500 रुपये से आचार बनाकर सड़क किनारे बेचा, अब है करोड़ों का कारोबार, जानिए सफलता की कहानी
Shri Krishna Pickle success story: यूपी के एक छोटे से गांव से रोजी रोटी की तलाश दिल्ली आई कृष्णा यादव ने अपनी आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए 500 रुपए से अचार बनाकर बेचना शुरू किया। अब वह श्री कृष्णा आचार (Shri Krishna Pickles) नामक कंपनी चला रही है। इतना ही नहीं उसका सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपए का हो गया है। उसका कारोबार फलने-फुलने से पहले वह एक ऐसे परिवार को चलाती थी जो रोटी और नमक पर गुजारा करता था और सब्ज़ियां खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे कृष्णा ने सड़क किनारे अचार बेचने वाले के रूप में शुरुआत की लेकिन इतनी प्रसिद्धि पाई कि उन्हें खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रतिष्ठित एन जी रंगा किसान पुरस्कार से सम्मानित किया।
एक समय नमक और रोटी पर किया गुजारा
उत्तर प्रदेश में जन्मी कृष्णा यादव को अपने पति की ट्रैफिक पुलिस की नौकरी छूट जाने के बाद बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उन्हें अपने दो घर बेचने पड़े। परिवार ने कई महीनों तक नमक और रोटी पर गुजारा किया क्योंकि वे सब्ज़ियां नहीं खरीद सकते थे। अपनी जेब में सिर्फ 500 रुपये लेकर कृष्णा ने अपने पति और तीन बच्चों के साथ दिल्ली आ गईं। कई महीनों तक संघर्ष करने के बाद दंपति ने एक खेत में बटाईदारी शुरू की
अचार और मुरब्बा बनाना सीखा
कृष्णा यादव अपने पति के साथ ने सब्ज़ियां उगाना शुरू किया लेकिन उससे गुजारा नहीं हो पाता था, आर्थिक रूप से संघर्ष करना पड़ता था। बाद में कृष्णा ने कृषि विज्ञान केंद्र में फसल कटाई के बाद मूल्य संवर्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम (Value Addition Training Program) में भाग लिया, जहां उन्होंने अचार और मुरब्बा बनाना सीखा। 2002 में उन्होंने घर पर ही करोंदा अचार और कैंडी बनाना शुरू किया, और उनके पति उन्हें सड़क किनारे ठेलों पर बेचते थे।
ऐसे की श्री कृष्णा अचार की शुरुआत
कृष्णा के अनोखे अचार ने ग्राहकों को उनकी ओर आकर्षित करना शुरू कर दिया। अगले कुछ वर्षों में उनके अचार की मांग बढ़ती गई, जिससे उन्हें औपचारिक रूप से अपनी कंपनी श्री कृष्णा अचार की शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया। उनके प्रोडक्ट की अच्छी गुणवत्ता के कारण उनका व्यवसाय फलने-फूलने लगा और धीरे-धीरे उनके ग्राहकों की संख्या बढ़ती गई।
ऐसे पहुंची 500 रुपए से 5 करोड़ तक
500 रुपये लेकर दिल्ली आई कृष्णा ने अपने बिजनेस को 5 करोड़ रुपये के प्रभावशाली सालाना कारोबार तक बढ़ा दिया है। कृष्णा के पति और सबसे बड़ा बेटा भी व्यवसाय में शामिल हैं, जबकि उनके अन्य दो बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
कभी स्कूल नहीं गईं, पर स्कूलों में देती है व्याख्यान
यह एक विडंबना है कि कृष्णा यादव जो कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन उसे दिल्ली के स्कूलों में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
कृष्णा यादव को मिले कई पुरस्कार और सम्मान
कृष्णा यादव को कई पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें 2012 में राष्ट्रीय महिला आयोग से उत्कृष्ट महिला पुरस्कार; 2013 में वैश्विक कृषि शिखर सम्मेलन के दौरान कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए अभिनव पुरस्कार और 2014 में प्रतिष्ठित एन जी रंगा पुरस्कार शामिल हैं।
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