ये है दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच फैक्ट्री, बनते हैं वंदे भारत समेत 170 प्रकार के डिब्बे

World Largest Rail Coach Factory, Chennai Integral Coach Factory: दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच बनाने वाली फैक्ट्री भारत के तमिलनाडु में है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के पैराम्बुर में यह इंटीग्रल कोच फैक्ट्री स्थित है। यहां वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat Train) समेत मेट्रो कोच, ईएमयू, डीएमयू, मेमू और अन्य ट्रेनों के तमाम डिब्बे समेत 170 प्रकार के कोच बनाए जाते हैं। इस फैक्ट्री सरकार के अधीन है और संचालन भारतीय रेलवे के पास है। यह भारतीय रेलवे की 5 रैक उत्पादन यूनिट में सबसे पुरानी है।

यहां हर साल बनते हैं इतने रेल के डिब्बे
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​यहां हर साल बनते हैं इतने रेल के डिब्बे​

चेन्नई इंटीग्रल कोच फैक्ट्री दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच निर्माता फैक्‍ट्री है। 2020 की शुरुआत से कंपनी हर साल 4000 से अधिक कोच बनाती है। जून 2024 तक यह इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने 75000 रेल के डिब्बे तैयार कर दिए थे, इनमें वंदे भारत के कोच कोच भी शामिल हैं।

फैक्ट्री कैसे बनते हैं रेल के कोच
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​फैक्ट्री कैसे बनते हैं रेल के कोच​

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में दो मेन डिवीजन हैं। पहला शेल डिवीजन और दूसरा फर्निशिंग डिवीजन। शेल डिवीजन में 14 अलग-अलग यूनिट हैं, जो मिलकर ट्रेन के डिब्बे के ढांचे का निर्माण करते हैं। डिब्बे के निर्माण के बाद इसे व्हील सेट पर रखा जाता है। फर्निशिंग डिवीजन में यूनिट होते हैं। ये यूनिट डिब्बे के अंदर की फर्निशिंग, बाहर की पेंटिंग, डिब्बे में लाइट का काम और डिब्बे की अन्य काम करते हैं।और पढ़ें

जवाहरलाल नेहरू ने किया था उद्घाटन
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​जवाहरलाल नेहरू ने किया था उद्घाटन​

चेन्नई इंटीग्रल कोच फैक्ट्री का उद्घाटन 1955 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री सबसे शुरुआती प्रोडक्शन यूनिट में से एक है। फर्निशिंग डिवीजन का उद्घाटन 2 अक्टूबर 1962 को किया गया था।

फैक्ट्री बनाने में आई थी इतनी लागत
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​फैक्ट्री बनाने में आई थी इतनी लागत​

चेन्नई इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के निर्माण में उस समय 7 करोड़ 47 लाख रुपये की लागत आई थी।

यहां से बने रेल डिब्बे विदेशों में भी होते हैं निर्यात
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​यहां से बने रेल डिब्बे विदेशों में भी होते हैं निर्यात​

चेन्नई इंटीग्रल कोच फैक्ट्री से रेल के डिब्बे का निर्यात विदेशों में भी किया जाता है। सबसे पहले 1967 में थाईलैंड को निर्यात किया गया था। 13 से अधिक अफ्रीकी-एशियाई देशों में निर्यात किया गया है।

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