कहां से निकला कोहिनूर हीरा, पहला मालिक कौन, महंगा इतना कि बनेंगे 13 बुर्ज खलीफा
कोहिनूर हीरा दुनिया भर में फेमस है, जो फिलहाल इंग्लैंड में है। कोहिनूर एक फारसी का शब्द है, जिसका मतलब है रोशनी का पहाड़। भारत कोहिनूर हीरे पर अपना दावा करता है, जो कि सही भी है। क्योंकि कोहिनूर हीरा भारत की एक खदान से निकला था।
कोहिनूर हीरा
यहां हम आपको बताएंगे कि कोहिनूर हीरा देश की किस खदान से निकला था और कैसे ये इंग्लैंड पहुंचा।
1.67 लाख करोड़ रु है कीमत
कोहिनूर हीरे की आज वैल्यू करीब 1.67 लाख करोड़ रु है। जबकि बुर्ज खलीफा 12500 करोड़ में बनी थी। यानी कोहिनूर की कीमत में 13 बुर्ज खलीफा बन जाएंगी। इतिहासकारों के अनुसार कोहिनूर गोलकुंडा किले के पास कोल्लूर खदान से मिला था, जो आंध्र प्रदेश में मौजूद है। मुगल बादशाहों में सबसे पहले कोहिनूर हीरा शाहजहाँ को मिला था।
शाहजहाँ को बतौर गिफ्ट दिया
गोलकुंडा का सुल्तान था अब्दुल्ला कुतुब शाह। उसने ईरान से आए मीर जुमला को अपनी रियासत का वजीर बनाया। मीर जुमला ने कोहिनूर शाहजहाँ को बतौर गिफ्ट दिया था।
मयूर सिंहासन में जड़वाया
असल में मीर जुमला सुल्तान अब्दुल्ला की हुकूमत खत्म करना चाहता था, इसलिए उसने शाहजहां को ये हीरा देकर उसका ध्यान गोलकुंडा की तरफ खींचा। बाद में शाहजहाँ ने कोहिनूर को मयूर सिंहासन में जड़वाया था, जो उसके बाद मुगल राजा मुहम्मद शाह के पास पहुंचा।
कैसे पहुंचा इंग्लैंड
1739 में ईरान का बादशाह नादिर शाह कोहिनूर लूटकर अपने देश ले गया। फिर अफगानिस्तान के राजा शुजाशाह ने इसे महाराजा रणजीत सिंह को लौटाया। अंग्रेजों की नजर इस नायाब हीरे पर पड़ी और उन्होंने कोहिनूर को इंग्लैंड पहुँचा दिया।
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