ये है कश्मीर घाटी का पहला रेस्टोरेंट, 106 साल पुराना, जानें क्या है रेट

अपनी जम्मू-कश्मीर यात्रा के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी Ahdoo's रेस्टोरेंट में गए। ये रेस्टोरेंट लाल चौक (श्रीनगर) में मौजूद है। इसकी शुरुआत 106 साल पहले 1918 में हाजी मोहम्मद सुल्तान ने एक छोटी बेकरी के तौर पर की थी। सुल्तान ने अपने पिता अहद के निकनेम 'अहदू' पर ये बेकरी शुरू की थी।

तीसरी पीढ़ी संभाल रही
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तीसरी पीढ़ी संभाल रही

सुल्तान के बाद इस रेस्टोरेंट को उनके बेटे हसन संभालने लगे। 2010 में सुल्तान के पोते हयात ने रेस्टोरेंट की कमान अपने हाथ में ली।

राजनेताओं के लिए मीटिंग सेंटर
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​राजनेताओं के लिए मीटिंग सेंटर​

अपनी लोकेशन के चलते यह रेस्टोरेंट नौकरशाहों और राजनेताओं के लिए मीटिंग सेंटर रहा है। अहदू की शुरुआत महाराजा हरि सिंह के कहने पर की गई थी, जो जम्मू-कश्मीर रियासत के अंतिम राजा थे।

राजा हरि सिंह
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राजा हरि सिंह

1910 के दशक में उन्होंने अपने अकाउंट सेक्शन में काम करने वाले अहद (सुल्तान के पिता) को सुझाव दिया कि वह अपने बेटे को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कलकत्ता (अब कोलकाता) में चलाई जाने वाली एक हलवाई की दुकान पर खाना पकाना सीखने के लिए भेजें।

दादा का केक पसंद आया
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​दादा का केक पसंद आया​

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार हयात के अनुसार एक बार अपने बेटे करण सिंह के जन्मदिन पर महाराजा ने दो केक मंगवाए थे - एक दिल्ली से मंगवाया गया और दूसरा अहदू से। मेहमानों ने उनके दादा का केक पसंद किया।

बेकरी को रेस्टोरेंट में बदला
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​बेकरी को रेस्टोरेंट में बदला​

1920 के दशक तक, बेकरी को एक रेस्टोरेंट में बदल दिया गया। यह घाटी में पहला रेस्टोरेंट था जो कश्मीरी वाज़वान या पारंपरिक शादी की दावत ऑफर करता था।

कितना होगा खर्च
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कितना होगा खर्च

जोमैटो की वेबसाइट के अनुसार यहां दो लोगों के खाने का खर्च करीब 1500 रु है। यहां नॉर्थ इंडियन के साथ-साथ साउथ इंडियन खाना भी मिलता है। मेन्यू में मटन सीख कबाब (170 रु), चिकन सीख कबाब (170 रु), मटन टिक्का (225 रु), चिकन टिक्का (225 रु), चिकन/मटन सूप (150 रु), मशरूम सूप (125 रु), मुगलई चिकन (370 रु) और पालक कोरमा (380 रु) शामिल हैं।और पढ़ें

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