आजादी से पहले के ये 5 रेस्टोरेंट, भारत की इकोनॉमी में लगा रहे हैं चारचांद
Indian Restaurants: भारत के आर्थिक विकास में न सिर्फ औद्योगिक घरानों का हाथ है बल्कि रेस्टोरेंट का भी बड़ा योगदान है। कई ऐसे रेस्टोरेंट्स हैं जो देश की आजादी से पहले बने और युगों के उतार-चढ़ाव, पीढ़ियों के बदलने के बावजूद देश के लगातार विकसित होते परिदृश्य में योगदान दिया है। यहां जानिए उन पांच रेस्टोरेंट्स के बारे में जो आजादी के पहले से आज तक देश के विकास में योगदान दे करे हैं।
रोजगार के साधन भी हैं ये रेस्टोरेंट्स
भारत की आजादी से पहले से चल रहे रेस्टोरेंट्स में कोलकाता का इंडियन कॉफी हाउस, दिल्ली का करीम, बैंगलोर का मावल्ली टिफिन रूम, मुंबई की ब्रिटानिया एंड कंपनी, लखनऊ का टुंडे कबाबी फेमस है। वे सिर्फ खाने-पीने की जगह नहीं हैं। यह हजारों लोगों को रोजगार देने का साधन भी बन गया है। अब तो रेस्टोरेंट में काम करने के लिए होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई भी हो रही है। देश में 5 ऐसे रेस्टोरेंट हैं जो 1947 यानी देश की आजादी से पहले से मौजूद हैं और आज भी देश के विकास में योगदान दे रहे हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर-Cava)
इंडियन कॉफी हाउस, कोलकाता
कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट पर स्थित इंडियन कॉफ़ी हाउस की स्थापना 1876 में हुई थी। इसे मूल रूप से अल्बर्ट हॉल के नाम से जाना जाता था, लेकिन 1942 में इसे इंडियन कॉफी हाउस बना दिया गया। यह दशकों से बुद्धिजीवियों, कलाकारों, बिजनेसमैन और राजनीतिक हस्तियों का केंद्र रहा है। यहां आने वालों में रवींद्रनाथ टैगोर और सुभाष चंद्र बोस जैसे लोग शामिल रहे हैं। इस सेस्टोरेंट से सैकड़ों लोगों का जीवन चलता है। (तस्वीर-commons.wikimedia)
करीम, दिल्ली
पुरानी दिल्ली के लालकिले इलाके में जामा मस्जिद के पास करीम रेस्टोरेंट देश ही नहीं दुनिया भर में फेमस है। इसे 1913 में हाजी करीमुद्दीन ने स्थापित किया था। यह एक मुगलई रेस्टोरेंट है। मुगल सम्राटों के शाही रसोइयों के वंशजों द्वारा की गई थी। स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को यह रेस्टोरेंट काफी आकर्षित करता है। कहा जाता है यहां विदेशों से भी लोग भोजन करने आते हैं। इस रेस्टोरेंट में का कारोबार इतना बड़ा है कि सैकड़ों परिवारों का जीवन चलता है। (तस्वीर-commons.wikimedia)
मावल्ली टिफिन रूम (MTR), बैंगलोर
मावल्ली टिफिन रूम (MTR) 1924 में स्थापित हुआ, यह साउथ इंडिया व्यंजनों के लिए फेमस है। अपने प्रामाणिक डोसा, इडली और फिल्टर कॉफ़ी के लिए जाना जाने वाला MTR करीब एक सदी से स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन परोस रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब चावल की कमी थी तो MTR ने रवा इडली का आविष्कार किया, जो आज भी इसके सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है। यह रेस्टोरेंट स्थानीय लोगों और सैलानियों के लिए एक पसंदीदा स्थान है। यह रेस्टोरेंट वहां की आर्थिक तरक्की में अहम योगदान दे रहा है। (तस्वीर-commons.wikimedia)
ब्रिटानिया एंड कंपनी, मुंबई
मुंबई में ब्रिटानिया एंड कंपनी 1923 में एक पारसी परिवार ने स्थापित किया था। यह पारसी व्यंजनों, विशेष रूप से प्रतिष्ठित बेरी पुलाव के लिए प्रसिद्ध है। शहर के चहल-पहल वाले बैलार्ड एस्टेट इलाके में स्थित, पुराने जमाने के फर्नीचर और चेकर्ड टेबलक्लॉथ से परिपूर्ण इस रेस्टोरेंट के प्रति लोगो आकर्षण काफी है। इसके संस्थापक बोमन कोहिनूर हैं। बदलते जमाने के यह रेस्टोरेंट बरकरार है। इसका बिजनेस लगातार बढ़ रहा है। यह रोजगार निर्माण में योगदान दे रहा है।(तस्वीर-commons.wikimedia)
टुंडे कबाबी, लखनऊ
लखनऊ में टुंडे कबाबी रेस्टोरेंट 1905 से लगातार चल रहा है। यह कबाबों के लिए प्रसिद्ध है। इस रेस्टोरेंट की स्थापना हाजी मुराद अली ने की थी, जिन्होंने एक हाथ खोने के बावजूद कबाब बनाने में महारत हासिल की। अमीनाबाद में मूल दुकान अभी भी चालू है और उसका पुराना आकर्षण बरकरार है। धीरे-धीरे कारोबार बढ़ता जा रहा है। इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। (तस्वीर-commons.wikimedia)
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