गिरते शेयर बाजार में कैसे बनें करोड़पति? जानें वॉरेन बफेट का निवेश मंत्र
वॉरेन बफेट का निवेश मंत्र
इन दिनों शेयर बाजार में निवेस बढ़ गया है। अब शहरों के अलावा गांवों के लोग भी स्टॉक मार्केट में निवेश करने लगे है। अगर कोई शेयर बाजार में निवेश करता है, तो विश्व प्रसिद्ध निवेशक वॉरेन बफेट के निवेश मंत्र को जरूर जानना चाहते हैं। वॉरेन बफेट की बातें मशहूर है कि जब बाजार गिरता है तो दूसरों की तरह डरने के बजाय लालची बन जाना चाहिए। यहां जानते हैं उनके निवेस टिप्स के बारे में।
गिरते बाजार में निवेश करना चाहिए
वॉरेन बफेट के मुताबिक शेयर बाजार में गिरावट हमेशा बेहतरीन निवेश के अवसर पेश करती है। सीधे शब्दों में कहें तो गिरते बाजार में निवेश करना चाहिए। हालांकि ऐसा लगता है कि मौजूदा बाजार में गिरावट के बीच आम निवेशक इस मंत्र को भूल गए हैं और उन्होंने म्यूचुअल फंड में अपना निवेश कम कर दिया है।
इक्विटी म्यूचुअल फंड में गिरावट
नवंबर में इक्विटी म्यूचुअल फंड में 35,943 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो मासिक आधार पर 14 फीसदी की गिरावट है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक गिरावट के बावजूद, यह इक्विटी-उन्मुख फंड में शुद्ध प्रवाह का लगातार 45वां महीना है। भाषा के मुताबिक सिस्टमेटिक निवेश योजनाओं (SIP) से मासिक योगदान पिछले महीने 25,320 करोड़ रुपये पर अपेक्षाकृत स्थिर रहा, जबकि अक्टूबर में यह 25,323 करोड़ रुपये था।
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश क्यों गिरा
कुल मिलाकर नवंबर में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में 60,295 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो अक्टूबर में 2.4 लाख करोड़ रुपये से काफी कम है। इस गिरावट का एक प्रमुख कारण बॉन्ड-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड में निवेश में तेज गिरावट है, जो अक्टूबर में 1.57 लाख करोड़ रुपये से नवंबर में 12,915 करोड़ रुपये तक गिर गया।
बढ़ा AUM
इस बीच, इंडस्ट्री की एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) पिछले महीने बढ़कर 68.08 लाख करोड़ रुपये हो गईं, जो अक्टूबर में 67.25 लाख करोड़ रुपये थीं। आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी-उन्मुख स्कीम्स में निवेश नवंबर में 35,943 करोड़ रुपये रहा, जबकि अक्टूबर में यह 41,887 करोड़ रुपये था।
मिड-कैप म्यूचुअल फंड में बढ़ोतरी
लार्ज-कैप म्यूचुअल फंड में निवेश में 26 प्रतिशत की कमी आई है, जो नवंबर में 3,452 करोड़ रुपये से घटकर 2,548 करोड़ रुपये रह गया। इसके विपरीत, मिड-कैप फंड में मासिक 4.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो 4,883 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जबकि स्मॉल-कैप फंड में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 4,112 करोड़ रुपये हो गया। (डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है, निवेश की सलाह नहीं है, अगर आपर किसी तरह का निवेश करना चाहते हैं तो एक्सपर्ट्स से संपर्क करें)
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