खसरा और खतौनी में क्या अंतर होता है, जमीन जायदाद बेचने-खरीदने में अहम

अपनी जमीन को पहचान देने, जमीन बेचने या खरीदने के लिए खसरा नंबर बहुत जरूरी होता है। यह ऐसा नंबर है जिसमें हल्की सी गड़बड़ी बाद में बड़ी समस्या पैदा कर सकती है। यदि आपके पास गांव में जमीन है तो उसका खसरा नंबर जरूर जानना चाहिए। वहीं शहर में प्रॉपर्टी होने पर उसका प्लॉट नंबर या सर्वे नंबर जानना चाहिए।

खसरा और खतौनी में क्या अंतर होता है
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​खसरा और खतौनी में क्या अंतर होता है?

जैसे बैंक में खाता खुलवाने के लिए खाता संख्या की जरूरत होती है, वैसे ही जमीन खरीदने या बेचने (Buy and Sell Property) के लिए खसरा नंबर की जरूरत पड़ती है। गांवों में खेत या जमीन के लिए खसरा नंबर दिया जाता है, जबकि शहरों में यही प्लॉट नंबर या सर्वे नंबर के नाम से जाना जाता है।

खसरा नंबर जरूरी
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​खसरा नंबर जरूरी​

जमीन खरीद रहे हों या बेचने जा रहे हों, आपको खसरा नंबर जरूर पूछा जाएगा। खसरा भी एक तरह का नंबर है जो किसी प्लॉट या जमीन के टुकड़े को दिया जाता है।

खसरा नंबर आप ये जानकारी ले सकते हैं
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​खसरा नंबर आप ये जानकारी ले सकते हैं​

सारी सुविधाएं ऑनलाइन हो गई हैं। ऐसे में खसरा नंबर आप से जमीन का क्षेत्रफल, माप, फसलों और मिट्टी से जुड़ी जानकारी ले सकते हैं। खसरा से मिलता जुलता शब्द शजरा है और खसरा इसी शजरा का हिस्सा है। यहां शजरा का अर्थ पूरे गांव के नक्शे से है।

किसको कब जमीन दी गई मिल जाएगी जानकारी
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किसको कब जमीन दी गई मिल जाएगी जानकारी

जब एक ही प्लॉट अलग-अलग हिस्से में बंट जाए या कोई प्लॉट गिफ्ट में दे दिया जाए। जैसे कोई एक प्लॉट दो भाइयों में बंटे तो उसका नंबर 101/1 101/2 होगा। इससे पता चलेगा कि मूल प्लॉट का खसरा नंबर 101 है, लेकिन वहीं बंटकर अब 1 और 2 सब सेक्शन में बंट गया है। इस तरह खसरा नंबर में भी बदलाव होता है।

खतौनी किसे कहते हैं
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​खतौनी किसे कहते हैं?​

खतौनी एक रिकॉर्ड है जो राज्य के राजस्व विभाग के पास होती है। इसमें किसी भी व्यक्ति या उसके परिवार के पास कितनी जमीन संपत्ति के तौर पर है इसकी जानकारी होती है। इस दस्तावेज में उस जमीन को लेकर पूरा विस्तृत विवरण होता है। देश में जमीन के बिक्री और खरीद के समय खतौनी नंबर अहम होता है।

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