​Potato Disease: ये तीन रोग कर देंगे आलू की फसल चौपट, समय रहते जरूर कर लें ये काम

Potato Disease: देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर आलू की खेती की जाती है। हालांकि, कई बार आलू में कई तरह की बीमारियां भी लग जाती है, जिससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इन बीमारियों की पहचान की जाए और इसके रोकथाम व बचाव के लिए सही कदम उठाया जाए। ​

01 / 05
Share

आलू की खेती

देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर आलू की खेती की जाती है। हालांकि, कई बार आलू में कई तरह की बीमारियां भी लग जाती है, जिससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इन बीमारियों की पहचान की जाए और इसके रोकथाम व बचाव के लिए सही कदम उठाया जाए।

02 / 05
Share

सफेद भृंग कीट लगने पर करें ये उपाय

आलू के पौधे जब बड़े होते हैं तो कई बार उसमें सफेद भृंग कीट संक्रमण देखा जाता है। ये मादा कीट मिट्टे में अंडे देती है, जिससे मटमैले रंग के कीट फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे आलू का पैदा सूख जाता है। इस संक्रमण से बचने के लिए शाम के 7 से 9 बजे के बीच में 1 लाइट ट्रैप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगाना चाहिए। इसके साथ ही किसानों को कार्बोफ्यूरान 3 जी की 25 किलो मात्रा (प्रति हेक्टेयर) का उपयोग बुवाई के समय या कुछ दिनों के बाद करना चाहिए।

03 / 05
Share

पछेती झुलसा रोग के लक्षण

आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग होने की वजह से पौधे की पत्तियों के किनारे और ऊपर का भाग सूख जाता है। साथ ही इस रोग से किसानों को उत्पादन में 40 से 50 फीसदी का नुकसान होता है। ऐसे में इससे बचने के लिए बुवाई के 15 दिनों के अंतराल पर मैंकोजेब 175 प्रतिशत की 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

04 / 05
Share

ज्यादा संक्रमण पर करें ये काम

पछेती झुलसा रोग का अधिक संक्रमण होने पर मैंकोजेब, मेटालैक्सिल और कार्बेण्डाजिम मैन्कोजेब को मिलाकर करीब 2 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी मिलाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए। इस छिड़काव से आप अपनी फसल को बर्बाद होने से बचा सकते हैं।

05 / 05
Share

अगेती झुलसा रोग से ऐसे करें बचाव

आलू की फसल में अगेती झुलसा रोग के संक्रमण से पोधे की पत्तियों पर भूरे रंग का धब्बा बना जाता है। इस धब्बे का आकार गोल और अंगूठी जैसा लगता है। इस रोग से उत्पादन में 70 फीसदी असर पड़ता है। इस रोग से बचने के लिए किसानों को खेत को साफ-सुथरा रखना चाहिए। किसान मैंकोजेब 75 प्रतिशत की 2 ग्राम मात्रा या कार्बेन्डाजिम और मैन्कोजेब को मिलाकर उसकी कुल 2 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं।