पतंजलि को बाबा रामदेव ने तो Dabur को किसने किया शुरू, जानें क्या था पहला प्रोडक्ट
देश की सबसे बड़ी आयुर्वेद कंपनियों में शामिल पतंजलि और डाबर का नाम तो आपने सुना ही होगा। साल 2006 में स्वामी रामदेव और बालकृष्ण ने मिलकर पतंजलि की स्थापना की थी। इसमें ज्यादातर लोग पतंजलि को खड़ा करने वाले बाबा रामदेव के बारे में जानते होंगे। लेकिन क्या आप डाबर की शुरुआती कब, किसने और कैसे की इसके बारे में जानते हैं।
डाबर कंपनी कितने साल पुरानी है
डाबर की शुरुआत 140 साल पहले डॉ. एसके बर्मन ने 1884 में की थी। डॉ. बर्मन आयुर्वेद विशेषज्ञ थे। कोलकाता से उन्होंने अपनी प्रैक्टिस शुरू की थी। इसी के चलते उनकी पूरी फैमिली पंजाब से कोलकाता शिफ्ट हुई। उन्होंने 80 के दौर में कब्ज, कालरा और मलेरिया की दवाओं का फॉर्मूला तैयार करने पर काम किया। जब दवा बन गई तब डॉ. बर्मन साइकिल से घूम-घूमकर इन्हें बेचने लगे।
डाबर नाम पड़ने की पीछे है मजेदार कहानी
डॉ बर्मन को लोग डाक्टर कहा करते थे। उन्होंने अपने ही नाम से शब्द लेकर अपने हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स कंपनी का नाम रखा। इसके नाम में उन्होंने डाक्टर का 'डा' और बर्मन का 'बर' लेकर इस ब्रांड को नया नाम दे दिया डाबर। 1896 तक हाथ से ही जड़ी बूटियां कूट कर अपने उत्पाद बनाने वाले डॉ बर्मन के प्रोडक्ट इतने पॉपुलर हुए कि उन्हें एक फैक्ट्री स्थापित करनी पड़ी।
ऐसे आगे बढ़ा डाबर का बिजनेस
तीन दशक बाद 1919 में एस.के. बर्मन के बेटे सी.एल. बर्मन ने दवाओं के रिसर्च और विकास के लिए एक यूनिट की स्थापना की। सी.एल. ने दवाओं को बनाने के लिए मशीनें लगाईं। कारोबार बढ़ने लगा। ज्यादातर लोग डाबर के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने लगे।
डाबर ने कब शुरु किया था डाबर आंवला हेयर ऑयल
डाबर की कामन धीरे-धीरे सी.एल. बर्मन के दो बेटों पूरन और रतन चंदन ने संभाली। दोनों का काम बंटा हुआ था। पूरन दवाओं के निर्माण का काम देखते थे। जबकि रतन का काम यह सुनिश्चित करना था कि दवाएं मार्केट में अच्छे से बिकें। कंपनी ने 1940 के दशक में ‘डाबर आंवला हेयर ऑयल’ लॉन्च किया। यह देश में अपने तरह का पहला प्रोडक्ट था। कारोबार बढ़ रहा था और परिवार भी।
डाबर ने कई कंपनियों का अधिग्रहण किया
डाबर ने कई कंपनियों का अधिग्रहरण किया। 2005 में 143 करोड़ रुपये से ओडोनिल बनाने वाली बल्सरा ग्रुप का अधिग्रहण किया। 2008 में डाबर ने फेम केयर फार्मा को खरीदा। 2010 में डाबर ने होबी कॉस्मेटिक कंपनी को खरीदा यह पहली विदेशी कंपनी थी जिसका डाबर ने अधिग्रहण किया था। डाबर ने 2011 में प्रोफेशनल स्किन केयर मार्केट में एंट्री की और अजंता फार्मा की 30-प्लस का अधिग्रहण किया।
250 से अधिक हर्बल प्रोडक्ट बना रही कंपनी
डाबर वर्तमान में 250 से अधिक हर्बल प्रोडक्ट बना रही है। कंपनी के पास अपने 9 ब्रैंड हैं। कंपनी हेल्थ सेक्टर के तहत च्यवनप्रास, शहद, पुदीनहरा, लाल तेल और हनीटस समेत कई प्रोडक्ट तैयार कर रही है। वहीं, पर्सनल केयर सेक्टर में आंवला मेल और रेड पेस्ट बना रही है।
कौन हैं डाबर कंपनी के CEO मोहित मल्होत्रा
मोहित मल्होत्रा 1.2 बिलियन डॉलर (9,960 करोड़ रुपये) की डाबर इंडिया को संभाल रहे हैं। वह डाबर इंडिया के CEO हैं। उनके नेतृत्व में, डाबर ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है और 100 देशों में मौजूदगी के साथ एक अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता उत्पाद निर्माता के रूप में उभरी है। वह 1994 में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में डाबर में शामिल हुए और अप्रैल 2019 में सीईओ-इंडिया बिजनेस और फिर कंपनी के सीईओ के रूप में कार्यभार संभालने से पहले दुबई स्थित डाबर इंटरनेशनल के सीईओ होने के अलावा मार्केटिंग और बिक्री में प्रमुख के रूप में भी काम कर चुके हैं।
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