प्रॉपर्टी खरीदारों के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, इसलिए आपको विदेशों में प्रॉपर्टी खरीदने के नियम-कानून जरूर जानना चाहिए।

एलआरएस के तहत रीमिटेंस लिमिट
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एलआरएस के तहत रीमिटेंस लिमिट

सीएनबीसी टीवी18 के मुताबिक एकेएम ग्लोबल यूएई के टैक्स लीड येशु सहगल बताते हैं कि कोई रेजिडेंट भारतीय प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लिब्रलाइज्ड रीमिटेंस स्कीम(LRS) के तहत प्रति वित्तीय वर्ष 250,000 डॉलर (करीब 2.1 करोड़ रुपये) तक भेज सकता है। हालांकि लोन लेना, खरीद के लिए फाइनेंशिंग करना या तुरंत फिर से बेचने के इरादे से प्रॉपर्टी खरीदने की अनुमति नहीं है। और पढ़ें

स्रोत पर टैक्स संग्रह TCS
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स्रोत पर टैक्स संग्रह (TCS)

सहगल ने कहा कि LRS के ज़रिए दुबई में 7 लाख रुपये से अधिक की राशि भेजे जाने पर 20% TCS लागू होता है। इससे कैश की समस्या पैदा होती है, क्योंकि इस राशि का क्रेडिट सिर्फ इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय ही लिया जा सकता है।

सोर्स से हो घोषित आय
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सोर्स से हो घोषित आय

संपत्ति खरीदने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली राशि पिछले इनकम टैक्स रिटर्न में दर्शाए गए घोषित आय स्रोतों से होनी चाहिए।

कैपिटल गेन टैक्स
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कैपिटल गेन टैक्स

भारतीय निवासियों के लिए दुबई की संपत्ति बेचने से होने वाले पूंजीगत लाभ (Capital gains) पर भारत में टैक्स लगाया जाता है। 24 महीने से कम समय तक रखी गई प्रॉपर्टीज स्लैब दर पर शॉट टर्म पूंजीगत लाभ (STCG) टैक्स के अधीन हैं। लंबे समय तक रखी गई प्रॉपर्टीज के लिए लॉन्ग टर्म पूंजीगत लाभ (LTCG) टैक्स लागू होता है। 23 जुलाई 2024 को या उसके बाद खरीदी गई प्रॉपर्टीज के लिए इंडेक्सेशन के बिना 12.5% टैक्स लगता है। इस तिथि से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टीज के लिए इंडेक्सेशन के साथ 20%टैक्स लगता है। दुबई में भुगतान किए गए पूंजीगत लाभ टैक्स के लिए विदेशी टैक्स क्रेडिट का दावा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, आयकर अधिनियम के सेक्शन 54 के तहत छूट लागू होती है अगर आय भारत में आवासीय प्रॉपर्टी में फिर से निवेश की जाती है।और पढ़ें

किराये की आय टैक्स योग्य
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किराये की आय टैक्स योग्य

दुबई की संपत्ति से किराये की आय भारत में हाउस प्रॉपर्टी से आय के तहत टैक्स योग्य है। इसे ITR की विदेशी स्रोत आय (FSI) शेड्यूल में रिपोर्ट किया जाना चाहिए। किराये की आय पर 30% की मानक कटौती की अनुमति है और भुगतान किए गए किसी भी विदेशी टैक्स को भारतीय टैक्स देयता के विरुद्ध क्रेडिट के रूप में दावा किया जा सकता है।और पढ़ें

ITR डिस्क्लोजर
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ITR डिस्क्लोजर

किसी भारतीय निवासी के स्वामित्व वाली दुबई की किसी भी प्रॉपर्टी का इनकम टैक्स रिटर्न की विदेशी संपत्ति (FA) शेड्यूल में खुलासा किया जाना चाहिए। ऐसा न करने पर ब्लैक मनी एक्ट के तहत 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

दुबई में टैक्स छूट
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दुबई में टैक्स छूट

दुबई में, निजी निवेश के रूप में संपत्ति रखने वाले व्यक्तियों को किराये की आय या बिक्री आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता है। ऐसे मामलों में उन्हें टैक्स के लिए रजिस्ट्रेशन करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि रियल एस्टेट निवेश आय से संबंधित व्यय कटौती योग्य नहीं हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह छूट दुबई में लाइसेंस के जरिये संचालित व्यावसायिक गतिविधि के हिस्से के रूप में रखी गई संपत्तियों पर लागू नहीं होती है। केवल व्यक्तिगत निवेश से होने वाली रियल एस्टेट आय ही टैक्स-फ्री है।और पढ़ें

LRS सीमा को दोगुना करने के लिए गिफ्ट
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LRS सीमा को दोगुना करने के लिए गिफ्ट

कुछ व्यक्ति LRS सीमा को दोगुना करने के लिए अपने जीवनसाथी को पैसे गिफ्ट में देते हैं। हालांकि गिफ्ट में दी गई राशि से होने वाली आय -जैसे कि किराये की आय या संपत्ति की अंतिम बिक्री से होने वाला मुनाफा को देने वाले की आय के साथ जोड़ दिया जाएगा और लागू स्लैब दरों पर टैक्स लगाया जाएगा।

गोल्डन वीजा
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गोल्डन वीजा

दुबई में प्रॉपर्टी खरीदने से कोई व्यक्ति यूएई के गोल्डन वीजा के लिए भी पात्र हो सकता है, जिसके लिए AED 2 मिलियन (करीब 5 करोड़ रुपये) का न्यूनतम निवेश आवश्यक है।

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