ताज को टक्कर देने वाले ओबरॉय में झगड़ा ! कभी गहने गिरवी रख इस शख्स ने शुरू किया था होटल

ओबेरॉय परिवार के सदस्य विरासत में मिली दौलत के बंटवारे में उलझे हुए हैं। उनके बीच यह विवाद तब देखने को मिल रहा है जब यह समूह अपने होटल बिजनेस के विस्तार की योजना बना रहा है। ऐसे में हम जानेंगे की यह विवाद क्या है और ओबेरॉय ग्रुप की शुरुआत कब हुई और किसने की थी।

क्या है ऑबेरॉय परिवाद विवाद
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​क्या है ऑबेरॉय परिवाद विवाद​

ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक विक्रमजीत ओबेरॉय, नताशा ओबेरॉय और अर्जुन ओबेरॉय, जो दिवंगत पीआरएस ओबेरॉय की बेटी अनास्तासिया ओबेरॉय का विरोध कर रहे हैं। इस विवाद की जड़ दो वसीयतें हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें पीआरएस ओबेरॉय ने तैयार किया है।

अनास्तासिया ओबेरॉय
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​अनास्तासिया ओबेरॉय​

अनास्तासिया ओबेरॉय ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सौतेले भाई विक्रमजीत ओबेरॉय, सौतेली बहन नताशा ओबेरॉय और चचेरे भाई अर्जुन ओबेरॉय उनके पिता की वसीयत के अनुसार बंटवारे में बाधा डालने का प्रयास कर रहे हैं।

ईआईएच लिमिटेड के एमडी और सीईओ
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​ईआईएच लिमिटेड के एमडी और सीईओ​

पीआरएस ओबेरॉय की मृत्यु 10 महीने पहले हुई थी। विक्रमजीत ओबेरॉय, ओबेरॉय समूह की प्रमुख कंपनी ईआईएच लिमिटेड के एमडी और सीईओ हैं। अर्जुन ओबेरॉय ईआईएच के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। 25 अक्टूबर, 2021 की तारीख वाली वसीयतों में से एक, 27 अगस्त, 2022 की तारीख वाली कोडिसिल को अनास्तासिया ने ईआईएच लिमिटेड के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष पीआरएस ओबेरॉय की अंतिम वसीयत के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें दावा किया गया है कि इसमें जो इसमें दी गई संपत्तियों में कुछ ट्रस्टों के साथ उनके सही हिस्से को बताता है।और पढ़ें

 किसने शुरू किया था ओबेरॉय ग्रुप
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किसने शुरू किया था ओबेरॉय ग्रुप​

ओबेरॉय ग्रुप की शुरुआत राय बहादुर मोहन सिंह ओबेरॉय ने की थी। दिवंगत पीआरएस ओबेरॉय उनके बेटे हैं। 1888 में जन्में राय बहादुर ने 1934 में पहला होटल शुरू किया था। पिता के देहांत के बाद 1918 में वे अपने अंकल के जूता फैक्ट्री में काम करने लगे। मगर वो फैक्ट्री एक साल में बंद हो गई। उन्हें मजबूरन जॉब के लिए अपनी मां को छोड़कर जाना पड़ा। और पढ़ें

मां ने उन्हें 25 रु दिए
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​मां ने उन्हें 25 रु दिए​

घर छोड़ते हुए राय बहादुर की मां ने उन्हें 25 रु दिए थे। वे शिमला में The Cecil Hotel में 50 रु की सैलरी पर जॉब करने लगे। फिर 1934 में उन्होंने पहला होटल खरीदा। ये होटल उन्होंने पत्नी के गहने और संपत्ति गिरवी रखकर खरीदा था।

5 साल में राय बहादुर ने गिरवी रखी हर चीज फिर से हासिल कर ली
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​5 साल में राय बहादुर ने गिरवी रखी हर चीज फिर से हासिल कर ली​

उनका होटल बिजनेस सफल रहा और अगले 5 साल में राय बहादुर ने गिरवी रखी हर चीज फिर से हासिल कर ली। ओबेरॉय होटल्स की पैरेंट कंपनी EIH है, जिसकी मार्केट कैप करीब 24 हजार करोड़ रुपये है।

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