किस देश की थी Vodafone, फिर कैसे बन गई बिड़ला की 'दोस्त'

वोडाफोन-आइडिया आज भारत में तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क और दुनिया में नौवां सबसे बड़ा मोबाइल टेलिकम्युनिकेशन नेटवर्क है। आज जिसे हम Vodafone -Idea के नाम से जानते हैं पहले वह दो अलग-अलग कंपनियां होती थी। फिर ये कैसे एक साथ आईं चलिए जानते हैं।

वोडाफोन की कैसे बनी
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​वोडाफोन की कैसे बनी​

दरअसल वोडाफोन पहले हचिसन टेलीकम्युनिकेशन लिमिटेड के पास थी बाद में 21 सितंबर 2007 को इसका नाम बदलकर वोडाफोन इंडिया कर दिया गया। मई 2011 में वोडाफोन ग्रुप पीएलसी ने एस्सार ग्रुप लिमिटेड से वोडाफोन एस्सार के शेष शेयर 5 बिलियन डॉलर में खरीद लिए थे।

आइडिया कैसे बनी
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​आइडिया कैसे बनी​

वोडाफोन आइडिया लिमिटेड एक आदित्य बिड़ला समूह और वोडाफोन समूह की साझेदारी है। गुजरात और महाराष्ट्र सर्कल में जीएसएम लाइसेंस मिलने के बाद 1995 में आइडिया सेल्युलर को बिड़ला कम्युनिकेशंस के रूप में शामिल किया गया था।

इन कंपनियों को मिलाकर बनी आइडिया
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​इन कंपनियों को मिलाकर बनी आइडिया​

कंपनी का नाम बदलकर आइडिया सेल्युलर कर दिया गया और ग्रासिम इंडस्ट्रीज, एटीएंडटी कॉरपोरेशन और टाटा ग्रुप के साथ विलय और संयुक्त उद्यम के बाद कई नाम परिवर्तनों के बाद 2002 में ब्रांड आइडिया पेश किया गया। 2004 और 2006 में क्रमशः एटी एंड टी कॉर्पोरेशन और टाटा समूह के संयुक्त उद्यम से बाहर निकलने के बाद, आइडिया सेल्युलर आदित्य बिड़ला समूह की सहायक कंपनी बन गई। और पढ़ें

वोडाफोन आइडिया Vi कैसे बनी
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​वोडाफोन आइडिया (Vi) कैसे बनी​

वोडाफोन आइडिया का वजूद 31 अगस्त 2018 को वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर के विलय से हुआ था। 20 सितंबर 2020 को, दो अलग-अलग ब्रांड वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर को वोडाफोन आइडिया (Vi) के रूप में रीब्रांड किया गया।

विलय को जुलाई 2018 में दूरसंचार विभाग से मंजूरी मिली
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​विलय को जुलाई 2018 में दूरसंचार विभाग से मंजूरी मिली​

मार्च 2017 में, यह घोषणा की गई थी कि वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर का विलय होगा। विलय को जुलाई 2018 में दूरसंचार विभाग से मंजूरी मिल गई। 30 अगस्त 2018 को, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने वोडाफोन-आइडिया विलय को अंतिम मंजूरी दे दी। यह 31 अगस्त 2018 को पूरा हुआ और नई यूनिट का नाम वोडाफोन आइडिया रखा गया।और पढ़ें

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