इन बिजनेसमैन ने आजादी की लड़ाई में जमकर दिया पैसा, कोई कहलाता था फाइनेंसर तो कोई कैश बैग

इतिहास के पन्ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के साहस और बलिदान की कहानियों से भरे पड़े हैं। जहाँ एक तरफ महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने आंदोलनों के जरिए अंग्रेजों को भगाने में अहम किरदार निभाया, तो वहीं दूसरी तरफ उन्हीं आंदोलनों को आगे बढ़ाने के लिए कई कारोबारी आगे आए और फाइनेंशियल सहायता दी।

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​ स्वतंत्रता संग्राम ​

यहां हम आपको ऐसे ही कुछ नायकों की जानकारी देंगे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को फायनेंशियल सपोर्ट देने के लिए दिल खोलकर पैसा खर्च किया।

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​सर दोराबजी टाटा​

टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के बेटे सर दोराबजी टाटा का फाइनेंशियल योगदान राष्ट्रवादी अभियानों में काफी अहम था। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जैसी संस्थाओं की मदद करते और विदेशों में भारतीय छात्रों को स्कॉलरशिप पहुंचाते।

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​जमनालाल बजाज​

बजाज ग्रुप के फाउंडर जमनालाल बजाज एक पक्के गांधीवादी थे। उन्होंने गांधीजी के अभियानों का समर्थन करने के लिए काफी पैसा दिया। उन्होंने दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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​हाजी उस्मान सईत​

बेंगलुरु के हाजी उस्मान सईत को कांग्रेस का कैश बैग कहा जाता था। वे अमीर कारोबारी परिवार में जन्मे और बेंगलुरु में अपने पिता के साथ मिलकर कैश बाजार नाम से शॉपिंग सेंटर खोला। उन्होंने कांग्रेस को काफी फाइनेंशियल सपोर्ट किया।

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​जीडी बिड़ला​

स्वतंत्रता आंदोलन को जारी रखने में घनश्याम दास बिड़ला ने भी वित्तीय सहायता की। उन्होंने गांधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के लिए संसाधन उपलब्ध कराए। उन्होंने बिड़ला ग्रुप के फैमिली बिजनेस को आगे बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई थी।

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​पुरुषोत्तमदास ठाकुरदास​

मुंबई के एक गुजराती कपास व्यापारी, मिल मालिक, व्यवसायी और उद्योगपति पुरुषोत्तमदास ठाकुरदास महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थे। उन्होंने कांग्रेस की आर्थिक मदद की और भारतीय कारोबारियों और राष्ट्रीय आंदोलन के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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​चित्तरंजन दास​

देशबंधु के नाम से मशहूर चित्तरंजन दास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक वकील थे। उन्होंने आंदोलन को आर्थिक रूप से मदद देने के लिए अपनी वकालत का इस्तेमाल किया और अपनी कमाई को इस आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया।