कौन हैं मेहिल मिस्त्री और खंबाटा, रतन टाटा ने दिया है वसीयत लागू करवाने का जिम्मा!

टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा अपने पीछे करीब 7,900 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ गए हैं। ईटी के मुताबिक रतन टाटा ने अपनी वसीयत को लागू करवाने के लिए दो लोगों के हाथों में जिम्मेदारी सौपी है। साथ ही उन्होंने अपनी सौतेली बहनों को भी नॉमिनेट किया है। तो चलिए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

रतन टाटा की वसीयत
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रतन टाटा की वसीयत

रतन टाटा ने अपनी वसीयत को लागू करवाने के लिए जिन दो लोगों को जिम्मेदारी सौपी है उनमें उनके करीबी वकील दोस्त डेरियस खंबाटा और सहयोगी मेहली मिस्त्री हैं। साथ ही उन्होंने अपनी सौतेली बहनों शिरीन और डियना जीजीभॉय को भी इसके लिए नॉमिनेट किया है।

रतन टाटा के पास टाटा संस में 083 हिस्सेदारी
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रतन टाटा के पास टाटा संस में 0.83% हिस्सेदारी

हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2024 के अनुसार रतन टाटा के पास टाटा संस में 0.83% हिस्सेदारी थी और उनकी नेटवर्थ 7,900 करोड़ रुपये थी। टाटा चाहते थे कि उनकी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान और समाज के कल्याण में दिया जाए। उनकी लगभग तीन-चौथाई नेटवर्थ टाटा संस में उनकी हिस्सेदारी से जुड़ी है।

किसमें थे रतन टाटा के निवेश
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किसमें थे रतन टाटा के निवेश

इसके अलावा टाटा ने ओला, पेटीएम, ट्रैक्सन, फर्स्टक्राई, ब्लूस्टोन, कारदेखो, कैशकरो, अर्बन कंपनी और अपस्टॉक्स सहित लगभग दो दर्जन कंपनियों में निवेश किया था। हालांकि इनमें से कुछ कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी।

कौन हैं मेहिल मिस्त्री
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कौन हैं मेहिल मिस्त्री

मेहिल मिस्त्री टाटा संस के पूर्व चेयरमैन दिवंगत साइरस मिस्त्री के चचेरे है। उन्होंने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटान से जुड़े विवाद में रतन टाटा का लगातार समर्थन किया था। वह हाल के वर्षों में रतन टाटा के स्वास्थ्य की देखभाल में भी शामिल थे। मेहली मिस्त्री रतन टाटा के विश्वासपात्र थे और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में ट्रस्टी थे।और पढ़ें

एडवोकेट खंबाटा
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एडवोकेट खंबाटा

ईटी के मुताबिक एडवोकेट खंबाटा ने रतन टाटा की वसीयत तैयार करने में मदद की थी। लगभग सात साल के अंतराल के बाद उनकी पिछले साल टाटा के दो प्राइमरी ट्रस्टों में ट्रस्टी के रूप में वापस हुई थी। उन्होंने पेशेवर प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए 2016 में ट्रस्ट छोड़ दिए थे। नियमों के मुताबिक दिवंगत की वसीयत को लागू करने के लिए एक्जीक्यूटर का होना जरूरी है।और पढ़ें

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