कबाड़ बेचा, अब हैं हजारों करोड़ की कंपनी के मालिक, कौन है ये बिहार के लाल
Anil Agarwal Success Story: बिहार की राजधानी पटना के लाल अनिल अग्रवाल को आप जानते होंगे, वे भारत के बड़े औद्योगिक समूह वेदांता ग्रुप (Vedanta Group) के मालिक हैं। लेकिन आप उनके जीवन के संघर्ष के बारे में नहीं जानते होंगे। एक समय उन्होंने कबाड़ बेचने का काम किया। उन्होंने 70 के दशक में कबाड़ का बिजनेस किया। उनका कारोबारी सफर मेटल स्क्रैप के बिजनेस से शुरू हुआ।
कबाड़ बेचने से की बिजनेस की शुरुआत
कबाड़ बेचने के कारोबार से शुरुआत करने बाद अनिल अग्रवाल काफी मेहनत की। जिसके दम पर उन्होंने सफलता की नई ऊंचाई को छुआ। इतना नहीं वे प्रभावशाली उद्योगपति बन गए। कबाड़ का बिजनेस करते-करते उन्होंने 1976 में वेदांता लिमिटेड की नींव रखी। उनकी लगन ने इस कंपनी को जल्द ही पहचान दिलाई। (प्रतीकात्मक तस्वीर-Canva)
देश से विदेश तक पहुंची उपलब्धि
अनिल अग्रवाल रूके नहीं, वेदांता के बाद 1986 में जेली फिल्ड टेलिफोन केबल बनाने के लिए स्टरलाइट कंपनी बनाई। यह कंपनी देश की पहली प्राइवेट कॉपर स्मेल्टर और रिफाइनरी बनी। इसके बाद उन्होंने भारत एल्यूमिनियम कंपनी BALCO में शेयर खरीदा। फिर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में पैसा लगाया। 2003 में लंदन में वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड की स्थापना की। यह भारत की बसे बड़ी नॉन-फेरस मेटल और माइनिंग कंपनी बनी।
कैसे सफल हुए अनिल अग्रवाल
अनिल अग्रवाल अपने दिलों में सपने संजोए हुए कम उम्र में ही मुंबई चले गए। उन्होंने कई बिजनेस में हाथ अजमाया। अंतत: 10वें बिजनेस में सफलता मिली। वह केबल प्रोडक्शन के सेक्टर में बड़ा नाम बन गए। यहीं से वेदांता आगे बढ़ने लगी।
अनिल अग्रवाल का नेटवर्थ
फोर्ब्स के मुताबिक 2024 में अनिल अग्रवाल की कुल नेटवर्थ 14,283 करोड़ रुपये है। उनकी आय के मुख्य स्रोत वेदांता रिसोर्सेज और एंग्लो अमेरिकन में उनकी हिस्सेदारी हैं। एंग्लो अमेरिकन, ब्रिटेन की एक प्रमुख माइनिंग कंपनी है।
अनिल अग्रवाल और उनका परिवार
अनिल अग्रवाल का जन्म 24 जनवरी 1954 को पटना के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उन्होंने स्कूली शिक्षा पटना के मिलर स्कूल से पूरी की। अनिल अग्रवाल की पत्नी का नाम किरन अग्रवाल है। उन्हें दो बच्चे हैं, बेटे अग्निवेश हिंदुस्तान जिंक के चेयरमैन हैं और बेटी प्रिया एक पीआर प्रोफेशनल हैं। अनिल अग्रवाल एक्टिव तौर पर बिजनेस से जुड़े हुए हैं।वेदांता फाउंडेशन के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सामाजिक काम भी करते हैं।
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