मां के आखिरी शब्द ने बदल दी किस्मत, शुरू किया ऐसा बिजनेस, अब कमा रहे हैं करोड़ों
Online Cake Bhejo Startup: कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे कॉलेज ड्रॉपआउट आशीष रंजन के कानों मां के आखिरी शब्द गुंजते रहते थे। उसी को साकार करने के लिए 2017 में अपने दोस्त के साथ मिलकर बिहार के पटना में ऑनलाइन केक भेजो (OCB) बिजनेस की शुरुआत की। बाद में बेकरी प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चिरिंग करना शुरू किया। जहां मिलेट्स की कुकीज, मफिन, ब्राउनी और बहुत कुछ बनाए जाते हैं। अब वह बिहार में 50 से अधिक महिला किसानों को रोजगार देते हैं। उनका यह स्टार्टअप ने वित्त वर्ष 2023-24 में 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया।
मां के आखिरी शब्द
दबेटरइंडिया के मुताबिक आशीष रंजन की मां ने आखिरी बार कहा था अपने दिल की सुनो और जो चाहो करो। अगर तुम किसी के अधीन काम नहीं करना चाहते, तो अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करो और घर वापस आ जाओ। इसके कुछ दिनों बाद उनकी मां का निधन हो गया। हालांकि उनके भाई और दूसरे रिश्तेदारों ने उनसे नौकरी ढूँढने को कहा था लेकिन उनकी मां के शब्द उनके कानों में गूंजते रहे। (तस्वीर-instagram)और पढ़ें
शुरू किया ऑनलाइन केक भेजो बिजनेस
मां की सलाह के अनुसार वे इंटरप्रोन्योरशिप में हाथ आजमाने के लिए अपने शहर बिहार के पटना लौट आए। 2018 में उन्होंने अपने दोस्त बुद्धिसेन बिट्टू के साथ ‘ऑनलाइन केक भेजो’ (OCB) नाम से एक ऑनलाइन केक बिजनेस शुरू किया, जो शहर भर के घरों में अलग-अलग बेकरी से केक पहुंचाता था। हालांकि यह बिजनेस सफल रहा लेकिन दूसरों द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स पर निर्भर रहने में कमियां थीं, सबसे बड़ी कमी गुणवत्ता की थी।(तस्वीर-instagram)और पढ़ें
महिला किसानों को रोजगार देने को सोचा
31 वर्षीय आशीष अपने काम से संतुष्ट नहीं थे। वह बिहार के टियर-2 और 3 शहरों के निवासियों को अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट उपलब्ध कराना चाहते थे। इस बीच उनके दिमाग में एक और आडिया चल रहा था। महिला किसानों को आजीविका देना। उन्होंने सोचा कि जब ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को ऐसे प्रोडक्ट्स बनाने के लिए ट्रेंड किया जा सकता है, तो ऐसे शेफ को क्यों ट्रेंड किया जाए जो कभी भी नौकरी छोड़ सकते हैं। (तस्वीर-instagram)और पढ़ें
अब 1.5 करोड़ का टर्नओवर
इस आइडिया से लैस होकर आशीष ने एक मैन्युफैक्चरिंग फैसलिटी स्थापित की, सही आपूर्ति सीरीज बनाने के लिए तकनीक का निर्माण किया और राज्य भर के गांवों में महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह तैयार किए। आज OCB केक के बिहार में 6 और उत्तर प्रदेश में 3 आउटलेट हैं। वे ज्वार, रागी, बाजरा और गेहूं जैसे बाजरे से केक, पेस्ट्री, ब्रेड, बन, कुकीज और बहुत कुछ बनाते हैं। आशीष रंजन के मुताबिक 50 से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले OCB केक ने वित्त वर्ष 2023-24 में 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया। (तस्वीर-instagram)और पढ़ें
कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोडी
हरियाणा में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के अपने अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे आशीष को दो पेपर पूरे करने थे, जब उनकी मां का निधन हो गया। उसके बाद नौकरी शुरू की थी लेकिन उन्हें काम का माहौल और उनके सीनियर्स का उनसे बात करने का तरीका पसंद नहीं आया। उनका दिल घर लौटकर अपना कारोबार शुरू करने में लगा हुआ था। अपनी मां की मौत के बाद, उन्हें अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने का मन नहीं हुआ और उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। वह अपने पिता के साथ समय बिताना चाहते थे और मुश्किल समय में उनका साथ देना चाहते थे। उसी समय उन्होंने OCB की शुरुआत की, जो उस समय केक डिलीवर करने वाली एक एग्रीगेटर थी। (तस्वीर-instagram)और पढ़ें
घर में कोई नहीं करता था बिजनेस
आशीष ने द बेटर इंडिया से बातचीत में बताया कि मेरे पिता सरकारी कर्मचारी थे। मेरे पूरे परिवार में कोई इंटरप्रेन्योर नहीं है, जिसकी वजह से यह रास्ता सबको डरावना लग रहा था। हालांकि, मेरे पिता ने मेरे इस फैसले का पूरा समर्थन किया। इस दौरान उनके पिता उनके साथ चट्टान की तरह खड़े रहे। हर दिन जब आशीष घर लौटता, तो उनके पिता उनसे पूछते कि आज कैसा रहा। शुरू में हमें प्रतिदिन केवल दो या तीन ऑर्डर मिलते थे। जब भी मैं निराश होता, तो मेरे पिता ही मुझे प्रोत्साहित करते और आगे बढ़ने की ताकत देते थे। जब उन्हें ज्यादा ऑर्डर मिलने लगे, तब भी गुणवत्ता की समस्या बनी रही। हमने विक्रेताओं के साथ गुणवत्ता जांच करने की कोशिश की, लेकिन यह काम नहीं आया। मैं अपने घर के लोगों को खराब गुणवत्ता वाले केक परोसना पसंद नहीं करता। मैं किसी और बच्चे को ऐसा कैसे परोस सकता हूं। (तस्वीर-instagram)और पढ़ें
बिहार सरकार से मिला अनुदान
20,000 रुपये से बिजनेस करते हुए उन्होंने कुछ शेफ और कुछ प्रोडक्ट के साथ एक बेकरी शुरू की। हालांकि, इसे बनाए रखना मुश्किल था क्योंकि शेफ अक्सर काम छोड़ देते थे। साथ ही, भारत में बेकरी चेन चलाने के लिए बहुत अधिक निवेश की जरुरत थी, जिसके लिए उन्होंने बिहार स्टार्टअप नीति के तहत सरकार से सीड फंडिंग के लिए आवेदन किया। 10 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त करने के बाद उन्होंने एक मैन्युफैक्चिरिंग सुविधा स्थापित की। अगला कदम बाजरा खरीदना था, जिसके लिए उन्होंने बिहार और झारखंड में किसान उत्पादक संगठनों (FPO) से संपर्क किया। उनसे बात करते हुए उन्होंने पाया कि बहुत से छोटे किसान, जिनमें महिलाएं भी थीं, अपनी आजीविका चलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। (तस्वीर-instagram)और पढ़ें
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