अमेरिका में मंदी ! जापान से लेकर भारत में हाहाकार,आ गया नया भूचाल
एक बार फिर दुनिया में मंदी का खतरा मंडराने लगा है। अमेरिका में आए ताजा आंकड़ों ने दुनिया भर की चिंता बढ़ा दी है। आलम यह है कि दुनिया भर के शेयर बाजार धड़ाम हो गए हैं। भारत में निवेशकों के 5 अगस्त को दोपहर 12 बजे तक 15.5 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं। जापान के बाजार में भी बुरा हाल है। अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या हो गया कि दुनिया भर में तूफान आ गया और हर तरफ हाहाकार मच गया।
अमेरिकी में मंदी का डर
अमेरिका में मंदी का आशंका से पूरी दुनिया में भूचाल आ गया है। शेयर बाजारों में निवेशकों के लाखों करोड़ डूब गए हैं। सोना भी धड़ाम हो गया है। भारत में सोने की कीमत 5 अगस्त को प्रति तोले 640 रुपये से ज्यादा गिर गई है।
जापान में 1987 के बाद सबसे बड़ी गिरावट
जापान के सूचकांक निक्की 225 में 1987 के बाद सबसे बड़ी गिरावट आई है। यह भारी बिकवाली के कारण 12 प्रतिशत से अधिक लुढ़क गया। इसके पहले निक्की में अक्टूबर 1987 में 3,836 अंक या 14.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी जिसे ‘‘ब्लैक मंडे’’ (काला सोमवार) करार दिया गया था।
भारत में डूब गए 15.5 लाख करोड़
भारतीय शेयर बाजार 5 अगस्त को भारी गिरावट के साथ खुला और निफ्टी 24350 से नीचे पहुंच गया। करीब पौने 12 बजे सेंसेक्स 2400 और निफ्टी 696 अंक नीचे था। इस गिरावट के दो प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। पहला अमेरिका में मंदी की चिंता और दूसरा ईरान-इजराइल के बीच बढ़ता तनाव। जिससे निवेशकों के 15.5 लाख करोड़ डूब गए।और पढ़ें
अमेरिका में क्यों आया तूफान
असल में अमेरिका में रोजगार के ताजा आकड़ों ने चिंताएं बढ़ा दी है। वहां पर बेरोजगारी दर 3 साल के टॉप पर पहुंच गई है। बेरोजगारी दर 4.1 फीसदी पर है। लेबर डिपार्टमेंट के अनुसार नॉन-फार्म पेरोल में पिछले महीने केवल 114,000 जॉब्स बढ़े। जबकि इसके 175,000 बढ़ने की उम्मीद थी। यही नहीं अमेरिकी हर महीने 200,000 नए जॉब्स की जरूरत है। ऐसे में ताजा आंकड़ों ने दुनिया को हिला दिया है।और पढ़ें
प्रॉपर्टी पर रिस्क
इसके अलावा अमेरिका में बाढ़ और आग लगने से करीब 1.7 करोड़ घरों पर खतरा मंडरा रहा है। और इसकी वजह से 1.2 लाख करोड़ डॉलर की प्रॉपर्टी बाजार पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा अमेरिका और कनाडा की कंपनियों द्वारा जिस तरह छंटनी की जा रही है, उसने भी सेंटीमेंट पर असर डाला है।
ईरान-इजराइल युद्ध की आशंका
ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की आशंका के कारण भी निगेटिव सेंटिमेंट है। इसके अलावा वॉरेन बफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे ने एप्पल में अपनी 50% हिस्सेदारी बेच दी है। वे अब कैश बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं। ऐसे में अन्य बड़े निवेशक भी बिकवाली कर रहे हैं।
एफएमसीजी में तेजी
भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट के बाद भी एफएमजीसी शेयर अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि इन कंपनियों के मांग पर असर की उम्मीद कम दिख रही है।
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