राजस्थान में खेती से एक साल में कमाए 50 लाख, कई पुरस्कार जीतने वाले कौन हैं ये किसान
Rajasthan Farmer Success Story: राजस्थान के भैराना गांव से आने वाले सुरेंद्र अवाना ने अपने परिवार की पारंपरिक खेती के तरीकों को एक आधुनिक, टिकाऊ खेती उद्यम में बदल दिया। जैविक खेती, बागवानी और डेयरी फार्मिंग को मिलाकर अवाना ने सफलता का एक अभूतपूर्व मॉडल विकसित किया है, जिससे सालाना 50 लाख रुपये से अधिक की आय होती है।
परंपरा से इनोवेशन तक का सफर
कृषि जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक इंटीग्रेटेड फॉर्मिंग सिस्टम (IFS) को अपनाते हुए अवाना ने 55 एकड़ में जैविक खेती की है, जिसमें डेयरी फार्मिंग, बागवानी, औषधीय फसलें और पर्यावरण के अनुकूल इनोवेशन शामिल हैं। ईंटों और दीयों जैसी वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए गाय के गोबर का उपयोग करके, अवाना ने एक ऐसा खेत बनाया है जो पर्यावरण को लाभ पहुंचाता है और साथ ही अधिकतम बेनिफिट भी देता है। अवाना ने आईएफएस को अपनाकर अपनी पारंपरिक खेती के तरीकों को बदल दिया, जैविक खेती, डेयरी, बागवानी और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को शामिल किया, जिससे उन्हें सालाना 50 लाख रुपये से अधिक की आय हुई। (प्रतीकात्मक तस्वीर-Canva)और पढ़ें
स्थायी खेती के तरीके
सुरेंद्र अवाना एक आत्मनिर्भर फार्म चलाते हैं, जिसमें 300 गिर गायें हैं और 42 किस्म के फल और सब्जियां उगाई जाती हैं। ईंटों और दीयों जैसे उत्पादों को बनाने के लिए गाय के गोबर का उनका अभिनव उपयोग पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देता है।(प्रतीकात्मक तस्वीर-Canva)
डायरेक्ट मार्केटिंग
अवाना के खेत में उच्च मूल्य वाले उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जिन्हें सीधे उपभोक्ताओं को बेचा जाता है, जिससे बिचौलियों को खत्म किया जाता है और बेहतर राजस्व और मजबूत बाजार संबंध सुनिश्चित होते हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर-Canva)
सरकारी सहायता का लाभ
जानकारीपूर्ण निर्णय लेने के जरिये अवाना ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन समेत सरकारी सब्सिडी और कार्यक्रमों का उपयोग किया, जिससे कृषि विस्तार के लिए 2 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई। (प्रतीकात्मक तस्वीर-Canva)
कई पुरस्कार जीते
अवाना को कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें IARI-फेलो किसान पुरस्कार (2023), राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (2021) और टिकाऊ कृषि और पशुधन प्रजनन में उनके योगदान के लिए कई अन्य पुरस्कार शामिल हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर-Canva)
फाइनेंशियल सक्सेस
10-12 लाख रुपये की मासिक परिचालन लागत के साथ अवाना हर महीने 4-5 लाख रुपये का लाभ कमाते हैं, जो एकीकृत और टिकाऊ कृषि पद्धतियों की लाभप्रदता को दर्शाता है।(प्रतीकात्मक तस्वीर-Canva)
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