​सरसों की खेती में इन बातों का रखें खास ध्यान, दोगुनी पैदावार के साथ तगड़ी होगी कमाई ​

​भारत में सरसों का सबसे ज्यादा उत्पादन राजस्थान में होता है। सरसों की बीज में करीब 30 से 48 प्रतिशत तेल पाया जाता है, जिस वजह से इस फसल की डिमांड हमेशा बनी रहती है। ऐसे में सही तरीके सरसों की खेती करके किसान कम लागत में बंपर उत्पादन के साथ ही दोगुनी कमाई भी कर सकते हैं। ​

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सरसों की डिमांड

भारत में सरसों का सबसे ज्यादा उत्पादन राजस्थान में होता है। सरसों की बीज में करीब 30 से 48 प्रतिशत तेल पाया जाता है, जिस वजह से इस फसल की डिमांड हमेशा बनी रहती है। ऐसे में सही तरीके सरसों की खेती करके किसान कम लागत में बंपर उत्पादन के साथ ही दोगुनी कमाई भी कर सकते हैं।

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खेती के लिए मिट्टी

सरसों की खेती ठंड के मौसम में की जाती है। इसकी खेती के लिए 15 से 25 डिग्री का तापमान उपयुक्त माना जाता है। वहीं, सरसों की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। बता दें कि सरसों की अच्छी पैदावार के लिए जमीन का पीएच मान 7.0 होना चाहिए।

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बीजों को करें उपचारित

सरसों की बुवाई से पहले जल निकासी का प्रबंध करें। इसके अलावा बीजों को ट्राइकोडर्मा या कार्बन्डिजम से उपचारित करें। सरसों की अच्छी फसल के लिए 8 से 10 टन गोबर की सड़ी हुई या कम्पोस्ट खाद को बुवाई से कम से कम तीन से चार सप्ताह पहले खेत में अच्छी तरह मिला दें।

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कतार में करें बुवाई

सरसों की बुवाई के लिए चार से पांच किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त माना जाता है। बता दें कि सरसों की बुवाई कतारों में करनी चाहिए। कतार की आपस में दूरी करीब 45 सेमी और पौधों से पौधों की दूरी लगभग 20 सेमी होनी चाहिए। इसके लिए सीडड्रिल मशीन का उपयोग करना चाहिए।

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सरसों की सिंचाई

सरसों को खरपतवार से बचाने के लिए बुवाई के 25 से 30 दिन बाद कस्सी से गुड़ाई करनी चाहिए। वहीं, सिंचाई की बात करें तो सरसों की खेती के लिए 4 से 5 सिंचाई पर्याप्त मानी जाती है। सिंचाई के लिए किसान ड्रिप इरिगेशन विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं।