कैसे ब्राजील बना 'दूधवाला' देश, इस गाय ने बदली किस्मत, मानता है भारतीय राजा का एहसान
दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील दूध के उत्पादन के मामले में दुनिया में छठे नंबर पर है। ब्राजील में हर साल 3.55 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है। मगर ब्राजील में हमेशा से दूध का इतना उत्पादन नहीं होता था। ये सब हुआ एक भारतीय राजा और उनके एक तोहफे की वजह से।
महाराजा कृष्ण कुमारसिंहजी भावसिंहजी
ये थे भावनगर, गुजरात के महाराजा कृष्ण कुमारसिंहजी भावसिंहजी। उनके एक तोहफे से न सिर्फ ब्राजील डेयरी इंडस्ट्री को फायदा हुआ बल्कि देश की इकोनॉमी में भी सुधार हुआ।
18 गिर गाय
कुमारसिंहजी ने 19वीं सदी में ब्राजील के एक किसान और उद्यमी सेल्सो गार्सिया सिद को 18 गिर गाय और एक सांड तोहफे में दिए। सिद कुमारसिंहजी के दोस्त थे।
जेनेटिक रेवोल्यूशन की शुरुआत
उस सांड को कृष्णा नाम दिया गया, जिसे जब ब्राजील लाया गया, तो इसने एक जेनेटिक रेवोल्यूशन की शुरुआत की जिसने 'गिर' को ब्राजील के गोवंश बाजार में सबसे मूल्यवान नस्लों में से एक बना दिया और और एक नई मिक्स ब्रीड को जन्म दिया।
इकोनॉमी को काफी फायदा
अनुमान लगाया जाता है कि ब्राजील के 80 प्रतिशत 'गिर' मवेशियों में उसी सांड के जीन होते हैं। इन नई नस्ल के मवेशियों ने जमकर दूध देना शुरू किया। इससे ब्राजील के किसानों और इकोनॉमी को काफी फायदा हुआ और ये देश दुनिया के टॉप दूध उत्पादक देशों में शामिल हो गया।
20 साल तक दूध देती हैं
गिर गाय कम बीमार होती हैं, कई गाय 20 साल तक दूध देती हैं और डेली करीब 60 लीटर दूध दे सकती हैं।
भावसिंहजी की प्रतिमा
ब्राजील के करेंसी कॉइन पर गिर गाय की फोटो होती है। वहीं देश की संसद के पास महाराजा कृष्ण कुमारसिंहजी भावसिंहजी की प्रतिमा लगाई गई है।
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