कैसे पड़ा भारतीयों के फेवरेट स्नैक्स ब्रांड का नाम ''हल्दीराम'', अब ये विदेशी बनाना चाहते हैं अपना

हल्दीराम नमकीन और स्नैक्स के मामले में भारत का सबसे प्रीमियम ब्रांड माना जाता है। ये एक ऐसा ब्रांड है, जो हर कैटेगरी का व्यक्ति पसंद करता है। इसका सबसे सस्ता पैकेट 5 रु का आता है, जिसमें भुजिया के अलावा कई दूसरे प्रोडक्ट भी शामिल हैं।

हल्दीराम की डिमांड
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हल्दीराम की डिमांड

हल्दीराम की डिमांड भारत के अलावा विदेशों में भी है। मगर अब कुछ विदेशी कंपनियां ही हल्दीराम को खरीदने की कोशिश कर रही हैं। कौन-कौन सी हैं ये कंपनियां, आगे जानते हैं।

अमेरिका की टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट
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अमेरिका की टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट

अमेरिका की टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट की यूनिट अल्फा वेव ग्लोबल ने हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है। अल्फा वेव ग्लोबल ने 1 अरब डॉलर का बाइंडिंग ऑफर रखा है।

टाटा और पेप्सीको
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टाटा और पेप्सीको

अल्फा वेव ग्लोबल के अलावा कई और विदेशी कंपनियों ने हल्दीराम में 20% तक हिस्सा खरीदने में रुचि दिखाई है। इनमें ब्लैकस्टोन, अबु धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी और सिंगापुर स्टेट फंड जीआईसी शामिल हैं। वहीं टाटा और पेप्सीको के भी हल्दीराम पर दांव लगाने की रिपोर्ट्स सामने आई हैं।

कोई जानकारी नहीं
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कोई जानकारी नहीं

हालांकि हल्दीराम ने अभी तक हिस्सेदारी बिकवाली पर न तो कोई बयान जारी किया है और न ही सेलिंग डील पर कोई जानकारी दी है।

ऐसे पड़ा नाम
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ऐसे पड़ा नाम

हल्दीराम की शुरुआत 1937 में गंगा बिशन अग्रवाल ने बीकानेर में एक छोटी से दुकान से की थी। उन्होंने अपनी चाची से बेसन की भुजिया बनाना सीखा। खास बात ये है कि बिशनलाल को उनकी दादी हल्दीराम कहती थी। इसी से उनके ब्रांड का नाम भी हल्दीराम रखा गया।

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